आज गुजरात चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की. गुजरात की जनता में से ज़्यादातर ने माना की भले ही समस्या है पर कांग्रेस से यही बेहतर है. सबसे पहले मैं गुजरात चुनाव की जीत पर प्रधानमंत्री जी और अमित शाह जी को ढेर सारी बधाईया. आप दोनों की जोड़ी ने पूरे देश में भगवा फैलाना और कमल खिलाने का जो प्रण लिया है मुझे तो वो पूरा होते दिखाई दे रहा है.
लेकिन आपको बता दे सर की जैसे जैसे आगे केसरिया होता जा रहा है. पीछे केसरिया रंग की लालिमा घटने भी लगी है. आपने गुजरात मॉडल पर पूरे देश में चुनाव लड़ा. यहाँ तक की विदेशों में भी आपने गुजरात मॉडल की बात की. पर एक सवाल है आपसे हर वक़्त आप जिस माटी और जिन गाँवों की बात करते रहे उसी असली भारत ने गुजरात में आपका साथ क्यों नहीं दिया?
आखिर क्या वजह रही जो आपने 16 सीट गंवा दी. आपका पूरा मंत्रालय सब कार्यकर्ता विकास की बात ऐसे बात करते है जैसे विकास करना बच्चा पैदा करने जितना आसान है.
अरे सर थक गए है हम सब, कुछ ज़्यादा नहीं कहूंगा सिर्फ इतना ही कहूंगा. की आप एक आम आदमी बनकर अपना इलाज करवा कर दिखाइए तो जाने हम. पता है आपको दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में सुबह 3 बजे से लोग OPD में दिखने के लिए लाइन में खड़े हो जाते है.. और लाइन भी हज़ार दो हज़ार की नहीं लगभग 10 हज़ार से भी ज़्यादा लोग खड़े रहते है. जाइये सिर्फ OPD की पर्ची लेकर आइये एक बार तब आम आदमी के दर्द का एहसास होगा. और अब भी नहीं विश्वास होता तो दिल्ली के ही LNJP अस्पताल में चले जाइये वहा लोग दवाइयों का नहीं मौत का इंतज़ार करने के लिए पड़े रहते है.
एक बिस्तर पर 3 मरीज आखिर कौन से अस्पताल में लिटाये जाते है. बताइये ना देश की जनता को, ये दिल्ली का हाल है और जगहों की बात छोड़ दीजिये. गावों में आज भी चिकित्सा और पैसे के अभाव में लोग अपनों को यूँही मरने के लिए छोड़ रोज़ खुद ही घुट घुट कर मरते है. और आपके मंत्री, नेता, कार्यकर्ता, स्वयं आप कहते है की विकास हो रहा. स्वछता का ऐसा आलम है सर की वो भी अब कागजो में सिमट कर रही गई. गंगा सफाई सिर्फ बनारस के कुछ घाटों पर ही दिखाई दे पाती है. और भी बहुत कुछ है कहने को पर आज नहीं कहूंगा वरना लोग समझेंगे की मैं कांग्रेस का समर्थन करता हूँ और हार से तिलमिला गया हूँ.
नहीं सर ऐसा नहीं है मैं सिर्फ विकास, विकास और सिर्फ विकास के जुमलों से परेशान हूँ. क्योंकि सच्चाई देखी है मैंने. अपनों को खुद की आँखों के सामने इलाज के अभाव में मरते हुए देखा है. बच्चो को ठण्ड में ठिठुरते देखा है. वो ईमानदारी का तांडव भी देखा है सर जब अतिक्रमड़ हटाने वालों को गरीब रेड़ी वाले पैसा ना दे पाए तो उनकी टूटती गुमटी, रिक्शा टूटते अपने इन्ही आँखों से देखा है. तो मुझे बचपन में पढ़ाया गया पाठ याद आ गया की जो आज़ादी के पहले लगान नहीं दे पाते थे उनके साथ शायद ऐसा ही सलूक होता होगा.
मैं फिर कहना चाहूंगा की आप विकास करो जो मन में आये वो करों पर उन गरीबों पर थोड़ा रहम भी कर लो कुछ कर दो. शायद तब आपको यूँ हज़ारो रैलियां ना करनी पड़े. बाकी जीत की बहुत शुभकामनाये अगर कुछ गलत बोल दिया हूँ तो माफ़ करियेगा. क्यूंकि आप गुजरात इसलिए नहीं जीते है की आपने विकास किया है. दरअसल आपने सिर्फ इसलिए जीत मिली क्योंकि ज़्यादातर गुजरातियों को लगा की आप भले कैसे भी हो. कांग्रेस से तो बेहतर ही है.. पर इसे मैं आपकी जीत नहीं मानता. शायद ये आने वाले भविष्य के विकास की जीत ज़रूर बन सकती है, अगर आप चाहे तो.
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