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जनहित की बात करने की जगह, कब तक ये ज़हर परोसा जाता रहेगा

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हमारे देश का माहौल दिन ब दिन ख़राब होता जा रहा है। कहने को तो यहाँ लोकतंत्र है पर दरअसल भेड़िया तंत्र है। अब यहाँ जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। जबसे केंद्र में मोदी सरकार आयी है। हमारे P.M साहब भले ही कहते हो की हमें 125 करोड़ को साथ ले कर चलना है और सबका साथ ,सबका विकास, लेकिन मामला कुछ और दिखाई दे रहा है। लोकतंत्र के रास्ते फासीवाद मज़बूत हो रहा है। सारी संस्थाओं का भगवाकरण हो रहा है। नारंगी ताकतें मज़बूत हो रही हैं और भाजपा और संघ के अनुषांगिक संगठन बजरंग दल, हिन्दू युवा वाहिनी ,दुर्गा वाहिनी से ले कर सनातन संस्था और दर्जनों गो रक्षक संघ वालो का आतंक बढ़ गया है। जीत के नशे में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में जुलूस निकलते वक्त युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने पुलिस जीप पर कब्ज़ा कर लिया। तमाम थानों में उनके नेता जाते हैं और पुलिस वालों को धमकी देते हैं ,अपनी मनमानी करते हैं। ट्रांसफर की धमकी देते हैं। कई दारोग़ा और कांस्टेबल की हत्या हो चुकी है। एंटी रोमियो स्क्वाड के नाम पर पुलिस के बजाये युवा वाहिनी और बजरंग दल के लोग कपल को बेइज़्ज़त कर रहे हैं। कई भाई बहन और पति पत्नी भी ग़लतफ़हमी में इनका शिकार हो गए। रामनवमी के त्यौहार और जुलूस के नाम पर झारखण्ड , बंगाल , ओडिसा उत्तर प्रदेश में शक्ति प्रदर्शन किया गया। जुलुस में घातक हथियार शामिल किये गए उत्तेजक और भड़काऊं नारे लगाये गए। मस्जिदों के सामने हुड़दंग किया गया। कई जगह मस्जिदो पर भगवा झंडे लगाये गए। ये सब क्या हो रहा है। क्या लोकतंत्र का यही मतलब है कि एक चुनी हुई सरकार के प्रतिनिधि , कार्यकर्त्ता और नेता गुंडागर्दी पर उतर आये और दंगा, फ़साद कराएं.अभी उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के नेता ने ममता बनर्जी का सर काट कर लाने वाले को 11 लाख इनाम देने की घोषणा की है। साध्वी प्राची ,साक्षी महाराज तो बराबर ज़हर उगलते रहते हैं। तेलंगाना के भाजपा विधायक राजा सिंह ने भी राम मंदिर बनने में रुकावट बनने वाले का सर कलम किये जाने की धमकी दी है। गोरक्षा के नाम पर गौ आतंकियों को खुली छूट मिली हुई है। इन सब हरकतों का विरोध ना करना और विरोधी दलो की खामोशी भी खलने वाली है। देश साम्प्रदायिकता का शिकार होता है, तो कांग्रेस , समाजवादी बहुजन और कम्युनिष्ट पार्टियां भी ज़िम्मेदार होंगी। हालात ये है कि किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं और पार्लियामेंट के सामने नग्न प्रदर्शन कर रहे हैं ,लेकिन यहाँ जनहित में काम करने के बजाये विकास के नाम पर विनाश का खेल खेला जा रहा है और देश का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी उत्तेजना और सनसनी फैला रहा है। नेगेटिव इश्यूज पर बहस करा कर समाज में ज़हर घोल रहा है और पूंजीपतियों को देश की आम जनता को आर्थिक गुलाम बनाने में मदद कर रहा है।

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