एक और पूरा साल बीत गया है और अगर और बचे दिनों को छोड़ दें तो लगभग चार साल का अरसा बीत गया है,चार साल पहले ही देश मे नई सरकार ने क़दम रखा था और ये सरकार प्रचंड बहुमत के साथ आई थी और इसका पूरा श्रेय अगर किसी को दिया गया था या अब भी दिया जाता है तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।लेकिन क्या कोई ऐसा चेहरा है या दल है जो नरेंद्र मोदी के सामने खड़ा हो या टिका हो? आइये गौर करते है।
पिछले लगभग साढ़े तीन साल की सरकार का वक़्त गुज़र चुका है और इस वक़्त में अगर दिल्ली को छोड़ दें और अभी हाल ही में पंजाब को छोड़ दें तो हर एक तरफ एनडीए की सरकारें है और कुल मिलाकर देखें तो देश के 19 राज्यों में भाजपा या उसके गठबंधन की सरकारें है,और सबसे ज़्यादा गौर करने की बात ये है कि इसमें गुजरात,राजस्थान, मध्यप्रदेश ओर उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार राज्य शामिल है और आने वाले वक़्त में भाजपा अगर दक्षिण में भी कमल खिला दें तो हैरत नही होनी चाहिए।
इसके बाद बात बस ये रह जाती है भाजपा जिस रथ पर सवार है और वो भी जीएसटी और नोटबन्दी जैसे बहुत बड़े और कड़े कदम उठाए जाने के बावजूद तो ज़रूर देश की बहुत बडी तादाद ऐसी है जो तमाम परेशानियों के बाद भी भाजपा पर या यूं कहें नरेंद्र मोदी पर अब भी भरोसा जताए है,क्योंकि अगर कोई परेशानी होती है कोई शिकायतें होती है तो ज़रूर चुनावों में नज़र आती मगर नरेन्द्र मोदी के खिलाफ खड़े हो कर वोट दिया जाता और सरकारें बदलती मगर ऐसा ज़रा भी नही हुआ।
इसके बाद भी अहम बात ये की भाजपा या कुल नरेंद्र मोदी के सामने खड़ा कौन है? कुल मिलाकर अगर कहें तो ये सिर्फ कांग्रेस ही होगी और अब उनके “युवा” नेता राहुल गांधी ही होंगे क्योंकि भाजपा के अलावा एक ही राष्ट्रीय दल है जो मौजूद है मगर फिर सवाल ये है की कितना? तो अगर गुजरात को लेकर बात करें तो हां उम्मीद और रमक अभी बाकी है और इसे हम “विपक्ष” कह सकतें है लेकिन इसे आगे ले जाया जाना चुनोतियों से भरा होगा।
क्योंकि तमाम वैचारिक मतभेदों को अगर परे रखें और मौजूदा राजनीतिक हालात पर नज़र घुमाएं तो नरेंद्र मोदी जैसा “बड़ा” लीडर अभी कोई नही है वो अलग बात है कि अभी लोकसभा चुनावों के बचे डेढ़ सालों में राहुल गांधी का चेहरा कितना चर्चित हो जाएं या विपक्ष के एकजुट होने पर कोई चेहरा निकल आये और ज़रूर नरेंद्र मोदी को चुनोती देता नज़र आये और आना भी चाहिए मगर फिलहाल कोई ऐसा चेहरा नही है।
क्योंकि जो चेहरा जीएसटी, नोटबन्दी जैसे देशव्यापी फैसलें लेने के बाद भी तमाम चुनावों में जीत दिला सकता है उसकों आप बिना ज़मीन पर उतरे और उसके जितना बड़ा बनकर कमज़ोर नही कर सकतें है क्योंकि “चेहरा” होना इस देश की आस है फिर चाहें वो नेहरू जी हो,इंदिरा जी हो अटल जी या अब नरेंद्र मोदी बाकी डेढ़ साल में क्या होता है ये अभी बाकी है।
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