आज बनारस में कांग्रेस की रैली थी,बड़ी रैली थी,विशाल रैली थी और पूरा यूपी उमड़ आया इस तरह की रैली थी,ऐसा कांग्रेस वाले कह रहे थे अब ये बात कितनी सच है या कितनी झूठ है ये सब वहीं जाने,मेरा सवाल तो ये है कि क्या कांग्रेस प्रियंका गांधी के नाम पर कुछ कमाल वहां पर कर पायेगी? आइये कुछ इतिहास पर ध्यान देते हैं।
हमें शक्ति हमारे संघर्षों से मिलती है। भाजपा सरकार चाहे हमें जेल में डाले, चाहे जितनी रुकावट डाले, लेकिन हम किसानों, नौजवानों, दलितों, महिलाओं और गरीबों की आवाज दबने नहीं देंगे।
मैं उप्र की जनता से आह्वान करती हूं कि न्याय की लड़ाई में हमारे साथ आएं।#KisanKoNyayDo pic.twitter.com/jhadWoRZsd
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 10, 2021
2019 लोकसभा चुनाव…
कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में मज़बूती से चुनाव लड़ी,ऐसा उनके उम्मीदवारों का कहना था,राहुल गांधी हमेशा की तरह अमेठी से चुनाव लड़ रहे थे और सोनिया गांधी रायबरेली से ,वहीं प्रियंका गांधी को बीच चुनाव में यूपी में प्रभारी बना कर भेजा गया था। हालांकि उनके चुनाव लड़ने की भी उम्मीद थी लेकिन वो नहीं लड़ी।
आखिर में रिज़ल्ट आया और 42 साल बाद कांग्रेस अमेठी में चुनाव हार गई,बाकी सीटों पर भी बुरा हाल हुआ बड़े बड़े नेताओं की जमानत जब्त हुई और कांग्रेस सिर्फ रायबरेली में प्रियंका गांधी के नाम यूपी में एक सीट जीत पाई।
2017 विधानसभा चुनाव
गाजे बाजे के साथ कांग्रेस अखिलेश यादव के साथ मिल कर चुनाव लड़ीं और “यूपी के दो लड़कों” का नारा दे कर चुनाव जीतने का आह्वान किया गया। कांग्रेस को गठबंधन में 403 में से 100 सीटें मिली और जब परिणाम आया तो वो महज़ 5 विधायक ही जीता पाई। कांग्रेस की आधे से ज़्यादा सीटों पर ज़मानत ज़ब्त हो गयी।
यही नहीं राजनीतिक पंडितों ने ये तक कह दिया कि क्यूंकि समाजवादी पार्टी का गठबंधन कांग्रेस के साथ हुआ था इसलिए सपा का भी नुकसान हुआ वरना वो बेहतर परफॉर्मेंस कर सकती थी। मगर इस सबके बावजूद हुआ ये की कांग्रेस सिर्फ ये कागजों ही में मज़बूत हो पाई।
अब क्या है स्थिति…
फिलहाल यूपी की स्थितियाँ कुछ ऐसी है कि समाजवादी पार्टी को मुख्य विपक्षी पार्टी की तरह से देखा जा रहा है। अखिलेश भी खुल कर भाजपा का विरोध कर रहे हैं। और भाजपा वाले भी अखिलेश के पिछले कार्यकाल को याद करके उनका विरोध करते रहते हैं।
सवाल ये उठता है कि कांग्रेस इस बीच मे कहाँ हैं? कांग्रेस के उत्तर प्रदेश विधानसभा में सिर्फ 5 विधायक हैं और पूरे 80 सीट वाले राज्य में 1 लोकसभा सीट ऐसे में कांग्रेस के बदलाव का क्या आधार है? ये सब भी तब जब विपक्ष और पक्ष दोनों जगह बुक है।
इसमें कोई दो राय नही हैं कि प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू झुझारू नेता हैं,सड़क पर उतर कर मेहनत करते हैं। प्रियंका गांधी 2019 से लेकर अब तक यूपी में मेहनत कर रही हैं लेकिन बिना संग़ठन के मेहनत का क्या होता है? क्या होना चाहिए? आज की तारीख में कांग्रेस के पास संग़ठन नही है जो उन्हें जीत दिलाये।
यही बात कांग्रेस के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी इमरान मसूद भी कहते है कि “प्रियंका गांधी क्षेत्र में बहुत मेहनत कर रही हैं,और जगह जगह जाकर संगठन तैयार कर रही हैं लेकिन इस संगठन से फिलहाल चुनाव जीता जा सकता हो ये मुमकिन नही है”।