इनके आने के तो कुछ और ही माने होंगे !
जाने मयख़ाने के, कितने ही बहाने होंगे !
हमने पर्वत से ही नाले भी निकलते देखे !
हर जगह तो नहीं , गंगा के मुहाने होंगे !
धन कमाना हो खूब,मीडिया में आ जाएँ
एक राजा के ही बस, ढोल बजाने होंगे !
सोंच में हो मेरे सरकार,तो कह ही डालो
आज भी अनकहे कुछ वाण चलाने होंगे !
राज आचार में, सौजन्य मुखौटा ही नहीं
कुछ मुसलमान भी, सीने से लगाने होंगे !
सतीश सक्सेना