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क्या है सोनिया गाँधी का फ़्यूचर प्लान

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बड़े लंबे समय बाद सोनिया गांधी मीडिया से रूबरू  हुई जिसमें उन्होंने राजनीति और संगठन से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए,  सोनिया गांधी के इतने दिनों तक राजनीति से दूर रहने बाद मीडिया के सामने आने के कई मायने लगाए जा रहे थे लेकिन उनकी मौजूदगी और जवाबो ने सभी को संगठन में उनकी आगे की भूमिका के बारे में कुछ संकेत दिए ।
9 मार्च को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सोनिया गांधी ने  संगठन  के भविष्य को लेकर व वर्तमान राजनीतिक परिस्तिथियों पर  विचार रखे। बड़े लंबे समय से राजनीति से दूर रहने पर उन्होंने कहा कि वह इंदिरा और राजीव से जुड़े कुछ कागज़ातो को डिजिटल करना चाहती हु जो मेरे पास है , इसी काम में मैं व्यस्त थी ।
बहुत जल्द वह अपने राजनीतक कार्यो को संभाल लेंगी और आने वाले दिनों में वह अन्य संगठन के नेताओं से सारे मतभेद भुलाकर उनके साथ 2019 के लिए सहमत बनाने पर बात करेंगे।

2019 की तैयारी

2013 में कांग्रेस की 13 राज्यो में सरकार थी आज वह सिर्फ 4 राज्यों में बची है जबकि भाजपा एक के बाद एक चुनाव जीतती जा रही है इसपर सोनिया ने कहा कि यह हमारे लिए एक चुनोती की तरह है जिसका हमको सामना करना है यह हमारा मुश्किल समय है लेकिन हमें यकीन है कि हम सब इससे लड़ सकते है ।
सोनिया ने कहा कि 2019 में कांग्रेस ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को जोड़ेगी अधिक लोगो तक अपनी नीतियों और कार्यक्रमो को पहुँचाएगी जिसके लिए नई पॉलिसी तैयार की जाएगी। पार्टी में वरिष्ठ नेताओँ  व युवाओ के साथ मिलकर नीतियां बनाई जाएंगी व साथ मिलकर आगे बढ़ा जाएगा जिससे युवाओं का जोश व वरिष्ठ नेताओं का अनुभव दोनों मिल सके।

भाजपा पर निशाना

भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्हीने कहा कि उन्होंने कांग्रेस पर भ्र्ष्टाचार के आरोप बहुत बढ़ा चढ़ा कर वेश किये चाहे वह 2G हो जिसके आंकड़ो को बेहद तोड़ मरोड़ कर बताया गया काफी हद तक यह काल्पनिकता ओर आधारित था।
सोनिया कहती है कि सरकार संसद में किसी अन्य पक्ष को बोलने नही दे रही यदि विपक्ष ऊनी बात रखना चाहता है तो उनको मोके नही दिए जा रहे ऐसे में यदी हम आवाज़ उठाते है तीन वह हमारी आवाज़ को भी दबाने की कोशिश करते है। और हम पर आरोप लगाए जाते है कि हम सदन नही चलने दे रहें।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वह एक अच्छे व महान  नेता थे क्योंकि वह हर किसी को अपनी राय रखने का मौका देते थे लेकिन मोदी उनसे बिल्कुल अलग है वह किसी भी आधार ओर उनके समान नहीं है।
सोनिया ने कहा कि मोदी सरकार के वादे जनता को बहुत हसीन लगते है है पर हकीकत बिल्कुल अलग है. आज भी लोग अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे है उनके अच्छे दिनों का हाल भी शाइनिंग इंडिया के नारे की तरह ही हो गया है।

