आज डॉलर 70 के पार चला गया। रुपया डॉलर के सामने थोड़ा और झुक गया। कोई रुपये के पीछे फिर से छिप गया। एक डॉलर की कीमत 70.07 रुपये हो गई है। सोमवार को ट्रम्प का डॉलर 70 टच करते करते रह गया। कमर झुका कर, हाथ खींच कर अंगूठे तक ले भी गया तो भी 69.993 रुपये तक ही पहुंचा। एक डॉलर का यह नया दाम है। नया इतिहास भी। रुपया इतना कभी नहीं गिरा।
यह अच्छी ख़बर नहीं है। अमरीका में पढ़ने वाले छात्र लिख रहे हैं कि उनका बजट 3-5 लाख बढ़ गया है। बहुत से छात्र अमीर नहीं है। भारत की घटिया शिक्षा प्रणाली से तंग आकर कुछ लोन लेकर, कुछ छात्रवृत्ति पाकर वहां गए हैं। अमरीका में रहने वाले राष्ट्रवादी एन आर आई ऐसे छात्रों की मदद के लिए आगे आएं। कुछ डॉलर जमाकर भारतीय छात्रों की मदद करें।
ये छात्र मुझसे कह रहे हैं कि मैं इस पर प्राइम टाइम करूं। बहुत मुश्किल हो गया है वहां पर रहना। मुझे समझ नहीं आ रहा कि इसके लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराऊं। जो जनता यहां है वो अमरीका जाने वालों से खार खाए रहती है। वो उल्टा उसे भी और मुझे भी बुरा-भला कहेगी। कहेगी कि कौन बोला था अमरीका जाकर पढ़ने के लिए। पर मैं बुरा-भला कहने वालों से इतना ज़रूर कहूंगा कि मौका मिले तो अपने बच्चे को अमरीका की बेहतरीन यूनिवर्सिटी में ज़रूर भेजना। बहुत से मंत्री वहीं से पढ़ कर आए हैं और बहुत से मंत्रियों के बच्चे वहीं पढ़ रहे हैं। इसलिए राष्ट्रवाद के चक्कर में उन यूनिवर्सिटी से दुश्मनी मत पाल लेना।
सरकार के अलावा रामदेव और रविशंकर से कह सकता हूं मगर उन्होंने 2014 के पहले कहा था कि रुपये के सामने डॉलर 30-40 रुपए का हो जाएगा। हुआ नहीं। 2014 के बाद इन दोनों ने भी इस पर कुछ कहा नहीं। कितना पुरानी बातों को याद दिलाते रहें। चुनाव जीतना था तो बीजेपी के नेता रुपये के दाम में गिरावट को राष्ट्र के स्वाभिमान से जोड़ते थे, अब चुप रहते हैं। उन्हें पता चल गया है कि उल्लू बनाने का रीचार्ज कराने की ज़रूरत नहीं है। जो एक बार उल्लू बनता है वो कई बार के लिए बना रहता है। वैसे भी अब बिना बनाए ही बन रहे हैं तो क्यों बार बार रुपये और डॉलर को लेकर बोलते रहना है।
रुपया गिरते रहेगा। आप बोलते रहेंगे। सरकार चुप रहेगी। फिर रुपया चढ़ेगा। सरकार बोलती रहेगी। आप चुप रहेंगे। इसी में आपका टाइम कट जाएगा। हमारा टाइम कट जाएगा।