किसान बेटा जब बोल उठेगा
जिस दिन किसान का बेटा बोल उठेगा….
दिल्ली का सिंहासन डोल उठेगा….
मिट्टी में मिल जायेंगे तख्तो ताज तुम्हारे…
जिस दिन किसान का बेटा भी, किसान एकता बोल उठेगा….!!
अभी रो रहा है,वो बात बात पे…
अभी सो रहा है ,वो दिल्ली घाट पे..
अभी गुमराह ही रहा है,वो बात बात पे..
पर जिस दिन वो बोल उठेगा….
दिल्ली का सिंहासन डोल उठेगा…!!!
अभी व्यस्त है,वो रेतों में..
अभी व्यस्त है,वो खेतो में..
अभी व्यस्त है,वो वादों में..
अभी व्यस्त है,वो रातो में..
पर जिस दिन वो बोल उठेगा..
दिल्ली का सिंहासन डोल उठेगा..!!!
जिस दिन वो अपने हक जान जायेगा..
जिस दिन वो अपने हक मांग पायेगा..
जिस दिन वो अपनी बुलन्द आवाज में बोल पायेगा…
दिल्ली वालो से #खिलाफत कर जायेगा…
आखिर में एक दिन परेशान किसान बेटा बोल उठेगा..
और एक बार फिर दिल्ली का सिंहासन डोल उठेगा..!!
‘विनोद रुलानिया’