प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister narendra modi) की सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले में जांच के लिए अब सुप्रीम कोर्ट (suprime court) ने एक नई जांच कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं। इस कमेटी में केंद्र और राज्य दोनों तरफ़ के अधिकारियों को शामिल किया गया है। वहीं इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के ही एक रिटायर्ड जज करेंगे। ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने तब लिया जब अदालत में पंजाब सरकार की पैरवी कर रहे एडवोकेट जनरल ने अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार की जांच कमेटी पर सवाल उठाए।
बता दें कि अब तक इस मामले पर पंजाब राज्य और केंद्र सरकार अपनी अपनी तरफ से जांच कर रही थी। लेकिन अब दोनों की जांच पर रोक लगा दी गयी है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 3 जजों की बैंच ने की। जिसमे CJI एनवी रमणा (N.V. ramana), जस्टिस हिमा कोहली ( justice hima kohali) और जस्टिस सूर्यकांत (justice suryakant) शामिल हैं।
नई कमेटी में ये अधिकारी हैं शामिल :
सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक मामले की जांच के लिए जिस नई कमेटी का गठन किया है उसकी अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। इस कमेटी में चंडीगढ़ के DGP, NIA के IG, एडिशनल डीजी पंजाब, और पंजाब हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल शामिल होंगे।
इससे पहले पंजाब सरकार अपने स्तर पर इस मामले की जांच कर रही थी। वहीं केंद्र सरकार की और से पीएम सुरक्षा मामले की जांच गृह मंत्रालय कर रहा था जिसमे एसजीपी के आईजी भी शामिल थे।
पंजाब के अफसरों को केंद्र सरकार ने भेजा कारण बताओ नोटिस:
केंद्र सरकार का कोर्ट में पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (tushar mehata) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, की ‘पीएम की सुरक्षा मामले की जांच केंद्र सरकार का कोई टॉप अधिकारी कर सकता है।’ इसके जवाब में
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आप ये छवि पेश करने की कोशिश न करें कि हम पीएम की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।”
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अपना पक्ष रखते हुए ये सुझाव दिया की, ” केंद्र सरकार की जांच कमेटी मामले की जांच करे और रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दें। कमेटी या सरकार मामले पर अपने तरफ़ से कोई एक्शन नहीं लेगी।” इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते गए कहा, था कि वो अपने लापरवाह अधिकारियों को बचा रहें हैं।
जिसके जवाब में जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, ” लगता है आप ही डिसाइड कर चुके है कि गुनाहगार कौंन हैं, अगर ऐसा है तो आप कोर्ट क्यों आए हैं ? उन्होंने आगे कहा, हमने शुक्रवार को कार्यवाही रोकने के लिए कहा था तो आपने कारण बताओ नोटिस किस आधार पर भेजा ? जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा, “आपका कारण बताओ नोटिस विरोधाभासी है। एक और आप जांच के लिए कमेटी बना रहे हैं और दूसरी तरफ़ आप उन्हें दोषी बता रहें हैं।”
चीफ़ जस्टिस ने इस पर कहा आप राज्य के अफसरों के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कदम उठा रहे हैं तो कोर्ट के लिए क्या बाकी रह जाता है। इस पर केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता ने कहा, कारण बताओ नोटिस कार्यवाही स्थगित होने से पहले ही जारी कर दिया गया था।
पंजाब सरकार को केंद्र की जांच पर आपत्ति :
केंद्र सरकार की तरफ से हो रही जांच पर कोर्ट में पंजाब राज्य का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल ने सवाल उठाए हुए कहा, ‘ जांच कमेटी में आईजी एसपीजी भी शामिल हैं जबकि हमारी नज़र में वो कसूरवार हैं। कमेटी की अगुवाई गृह सचिव कर रहें है और गृह मंत्रालय कारण बताओ नोटिस भेज कर हमें पहले ही दोषी मान चुका है। ऐसे में जांच कैसे करेंगे।’
लंबी सुनवाई और ज़ोरदार बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बैंच ने ये फैसला लिया कि जांच के लिए नई कमेटी का गठन किया जाए, जो सुप्रीम कोर्ट ही करेगा। साथ ही राज्य और केंद्र सरकार अपनी अपनी जांच को बंद करें। सोमवार (10 जनवरी 2022) को सुप्रीम कोर्ट के फैसले सुनने से पहले शुक्रवार (7 जनवरी 2022) को मामले पर सुनवाई की गई थी जिसे स्थगित कर दिया गया था।