बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। लेकिन अब बीजेपी के खुद के विधायक उसे डबल शॉक देने के मूड में हैं। दरअसल, ममता दीदी की जीत के बाद से ही टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए विधायकों में से अधिकतर दोबारा घर वापसी करने की तैयारी करते हुए नजर आ रहे हैं। शुभेंदुर अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी। लेकिन जो विधायक बीजेपी की जीत का अनुमान लगा रहे थे, उनकी सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया, अब जब टीएमसी सत्ता में एक बार फिर वापिसी कर चुकी है तो बीजेपी में शामिल विधायक फिर से दीदी के खेमे में जा सकते हैं।
मीटिंग में न पहुंच कर 24 विधायकों ने दिए संकेत
पश्चिम बंगाल में इस घर वापसी को रोकने के लिए बीजेपी ऐड़ी–चोटी तक जोर लगा रही है, पर कुछ बात बनती नहीं दिख रही। बंगाल चुनाव के बाद हो रही हिंसा के बारे में राज्यपाल को अवगत कराने के लिए शुबेंदु अधिकारी ने सोमवार को एक मीटिंग रखी थी। इस मीटिंग में सभी विधायकों को अनिवार्य रूप से मौजूद रहने को कहा था। लेकिन कल सोमवार को कुल 24 विधायक इस मीटिंग में से अनुपस्थित रहे। इस मीटिंग के बाद से बंगाल राजनीति में बीजेपी विधायकों के रिवर्स माइग्रेशन की अटकलें जोर पकड़ने लगी हैं।
कई विधायक दीदी के खेमे में वापस जाना चाहते हैं।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को कई विधायक टीएमसी पार्टी के संपर्क में हैं। इससे पहले भी मुकुल रॉय वापस तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि राजीव बैनर्जी, दीपेंदु बिस्वास और सुभ्रांशु रॉय समेत कई अन्य नेता जल्दी ही टीएमसी में वापस जा सकते हैं। आपको बता दें कि मुकुल रॉय बीजेपी के टिकट से कृष्णानगर से चुनाव लडे और जीत भी हासिल की।
30 विधायकों से संपर्क में है टीएमसी
इसी मसले पर बंगाल की मुख्यमंत्री खुले तौर पर पहले भी ये बात कह चुकी हैं कि पार्टी उन लोगों के मामले पर विचार करेगी, जो मुकुल रॉय के बीजेपी में शामिल हुए थे, और अब टीएमसी में वापस आना चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट के हवाले टीएमसी के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल 30 से ज्यादा विधायक टीएमसी के संपर्क में हैं। मुकुल रॉय की वापसी से पहले सोनाली गुहा और दीपेंदु बिस्वास खुल कर टीएमसी में वापस जाने की बात कह चुके हैं।
शुभेंदू अधिकारी को नेता के तौर पर नहीं मिल रही स्वीकार्यता
मीडिया रिपोर्ट के ही मुताबिक इस रिवर्स माइग्रेशन का एक बड़ा फैक्टर ये भी माना जा रहा है कि बीजेपी में हुए टीएमसी के नेताओं में से कई लोग शभेंदु अधिकारी को अपने प्रमुख नेता के तौर पर स्वीकार नहीं करना चाहते। इसीलिए इस रिवर्स माइग्रेशन को रोकना भी के लिए काफी मुश्किल होता दिख रहा है।