जाइए उन लोगों से पूछ कर देखिए कि कांग्रेस लोकतांत्रिक है या नहीं, जिनके बेटों/शौहरों को हाशिमपुरा से उठाकर मुरादनगर नहर के पास ज़िंदा गोली मार दी गयी थी और वे बेचारे तीन दशक तक लड़ते रहे पर फिर भी न्याय नहीं मिला। जिसकी ज़िम्मेदार यही सेक्युलर कांग्रेस थी।
थोड़ा सा और आगे बढ़िए, मुरादाबाद पहुँचिए वहाँ जाकर उन हज़ारों लोगों के परिवार वालों से जाकर इस कांग्रेस के बारे में पूछिए जिनके अपनों को ईद की नमाज़ पढ़ते वक़्त ईदगाह में गोली मार दी गई थी।
थोड़ा सा वक़्त हो तो अलीगढ़ भी निपटा लीजिए।
अब ज़रा कैफ़ी आज़मी के शहर आज़मगढ़ भी हो लीजिए और वहाँ जाकर संजरपुर में उन सभी परिवारों से जिनके बच्चे मार दिए गए या फिर चमकते भारत की जेलों में बंद हैं, उनसे ज़रा लोकतंत्र-संविधान और मानवाधिकार की बात करिए। हो सके तो वहाँ एक रात गुजार कर देखिए कि कैसे उनकी माएँ और बीवियाँ आज भी दहाड़े मार मार कर रोती हैं।
सुबह उठकर नाश्ता करके रूख बिहार की तरफ़ कीजिए, वहाँ भागलपुर में जाकर उन दस हज़ार से अधिक मरने वाले परिवारों से कांग्रेस के बारे में उनकी राय ले लीजिए, और हाँ ये ज़रूर पूछिएगा कि राजीव गांधी कितना लोकतांत्रिक थे?
अभी थक गए आप, पर थोड़ा सा और मेहनत कीजिए। झारखंड, बंगाल होते हुए असम भी हो लीजिए। वहाँ जाकर नीले में मरने वाले लाखों इंसानों के परिवार वालों से पूछ लीजिए कि कांग्रेस ने उन्हें कितना प्यार दिया है।
थकना नहीं है मेरी जान… अभी आपको जयपुर होते हुये कश्मीर ले जाना चाहता हूँ। कुनान पोशपोरा की वो चींखें भी दिखाना चाहता हूँ, वहाँ उन औरतों से भी रुबरु कराना चाहता हूँ और पूछना चाहता हूँ कि आख़िर उनकी शादी आजतक क्यों नहीं हुई? उन्हें इस सेक्युलर कांग्रेस ने न्याय क्यों नहीं दिया?
हो सके तो लाखों अर्धविधवा औरतों से भी मिल लीजिए जिन्हें ये नहीं पता कि उनका पति ज़िंदा है कि मार दिया गया है।
जिस कर्नाटक में सरकार को लेकर आज संविधान की बात कर रहे हो उसी कर्नाटक के भटकल में आपको लेकर जाना चाहता हूँ, वहाँ जाइए और देखिए कि कैसे इसी सेक्युलर कांग्रेस ने उसे आतंक का माडल बना कर पेश किया था।
वापस दिल्ली आ जाइए और लुटियन ज़ोन से दस किलोमीटर दूर जामिया नगर की तरफ़ रूख कीजिए और उन लोगों से एक बार इस चमकते लोकतंत्र के बारे में पूछिए जिनके साथ दस साल पहले इसी कांग्रेस ने ज़ुल्म और आतंक की सारी हदें पार कर दी थी, जो लोग अपना घर-परिवार छोड़कर भाग गए थे।
अब आप कांग्रेस में लोकतंत्र खोजते खोजते ज़्यादा थक गए होंगे, बीजेपी नामक डर की दवा खाकर आराम कर लीजिए।
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