क्या मोदी विरोध की कीमत चुका रहे हैं पूर्व IPS संजीव भट्ट?

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एक तरफ विपक्ष एकजुट होने में लगा है तो वहीं दूसरी तरफ पूरे देश में केंद्र सरकार और भाजपा की आलोचना करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और आलोचकों को गिरफ्तार किया जा रहा है.
लेखकों और मनाव अधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के बाद अब गुजरात में इस तरह का नज़ारा सामने आया है, पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट समेत सात लोगों को 20 साल पुराने एक मामले में बुधवार को हिरासत में लिया गया है.
इससे पहले महाराष्ट्र की भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोप में पुणे पुलिस ने पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. गिरफ़्तार किये गए लोग मोदी सरकार के आलोचक थे.
बताया जा रहा है कि संजीव भट्ट को 1998 में पालनपुर में मादक पदार्थों की खेती के एक मामले में अरेस्‍ट किया गया है. 1998 में संजीव भट्ट बनासकांठा के डीसीपी थे. संजीव भट्ट के अलावा छह अन्‍य लोगों को भी इस मामले में हिरासत में लिया गया है.
ज्ञात होकि संजीव भट्ट गुजरात सरकार में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्हें नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में बर्खास्त कर दिया गया था. भट्ट को अहमदाबाद में सरकारी गाड़ी और पुलिस कमांडो का इस्तेमाल करने की वजह से बर्खास्त किया गया.
भट्ट गुजरात दंगों के संदर्भ में पीएम नरेंद्र मोदी के विरोध को लेकर चर्चा में रहे हैं. जिस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे, भट्ट ने उन्हें दंगे का आरोपी बताया था. भट्ट के मुताबिक वह उस मीटिंग में मौजूद थे, जिसमें मोदी ने कहा कि हिंदुओं को बदला लेने का मौका दिया जाना चाहिए.

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