भारतीय क्रिकेट जगत के महान आलराउंडर कपिल देव का जन्म आज ही के दिन 6 जनवरी 1959 को हुआ था.आज उनका 59वां जन्मदिवस हैं.उन्होंने क्रिकेट में भारत को एक नयी पहचान दी और भारत को क्रिकेट की नयी बुलंदियों तक पहुँचाया . उनकी कप्तानी में ही 1983 में भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता था.चलिए आज उनके जन्मदिन पर 1983 के वर्ल्ड कप में खेली गयी 175 रनों की पारी के बारे में बताते हैं.
8 जून, 1983 को तीसरे विश्व कप के अंतर्गत टेंटब्रिज वेल्स में भारत तथा जिम्बॉब्वे के बीच मुकाबला था.इस मैच के प्रति दर्शकों में कोई उत्साह नहीं था, क्योंकि जिम्बॉब्वे को उस समय टेस्ट टीम का दर्जा प्राप्त नहीं था और एक दिवसीय क्रिकेट के नजरिए से भारतीय टीम की गिनती बेहद कमजोर टीमों में होती थी.
दो निम्न दर्जे की टीमों के बीच होने वाले मुकाबले को देखने थोड़े-बहुत दर्शक जमा थे, लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि वे अत्यंत भाग्यशाली हैं और थोड़ी देर बाद कपिल देव उनके सामने इतिहास रचने वाले हैं.
उस दिन 22 गज की पट्टी पर जो हुआ वह लाजवाब था.उस लम्हें को दोबारा नहीं जिया जा सकता.मैदान में जो भी मौजूद थे वे आज तक खुद को खुशकिस्मत मानते होंगे.उन्होंने जो देखा वह दूसरा कोई नहीं देख पाया.आपको जानकार हैरानी होगी कि उस दिन बीबीसी की हड़ताल थी जिसकी वजह से उस मैच की रिकॉर्डिंग नही की जा सकी.मैदान पर कोई कैमरा भी नहीं था जो उन शानदार लम्हों को कैद कर सके.और अफ़सोस की बात की यह पारी सिर्फ स्कोरबुक में दर्ज होकर रह गई.
अपना पहला वर्ल्ड कप खेलने उतरी जिम्बाब्वे ने भारत को परेशानी में डाल दिया था.भारत के 9 रनों पर चार बल्लेबाज पविलियन लौट चुके थे.तब मैदान पर उतरे कप्तान कपिल देव निखंज.17 के स्कोर पर भारत का पांचवां विकेट गिरा. जाहिराना तौर पर बल्लेबाजी आसान नहीं लग रही थी.लेकिन कपिल तो जैसे कुछ और ही ठानकर आए थे.उन्होंने अलग ही स्तर पर बल्लेबाजी की.उनकी बैटिंग में कमाल की एकाग्रता,खूबसूरती और आक्रामकता थी. कपिल की पारी के दम पर भारत ने 266/8 का स्कोर खड़ा कर दिया.
कपिल ने 175 रनों की जो पारी खेली वह भारतीय वनडे इतिहास में पहले कभी नहीं खेली गई थी.इस पारी ने भारत को भरोसा दिया टूर्नमेंट में आगे बढ़ने का.कपिल को अपनी पारी के दौरान सैयद किरमानी का बहुत साथ मिला.किरमानी ने 24 रन बनाए. दोनों ने मिलकर नौवें विकेट के लिए रेकॉर्ड साझेदारी की.कपिल 49वें ओवर में अपनी सेंचुरी पर पहुंचे.अगले 11 ओवर में कपिल ने 75 रन और बनाए. कपिल ने 17 चौके और छः गगनचुंबी छक्के लगाए.कपिल जब पैवेलियन लौटे तो उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ.दर्शकों के तालियां बजा-बजाकर हाथ दुःखने लगे थे और चिल्ला-चिल्लाकर गला बैठ गया था.
भारतीय गेंदबाजों ने उस स्कोर को आसानी से डिफेंड कर लिया.मदन लाल ने 42 रन देकर तीन विकेट लिए.रवि शास्त्री के अलावा, जिन्होंने सिर्फ एक ओवर फेंका था, सबने विकेट लिए.कपिल ने नंबर 11 जॉन ट्रायस को आउट भी किया.
विश्व कप के हर प्रसंग पर ‘कपिल देव’ की सेना का 35 बरस पहले किया कारनामा याद आना लाजमी भी है, क्योंकि यही कारनामा हर विश्व कप में भारतीय टीम को प्रेरित भी करता है.उनकी इस पारी ने भारतीय टीम का खूब हौंसला बढाया,नतीजतन कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर प्रुडेंशियल विश्व कप को पहली बार अपनी झोली में डाला.
0