“सचिन पायलट अच्छे नेता हैं जल्दी ही भाजपा में आयेंगे”

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इस स्टोरी में लिखें शीर्षक को पढ़ कर बहुत ज़्यादा चौंकने वाली बात नही है। लेकिन ये बात बोलने वाले शख़्स कोई मामूली आदमी नही है इसलिए ये सवाल भी किया जाना ज़रूरी हो जाता है कि क्या 3 सालों से इधर से उधर किये जा रहे सचिन पायलट अब भाजपा में जाने वाले हैं?

ये बहुत बड़ा बयान दिया किसने है इससे पहले ये समझ लेते हैं कि सचिन पायलट पार्टी में या राजस्थान मे क्या अहमियत रखते हैं।

सचिन पायलट राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री,पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के सबसे वरिष्ठ और युवा नेताओं की लिस्ट में सबसे बड़ा नाम हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहते हुए इन्होंने गांव दर गांव पूरी मेहनत के साथ कांग्रेस के मैसेज को लोगों तक पहुंचाने का काम किया था।

इस मेहनत और लगन का इनाम भी उन्हें मिला कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी

लेकिन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बन गए। हालांकि अशोक गहलोत भी कांग्रेस के प्रचार और समितियों से लेकर कैंडिडेट के मामले में अपना हस्तक्षेप बराबर रख रहे थे। लेकिन ये बात बिल्कुल सही है कि सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाते हुए कांग्रेस ने अनुभवी अशोक गहलोत को चुन लिया।

क्या बयान है भाजपा नेता ने और कौन है वो भाजपाई?

ये बयान देने वाले शख्स हैं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्ला कुटी,उन्होंने ये बयान ऐसे समय मे दिया है जब सचिन पायलट के समर्थक विधायकों को कांग्रेस समायोजित करने वाली है। इसलिये ही बकायदा कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अजय माकन खुद जयपुर पहुंचे हुए थे और उन्होनें प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की तरफ इशारा भी किया था।

लेकिन ये सवाल उठना लाज़मी भी हो जाता है कि ऐसा बयान क्या सिर्फ हवाओं में दिया गया होगा? अगर नहीं तो फिर क्या ऐसा पक रहा है जो राजस्थान के सचिन पायलट को भाजपा में जाने को लेकर चर्चाएं ज़ोर पकड़ रही हैं? वैसे तो इन सवालों के जवाब यूँ ही दिये जाने आसान नही हैं क्योंकि बहुत कुछ चल रहा है,क्या और कितना ये बाद में पता चलेगा।

2018 में कैसे हुआ था मसला हल?

राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को अपने बराबर में खड़े करते हुए एक तस्वीर ट्वीट की थी। इस मसले को हल करते हुए सब कुछ ठीक साबित करने की कोशिश की थी।

मगर ये कोशिश बस कुछ दिनों ही तक चल पाई और एक मयान में दो तलवारें नहीं रह सकती हैं वाला वक्तव्य सही साबित हुआ।

फिर शुरू हुआ बवाल।

सरकार बन जाने के कुछ महीनों बाद गड़बड़ी शुरू हो गयी थी और आगे कुछ महीनों बाद सचिन पायलट को कुर्बानी देनी पड़ी। उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था और तो और मुख्यमंत्री की नाराजगी के चलते हुए उपमुख्यमंत्री पद भी छोड़ना पड़ा था।

इसके बाद सचिन पायलट ने दिल्ली के चक्कर लगाने शुरू कर दिये थे।
लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं आया है। अब बस देखना ये है कि परिणाम क्या आता है? कहीं ये वही तो नहीं जिसका जिक्र भाजपा कस नेता कर रहे हैं? ये बड़ा सवाल है।