सोनिया की विचारधारा

सोनिया ने कहा कि वह कांग्रेस की विचारधारा रखती है जो सबको एक समान मानती है सबको समान अवसर देती है। वह हर वर्ग के अधिकारों के बारे में सोचती है वरना समाज की अच्छी स्थिति के लिए आवश्यक है।
हम नारो और जुमलों में विश्वास नही रखते खासकर उनमें उनमें जिनको पूरा न किया जा सके। कांग्रेस हमेशा देश की चिंता करती है और हमें भारत के लोगों में यकीन है कि वह दुबारा भाजपा को सत्ता में नही आने देगी।

प्रियंका और परिवार

प्रियंका के बारे में पूछे जाने पर सोनिया ने कहा के वह अपने परिवार व बच्चो के साथ व्यस्त रहती है लेकिन संगठन के लिए चुनाव परिचार ज़रूर करती है, आगे उन्हें को से रास्ता चुनना है यह उनपर निर्भर करता है में इसमें कुछ नही कह सकती।
राजीव गांधी के राजनीति में आने को लेकर उन्होंने कहा कि ” मैं राजीव गांधी के राजनीति में आने को लेकर खुश नही थी एक प्रकार से वह इसके खिलाफ थी , इंदिरा गांधी की मौत के बाद मुझे डर था कि कही मैं राजीव को भी न खो दूं, बाद में यह डर सच साबित हुआ ।
बाद के कई सालों तक मे राजनीति से दूर रही लेकिन जब ससंगठन को मेरी  जरूरत महसूस हुई तब मैंने राजनीति में आने का फैसला लिया।

राहुल के राज में सोनिया की भूमिका

राहुल के बार बार ब्रेक लेने को लेकर उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ा मुद्दा नही है वह काम।के लिए बाहर जाते है ये एक साधारण से चीज़ है भाजपा इसको मुद्दा बनाने की कोशिश करती है, जो गलत है।
राहुल अब कांग्रेस के अध्यक्ष है और वो अपनी सभी जिम्मेदारियां समझते है वह कांग्रेस की नीतियों से भली प्रकार वाकिफ है  जिनका वह पालन करते है और कार्य के बोझ को जानते है।
उनका कार्य करने का अपना तरीका है जिसका वह सम्मान करती है। सोनिया ने कहा कि अभी राजनीति से सन्यास लेने का उनका कोई इरादा नहीं है वह राहुल का पूरा सहयोग करेंगी , 2019 में विपक्षी एकता को जुटाने में भी सोनिया के महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

राजनीतिक अनुमान

सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान छोड़ने के बाद पहली दफा मीडिया से तसल्ली से बातचीत करती नज़र आई।  उन्हीने के मोर्चो ओर कांग्रेस का बचाव किया और भविष्य में अपनी भूमिका को लेकर कुछ संकेत दिए , सोनिया 2019 में विपक्षी दलों को एक साथ लाने में राहुल की सहायक रहेंगी
सलाहकार की भूमिका लेकर सोनिया गैर भाजपाई दलों में तालमेल के करने का कार्य संभालेंग, लेकिन यहाँ उनकी सिर्फ इतनी भूमिका संगठन को गर्द से निकालने में शायद ही कुछ योगदान दे क्योंकि मामला अब सिर्फ उनके हाथ मे न रहकर राहुल और पार्टी के बड़े नेताओं में भी है जो अभी अपनी कमजोरी को शायद ठीक से भांप नही पा रहे।
मोदी सरकार के कुछ मुद्दों की काट अभी भी निकल।पा रही है जिसमे राष्ट्रीयता, धर्म, आस्था शामिल है, यह बात अभी और समझने वाली है है कि यहाँ 2003 वाली परिस्थितियां नही है तब से अब तक बहुत कुछ बदल चुका है आज की भाजपा में पहले से कई ज़्यादा पैनापन है और बेहतर नीतियां भी  तो उधर कांग्रेस में अब डॉ मनमोहन सिंह जैसे नेताओ का अकाल ऐसे में चुनोती सिर्फ 2019 में विपक्षी एकता और आकर नही रुकती।

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