भारत में सितंबर से बच्चों को वैक्सीन मिलने की उम्मीद

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Ankit Swetav

दुनिया भर में जहां एक तरफ करुणा की दूसरी लहर का खतरा कम होता दिख रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसकी तीसरी लहर की चर्चा तेज हो गई है। भारत के परिपेक्ष में, अक्टूबर महीने में तीसरी लहर के आने की उम्मीद जताई जा रही है।

इसी बीच, 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के वैक्सीनेशन का अभियान जोर – शोर से चल रहा है। मगर तीसरी लहर में 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों को अधिक प्रभावित होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। इसलिए बच्चों की वैक्सीनस का अप्रूवल अगस्त – सितंबर महीने तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

दो वैक्सीनस का ट्रायल पूरा, एक का अगले महीने अप्रूवल – डॉ. रणदीप गुलेरिया

दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने एनडीटीवी के हवाले से देशवासियों को बच्चों के वैक्सीनेशन से जुड़ी जानकारियों को साझा किया। उन्होंने बताया कि, “भारत में बच्चों को कोरोना वैक्सीन सितंबर महीने से दी जा सकती है। जाएडस वैक्सीन के ट्रायल पूरे कर लिए गए हैं। इसके इमरजेंसी ऑथराइजेशन का इंतजार है। भारत बायोटेक के कोवैक्सीन का ट्रायल अगस्त – सितंबर तक पूरा करके इसे अप्रूवल भी दे दिया जाएगा। फाइजर वैक्सीन को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने पहले ही अप्रूव कर दिया है।

आगे उन्होंने बताया कि, “बच्चों के वैक्सीनेटेड होने से ट्रांसमिशन चेन तोड़ने में मदद मिलेगी। इससे कोरोना की रफ्तार को भी कम किया जा सकेगा।”

बच्चों से है संक्रमण का खतरा

‘द लैंसेट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 11 से 17 साल के बच्चों से कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा है। तीसरी लहर बच्चों को ही अधिक प्रभावित कर सकती है। बच्चों के साथ रहने वाले बड़े बुजुर्गों को संक्रमण का खतरा लगभग 20 – 30 % तक बढ़ जाता है।

कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर तक संभावित

कोरोना की तीसरी लहर पहले के दो लहरों से कम खतरनाक बताई जा रही है। हाल में हुए सीरो सर्वे के अनुसार देश के लगभग दो तिहाई जनसंख्या में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज बन चुकी है। देश में अब तक 42 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इन लोगों को तीसरी लहर से बहुत कम खतरा है।

डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, “कोरोना की तीसरी लहर को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। उम्मीद है कि यह पहले की तुलना में कम प्रभावी होगी।”

तीसरी लहर से खुद को बचाने के लिए एकमात्र उपाय कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना है। “सामाजिक दूरी, मास्क और वैक्सीनेशन जरूरी” का फार्मूला बेहद आवश्यक है, चाहे कोरोना का पहला लहर हो या पांचवा।