बात शुरू होती है पिछले डेढ़ साल से जब मुझको गाय,डेरी फार्मिंग,किसान और गौवंश के बारे कद्दू भी नही पता था। मेरा इंटरेस्ट डेरी फार्मिंग की तरफ बहुत था तो दबाकर वीडियो देखी, सौइयो कृषकों और कृषि चैनल की वीडियो देखी।
इसमे एक चीज़ तो साफ स्पष्ट हो गयी कि अपन कितना भी गिर सकते है और हमारे में पाखंड कूट कूट के भरा है। सारी वीडियो वगैहरा देखकर यह समझ आया कि देसी गायो की मिल्क कैपेसिटी बहुत कम होती थी, मुश्किल से 5 लीटर.
तब वैज्ञानिकों ने hf नस्ल और जर्सी तथा क्रॉस ब्रीड इंट्रोड्यूस करवाई।
- जब हमने देखा कि यह गाये 15 से 25 लीटर दूध दे रही है तो सबने इन गायो और भैसों को हाथों हाथ लिया और देसी गाय पालनी लगभग कम कर दी।
- मैं यह नही कहता कि बेहतर विकल्प की तरफ मत जाओ लेकिन जब हमने किसी को माँ बोल दिया, तो अब वो 4 लीटर दे या 40, उसको छोड़ने का लॉजिक क्या है??
- सबने कत्रिम गर्भाधान करवाया और देसी गाय विलुप्त होने की कगार पर आने के बाद भी सस्ती मिलने लगी और उसको कोई पूछने वाला भी नही रहा।
देसी गाय जो दुधारू न थी उसकी हालत तो यह हो गयी कि भारत मे औसतन 7 किलो पॉलीथिन गाय के पेट मे है और आवारा होकर मरने में देसी गाय सबसे आगे हो गयी।
क्योकि उसके दूध में फैट भी कम था इसलिए पानी मिलाकर बेचना भी मुश्किल था तो उसको दूर से सलाम नमस्ते कहके सबने पल्ला झाड़ लिया।
यानी एक वक्त वो था कि गाय माता था और एक वक्त यह भी आया कि यही गाय लठ्ठ और पॉलीथिन खाने को बस इसलिए मजबूर हुई क्योकि यह हमको बेचने के लिए गाढ़ा और ज़्यादा दूध नही दे सकती थी।
इसके बाद एक चमत्कार हुआ। न्यूज़ीलैंड के एक वैज्ञानिक ने किताब लिखी ” डेविल इन द मिल्क”
- इसमे उसने बताया कि 2 तरह के दूध है पहला A1 और दूसरा A2
- इसनके बताया कि A1 दूध, डायबेटिज़, घुटने के दर्द, आटिज्म और भी अन्य बीमारियों का स्रोत्र है क्योकि इसमे एक केमिकल पाया जाता है, जबकि A2 दूध सेहत के लिए बहुत अच्छा है।
- उसने बताया कि जर्सी, HF तथा क्रॉस ब्रीड गाये A1 मिल्क देती है और लगभग सभी देसी गाय A2 दूध देती है
जैसे हो यह जागरूकता आयी तो भारत मे वापस देसी गाय के दूध की मांग बढ़ गयी और अब दिल्ली एनसीआर में 120 रुपया का 1 लीटर A2 मिल्क बिक रहा है और अब सब वीडियो बना बना कर देसी गाय को माँ बोलकर चिमट रहे है।
मैं यह नही कहता कि आप किसी पशु को मानो या न मानो लेकिन रिश्तेदारी की बुनियाद पैसा और मुनाफा पर मत रखो। यही पाखंड है और इससे आपको बचना चाहिए क्योंकि खामियाजा फिर वही भुगतता है जिसके नाम पर पाखंड रचा जा रहा है।
यह पोस्ट मैं गायो की हालत को और लोगो के पाखंड को देखकर बहुत दुख में लिखने पर विवश हुआ हूँ।
इसके अलावा मुझे यह सच्चाई भी मालूम है कि गाय द्वारा जने गए मेल बछड़े को किस तरह बोझ समझ कर उसको निपटाया जा रहा है।
- 1 युट्यूबर ने तो ज़्यादा जोश में आकर जर्सी गाय को गाय के भेष में सूवर तक कह डाला और पूरी वीडियो में उस गाय की बुराई कर डाली
- क्या महज उसका दूध हम इंसानों के लिए बुरा है तो वो हमारे गाली की हकदार है?
- क्या देसी या विदेशी गाय ने आपको कहा है कि दूध निकाल कर पीलो?
अव्वल तो हमारा गाय पालना पूरा व्यावसायिक है ऊपर से उसको माता बोलकर नाचना , यह पूरी तरह से हम उसको ही धोखा दे रहे हैं, भाइ नारी को नारी, नदी को नदी और पशु को पशु रहने दो
इसके नाम पर राजनीति जो करेगा उसके घर की रोटियां तो सिक जाएगी लेकिन खामियाजा इन्ही तीनो को भुगतना पड़ेगा। हम किस अधिकार से गाय से दूध निकालते है यदि हम उसको माँ बोलते है?
और अगर हम उसको बाकी पशु की तरह ट्रीट करते है तो फिर इंसान होने के नाते हमारा अधिकार है कि अपने फायदे के लिए पशुओं से लाभ उठाएं न कि दोहन करे.