कृषि कानूनों को एक साल हो गया है पर किसान जहां था वहीं है – शांतनु चौहान

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आज से ठीक एक साल पहले 5 जून 2020 को किसान विरोधी तीन काले कृषि अध्यादेश सरकार लेकर आई थी। एक साल बीत गया, किसान वही का यही है।

गर्मी-सर्दी-धूपबारिश या फिर कोरोना महामारी, सबसे जूझता हुआ, लड़ता हुआ देश का अन्नदाता सरकार तक अपना दर्द पहुंचाने की हर कोशिश कर रहा है।

आज इन काले कानूनों की बरसी पर सरकार को अपनी हट छोड़ कर जनता के हित में हमारे अन्नदाता के हित में ये निर्णय को वापस लेकर इन कानूनों को खारिज कर देना चाहिए। 62 करोड़ असाह किसान-मजदूरों की पीड़ा सुन लेनी चाहिए।

लोकतंत्र जनता का जनता के लिए और जनता द्वारा शासन प्रामाणिक मानी जाती है। लोकतंत्र में जनता ही सत्ताधारी होती है, उसकी अनुमति से शासन होता है, उसकी प्रगति ही शासन का एकमात्र लक्ष्य माना जाता है।

हमारी सरकार से मांग है कि एक साल से अपने घरों से दूर, सड़कों पर बैठे हमारे अन्नदाता के दर्द को सुने, उनकी मांग पूरी करें और तीन काले कानून वापिस लें।

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