मंदसौर में हुई भयावह और शर्मसार कर देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, सभी धर्मों के लोगों ने इसकी भरपूर निंदा की, लेकिन देश की एकजुटता के इकलौती दुश्मन संघी ब्रिगेड के मज़दूर जो फिलहाल BJP IT सेल में कार्यरत हैं उनको हमेशा की तरह देश का एकजुट होना रास नहीं आया और वो लग गए काम पर।
नीचे दिया गया पहला स्क्रीनशाॅट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, क्या पढ़े लिखे और क्या अनपढ़ सब इसको ख़ूब शेयर कर रहे हैं बिना असलियत जानें।
ये पोस्ट डाली है पाकिस्तान की रहने वाली “रजिया बानो (Rajiya bano)” ने जिनको अपना नाम भी ढ़ंग से लिखना नहीं आता, लेकिन जब कुछ उर्दू के जानकारों ने उनके इस झूठ को पकड़ा तो फौरन उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने नाम की स्पैलिंग ठीक करके उसे “रज़िया” (Raziya) कर दिया।
आप देख सकते हैं कि दूसरे स्क्रीनशाॅट में इनकी आईडी पर जो इंस्टाग्राम का लिंक है उसमें नाम लिखा है Rajiya जबकि इंस्टा पर हमारे पहुंचने से पहले वो नाम ठीक करके Raziya कर दिया।
नीचे दिया गया पहला स्क्रीनशाॅट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, क्या पढ़े लिखे और क्या अनपढ़ सब इसको ख़ूब शेयर कर रहे हैं बिना असलियत जानें।
ये पोस्ट डाली है पाकिस्तान की रहने वाली “रजिया बानो (Rajiya bano)” ने जिनको अपना नाम भी ढ़ंग से लिखना नहीं आता, लेकिन जब कुछ उर्दू के जानकारों ने उनके इस झूठ को पकड़ा तो फौरन उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने नाम की स्पैलिंग ठीक करके उसे “रज़िया” (Raziya) कर दिया।
आप देख सकते हैं कि दूसरे स्क्रीनशाॅट में इनकी आईडी पर जो इंस्टाग्राम का लिंक है उसमें नाम लिखा है Rajiya जबकि इंस्टा पर हमारे पहुंचने से पहले वो नाम ठीक करके Raziya कर दिया।
झूठ नम्बर 2 : कराची में पैदा हुई और कराची में ही रह रही कम पढ़ी लिखी रजिया ने फैशन की पढ़ाई की है our lady of fatima university से जो कि पाकिस्तान या उसके आसपास के किसी देश में नहीं बल्कि फिलीपींस में है, रजिया जी ने ग़ालिबन फातिमा नाम सर्च किया और जो यूनीवर्सिटी दिखाई दी उसी को अपनी प्रोफाईल पर चिपका दिया बिना ये जाने की एक तो ये यूनीवर्सिटी पाकिस्तान में नहीं फिलीपींस में है और दूसरा ये कि वहाँ फैशन डिज़ाईनिंग का काॅर्स कराया ही नहीं जाता।
झूठ नम्बर 3 : पाकिस्तान की मातृभाषा उर्दू है, लेकिन उसके कुछ हिस्सों में सैराकी, पश्तो और पंजाबी भी लिखी और पढ़ी जाती है हिंदी नहीं, लेकिन रजिया जी को हिंदी पर पूरी महारत हासिल है बल्कि ज़्यादातर वो हिंदी ही लिखती हैं।
ऐसा नहीं है कि वहाँ हिंदी बिल्कुल पढ़ी या लिखी नहीं जाती, भारत से गए हुए पुराने लोग वहाँ हिंदी लिखते पढ़ते हैं जिस तरह भारतीय पंजाब में आज भी कुछ बड़ी उम्र के लोग उर्दू ही लिख पढ़ पाते हैं, लेकिन रजिया जी को तो पाकिस्तान में रहने के बावुजूद भी उर्दू नहीं आती।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रजिया जी की डीपी अलग अलग लड़कियों की है।
ये रजिया जी नहीं कोई नफरती भाई हैं जो अपना 2₹ पर कमेंट और 10₹ पर पोस्ट का टार्गेट पूरा कर रहे हैं।
इनके जाल में मत फँसिए, पूरा देश और ख़ास तौर पर मुस्लिम समाज की ये माँग है कि अभियुक्त इरफान और उसके साथियों को फाँसी दी जाए, और साथ ही साथ ये ऐलान भी कर दिया गया है कि कोई भी मुस्लिम वकील उसका केस नहीं लेगा और ना ही फाँसी के बाद उसको किसी भी कब्रिस्तान में दफ्न करने दिया जाएगा।
हम सब साथ हैं और साथ रहेंगे लेकिन इन भेड़ियों से सावधान रहिए जो गंगा जमुनी तहज़ीब में आग लगा कर अपने घरों का चूल्हा जलाना चाहते हैं।
झूठ नम्बर 3 : पाकिस्तान की मातृभाषा उर्दू है, लेकिन उसके कुछ हिस्सों में सैराकी, पश्तो और पंजाबी भी लिखी और पढ़ी जाती है हिंदी नहीं, लेकिन रजिया जी को हिंदी पर पूरी महारत हासिल है बल्कि ज़्यादातर वो हिंदी ही लिखती हैं।
ऐसा नहीं है कि वहाँ हिंदी बिल्कुल पढ़ी या लिखी नहीं जाती, भारत से गए हुए पुराने लोग वहाँ हिंदी लिखते पढ़ते हैं जिस तरह भारतीय पंजाब में आज भी कुछ बड़ी उम्र के लोग उर्दू ही लिख पढ़ पाते हैं, लेकिन रजिया जी को तो पाकिस्तान में रहने के बावुजूद भी उर्दू नहीं आती।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रजिया जी की डीपी अलग अलग लड़कियों की है।
ये रजिया जी नहीं कोई नफरती भाई हैं जो अपना 2₹ पर कमेंट और 10₹ पर पोस्ट का टार्गेट पूरा कर रहे हैं।
इनके जाल में मत फँसिए, पूरा देश और ख़ास तौर पर मुस्लिम समाज की ये माँग है कि अभियुक्त इरफान और उसके साथियों को फाँसी दी जाए, और साथ ही साथ ये ऐलान भी कर दिया गया है कि कोई भी मुस्लिम वकील उसका केस नहीं लेगा और ना ही फाँसी के बाद उसको किसी भी कब्रिस्तान में दफ्न करने दिया जाएगा।
हम सब साथ हैं और साथ रहेंगे लेकिन इन भेड़ियों से सावधान रहिए जो गंगा जमुनी तहज़ीब में आग लगा कर अपने घरों का चूल्हा जलाना चाहते हैं।