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मोदी सरकार ने खुद जीडीपी का अनुमान घटाया

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देश के लिए आर्थिक मोर्चे पर बुरी खबर आई है. वित्त वर्ष 2017-18 में देश की जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रह सकती है. सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) जीडीपी के संबंध में यह एडवांस एस्टीमेट जाहिर किया है. ये 7 फीसदी के सरकार की उम्मीद से काफी कम है क्योंकि साल 2016-17 में विकास दर 7.1 फीसदी रही थी. वहीं साल 2015-16 में देश की विकास की रफ्तार 8 फीसदी के करीब पहुंच गई थी.
नोटबंदी और जीएसटी का प्रभाव
दरअसल नोटबंदी और जीएसटी के प्रभावों के चलते पहले ही आर्थिक जानकार अनुमान लगा रहे थे कि देश की जीडीपी में गिरावट देखी जा सकती है और ये 7 फीसदी के नीचे रह सकती है. हालांकि आने वाले बजट को देखते हुए सरकार के लिए ये अनुमान और भी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं और सरकार के लिए लोकलुभावन बजट पेश करना काफी मुश्किल हो जाएगा.
गौरतलब है कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. हालांकि इससे पहले एजेंसी ने यह दर 6.9 फीसदी रहने का अनुमान दिया था. एजेंसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार अपेक्षा से कमजोर है इसलिए उसने अपने वृद्धि दर अनुमान में कटौती की थी.
 

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