बाबर पर बनी वेब सीरीज़ को देखने से पहले यह पढ़ लीजिए…

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“देर आये दुरुस्त आये” एक बहुत शालीन मिसाल है जिसका उपयोग अक्सर किया जाता है लेकिन फिलहाल “दी एम्पायर” वेब सीरीज़ के लिये ये कहा जा सकता है। क्योंकि जो काम बॉलीवुड में क़रीबन 20 साल पहले हो जाना चाहिए था उसे अब किया गया है। ये तो हो गयी इस नई सीरीज़ की बात अब कर लेते हैं ये कैसी है और क्यों देखनी चाहिए।

एक बार जरूर देखिये

विदेशी “गेम ऑफ थ्रोन्स” देख चुकी युवा पीढ़ी इस सीरीज़ को बहुत आराम से डाइजेस्ट कर लेगी। क्यूंकि कहानी से लेकर जंग और माहौल को फिल्माए जाने में किया गया नया प्रयोग बेहतरीन है। जहाँ पर 14 साल के एक युवा शहज़ादे की कहानी को पेश गया है। जो दर बदर भटकते हुए दिल्ली जीत लेता है।

लेकिन ये भी सच है कि कहानी को और थोड़ा कम किया जा सकता था। यानी कि बाबर के बचपन के समय को कम अहमियत देते हुए “पानीपत के युद्ध” को ज़्यादा समय दिया जाना जरूरी सा था। क्योंकि जिस खूबसूरती से 1526 की पानीपत की लड़ाई को फिल्माया गया है दर्शक उसे और ज़्यादा गौर करते हुए देखना चाहेंगे।

कहानी फिक्शन है… असलियत नहीं

वैसे तो ये सब कुछ ऐतिहासिक घटनाक्रम था लेकिन जिस किताब “एम्पायर ऑफ मोगुल” के बेस पर ये सीरीज़ बनाई गई है उसके मुताबिक बनने की वजह से ये सब कुछ “फिक्शन” है। इसलिए जज़्बाती होकर मत देखिएगा। बाबर के पानीपत के मैदान में ज़ख्मी होने से शुरु हुई कहानी 30 से 40 साल पीछे पहुंचते हुए शुरू होती है।

जहां बाबर “उमर शेख” यानी अपने पिता से “फ़रगना” में शायरी सीख रहे हैं। इसके बाद फिर कहानी आगे बढ़ती है। जहां शैबानी खान (डिनो मोरिया) यानी विलेन की एंट्री होती है। और आखिर में दिल्ली जीतने के साथ खत्म होती है। मैं पूरी कहानी नहीं लिखूंगा जाइये और देखिये,तभी मज़ा आएगा आपको।

किरदार और कलाकार..

यहां थोड़ा सा मुझे “बाबर” का किरदार कमज़ोर लगा। बाबर (कुणाल कपूर) इस रॉल को वो कद नहीं दे पाएं जिसकी उम्मीद थी। हालांकि उन्होंने अपना 100 फीसदी दिया और वो इतना जम नहीं पाए हैं। लेकिन शायद वो काफी नहीं रहा। हां मगर वज़ीर खान (राहुल देव) ने झंडे गाड़ दिए जो 3 पीढ़ीयों का वफादार बहादुर योद्धा है उसके शहीद होने को बहुत अलग एंगल दिया गया है।

हाँ निगेटिव किरदार वाले शैबानी खान ने मज़ेदार काम किया है. इन्हें देख कर क्रूरता याद आ रही है।इसके अलावा एहसान दौलत( शबाना आज़मी) का किरदार शानदार है। जो ईमानदारी बरतते हुए नज़र आ रहा है। वहीं खानजादा बनीं दृष्टि धामी ने भी अपने खूबसूरत लुक्स के अलावा डायलॉग के साथ जान फूंकी है। लेकिन हुमायूँ से लेकर कामरान और बाबर बादशाह की बीवियां तक का किरदार भी बहुत ज़्यादा मज़बूत नही है।

क्यों देखनी चाहिए?

क्यूंकि ऐसा पहली बार हुआ है जब इतने बेहतरीन ग्राफ़िक्स और वीएफएक्स का इस्तेमाल करते हुए ऐतिहासिक सीरीज़ बनाई गई हो। और तो और इसकी कहानी आपको अपने मुल्क ही से जोड़ती हो क्योंकि मुग़लों का रिश्ता भारत से भले ही विवादों वाला रहा हो लेकिन उसकी झलक आज भी बाकी है।

इसलिए ये सब कुछ कुछ घण्टों में देखने और समझने के लिए करीब करीब 40 मिनट के 8 एपिसोड्स देखें जा सकते हैं। हॉटस्टार पर अवेलबल है। आप जाइये और इस ज़रूर देखिये की अपने से 5 गुनी सेना को हराने वाले बाबर की कहानी क्या थी।