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नज़रिया – क्या टोपी लगा लेने से मुस्लिमों के प्रति सोच बदल जाती है?

by Md Zakariya khan · June 29, 2018

क्या आपको कोई तिलक लगायेगा, तो आप लगवाओगे. बिलकुल नहीं लगवाओगे. फिर योगी या मोदी टोपी नहीं लगाते हैं. तो इतना हो हल्ला क्यों मचाते हो भाई?
कुछ गलत नहीं किया यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टोपी न पहनकर. क्या टोपी लगाने से योगी आदित्यनाथ का मन परिवर्तन हो जाता. क्या उस मुंह से कलिमा ए शहादत सुनाई देने लगता, जो कभी मुस्लिम महिलाओं को क़ब्र से निकालकर रेप करने की बात किया करता था. क्या वह व्यक्ति आपके लिए सेकुलर हो जाता, जो मुस्लिम लड़कियों को उस फ़र्ज़ी लव जिहाद के बदले में शिकार बनाने की अपील करता था, जिस लव जिहाद का कोई आस्तित्व नहीं था. क्या उसे आप टोपी से सेकुलरिज़म की क्लास में दाखिला दिला देते?
सुनों एक बात ! ये फ़र्ज़ी किस्म की हरकतों के झांसे में न आ जाया करो. कि किसी नेता जी ने टोपी पहन लिए तो वो सेकुलर हो गए. ईद की मुबारकबाद देने के वक़्त रुमाल को गले में डाल कर टोपी पहने वोट के सौदागर तुम्हारे सामने क्या आये. तुम पिघल गए. अरे भाई त्यौहार की मुबारकबाद एक दूसरे को दीजिये, पर बहरूपिये की तरह लिबास बदलकर वोट की राजनीति का शिकार न बनिए.
योगी आदित्यनाथ का टोपी न पहनना उसके अपने दीन में पुख्तगी के साथ बने रहने का सुबूत है. भाषण सुनिए महोदय के, आपको यकीन हो जायेगा. कि इनकी राजनीति ही समुदाय विशेष के खिलाफ़ बोले जाने वाले शब्दों के सहारे टिकी हुई है. एक बड़ा तबक़ा जो जाहिल है, वो इनके इन नफरती शब्दों के कारण इन महोदय का फैन है. जैसे कभी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी का वही बड़ा तबका फैन था. जो सिर्फ गुजरात दंगों की बिना पर अंधभक्त बन गया था. तो अब बताईये कि क्या महोदय टोपी पहनकर, अपने उस वोटबैंक को नाराज़ कर लेते?
ये जो टोपी और रूमाल वाली राजनीति है न, इसे समझिये. इससे कभी आपका भला नहीं हुआ है. ये टोपी और रुमाल पहनने से किसी को सेकुलर नहीं बोला जा सकता. ये ढोंग है, सिर्फ ढोंग. सेकुलरिज़म जो है न वो सिर्फ और सिर्फ इंसाफ से नापा जा सकता है. कि कोई शख्स कितना इंसाफपसंद है. क्या वो किसी भी फैसले में धर्म और जाति की वजह से भेदभाव तो नहीं करता. यही सेकुलरिज़म को मापने का पैमाना है. किसी मुस्लिम के तिलक लगाने और किसी हिन्दू के टोपी पहनने से आप सेकुलरिज़म को नहीं माप सकते.
अब ये टोपी, तिलक वाली राजनीति से खुद को दूर करते हुए अपने -अपने क्षेत्र और समुदाय के शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक विकास की तरफ ध्यान दीजिये. क्योंकि ज़रूरत इन्ही की है. नाकि टोपी और तिलक.

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