इमरान मसूद 2017 के विधानसभा चुनाव में नकुड़ विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ें और 90 हज़ार वोट लेकर दूसरे नम्बर पर रहे। 2012 में भी नकुड़ विधानसभा से चुनाव लड़ें और 84 हज़ार वोट लेकर सिर्फ 5 हज़ार वोटों से चुनाव हारें। 2014 के लोकसभा चुनावों में जहां देश भर में नरेंद्र मोदी का डंका बज रहा था तब भी ये नेता 4 लाख से ज़्यादा वोट ले कर आया था मगर हार भी गया था।
जिस नेता का यहां ज़िक्र हो रहा है वो हैं इमरान मसूद,जो पिछले 14 सालों से लगातार चुनाव हार रहा है लेकिन सहारनपुर ज़िलें में कौन हारता है ये कौन जीतता है इसे बहुत हद तय करने में इस शख़्स की ज़िम्मेदारी हमेशा बनी रहती है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और दिल्ली राज्य के सहप्रभारी इमरान मसूद के बारे में कहा जाता है कि ये चुनाव हारें ये जीतें ये जनता से कभी दूर नहीं रहते हैं।
इमरान मसूद वेस्ट यूपी के सबसे कद्दावर नेता क़ाज़ी रशीद मसूद के भतीजे हैं जिन्हें मुलायम सिंह यादव ने 2007 में उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ाया था और वो खुद भी कई बार लोकसभा और विधानसभा के मेंबर रहे हैं। उन्हें सहारनपुर की राजनीति की यूनिवर्सिटी कहा जाता था।इमरान मसूद उन्हीं की छत्रछाया में रह कर सियासत का ककहरा सीख कर आज इस स्थान पर पहुंचें हैं।
इमरान 2007 में निर्दलीय चुनाव लड़ें और जीत गए।
2007 में मुज़फ़्फ़राबाद विधानसभा से इमरान ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा था और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जगदीश राणा को हरा कर वो विधानसभा पहुंच गए थे। लेकिन चुनौतियों से जैसे उनका साथ पुराना है। तब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार आ गयी और एक विवाद और टकराव के चलते हुए उन पर बहुत सारे मुकदमे चस्पा कर दिए मगर इमरान डटे रहें ।
2012 के चुनाव आते आते उनकी सीट “बेहट” हो गयी लेकिन इमरान ने उस सीट की जगह नकुड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा हालांकि इमरान मसूद ये चुनाव हार गए ये चुनाव इन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। कहा ये भी गया था कि चुनाव हार जाने के बाद भी उनको मुलायम सिंह यादव ने सरकार में शामिल होने का ऑफर दिया था मगर उन्होंने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा था।
इमरान मसूद ही वो शख्स हैं जिनके बारे में जीते हुए सहारनपुर के विधायक कहते हैं कि “हमें विधायक इमरान मसूद ने बनाया है” ये राजनीति का यूं कहें सहारनपुर की राजनीति का अलग ग्रामर है जहां दूसरों को विधायक बनाने वाले इमरान खुद चुनाव हार जाते हैं मगर उनके दमखम और कोशिश से और नेता चुनाव जीत जाते हैं।
ऐसा लगातार 2012,2014 और 2017 से लेकर अब 2019 तक लगातार हो रहा है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि कांग्रेस ने इन पर लगातार भरोसा जताते हुए सम्मान दिया है और उसकी वजह उनका खुद का जनाधार होना भी है।
कैसे हैं इमरान मसूद जनता के साथ?
एक सीनियर पत्रकार के साथ जब मैंने इमरान मसूद के बारे में बात की थी उन्होंने कहा था कि “एक बार मेरी गाड़ी रात को 2 बजे खराब हो गयी तो इमरान मसूद को मैंने मदद के लिये कॉल किया,तो उन्होनें मेरी पूरी मदद की और जब तक मेरी परेशानी हल नहीं हो गयी वो लगातार मेरे साथ कनेक्ट रहें ये सब इमरान के रेगुलर शेड्यूल का हिस्सा है और वो ऐसे ही लोगों की मदद में लगे भी रहते हैं”
इमरान खुद अपने एक इंटरव्यू में अपने बारे में कहते हैं “इमरान मसूद वो नहीं है जो मीडिया बताती है कि क्योंकि अगर मीडिया के बताए इमरान को जानने की आप कोशिश करेंगे तो वो इमरान तो तालिबान से भी ज़्यादा खतरनाक होगा, असल इमरान का जन्म सहारनपुर में इत्तेहाद पैदा करने के लिए हुआ है। मैं वो शख़्स हूँ जो सहारनपुर शहर के अंदर सांप्रदायिक तनाव को मैंने अपने दम पर रोका था”
सहारनपुर के मो. हामिद बताते हैं कि इमरान मसूद सहारनपुर की राजनीति का एक ऐसा चेहरा हैं जो लगातार चुनाव हारने के बाद भी जनता के बीच रहकर काम करते हैं उनकी हर समस्याओं को हल करने की कोशिश करते हैंऔर यही बात उनको जिले के आम नेताओं से अलग बनाती है।
जिले में उनकी राजनीतिक पकड़ का अंदाजा इस बात से बखूबी लगाया जा सकता है के 2017 के विधान सभा चुनाव में जिले की सात सीटों में से 2 पर कांग्रेस और एक पर सपा सिर्फ उनके नाम पर जीत कर आई थी ।
उसके बाद 2019 के लोकसभा इलेक्शन में जब चारों तरफ गठबंधन के प्रत्याशी का बोल बाला था लोगों को लगता था की इमरान एक लाख भी पार नहीं कर पाएगी ऐसे वक्त में भी 2 लाख 10 हजार वोट लेकर जाना उनके प्रति लोगों की दीवानगी को साबित करता है । सच कहूं तो अगर पश्चिमी में यूपी में कांग्रेस जिंदा है तो उसकी सबसे बडी वजह इमरान हे अगर इमरान आज कांग्रेस छोड़ दें तो कांग्रेस का नाम लेने वाला भी नहीं बचेगा।
2022 में क्या है इमरान की तैयारी?
कुछ महीनों पहले ये खबर बहुत तेज़ी से उड़ी की इमरान मसूद बहुत जल्द समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे जिसके बाद वेस्ट यूपी की राजनीति में खलबली मच गई क्योंकि इससे समाजवादी पार्टी के नेताओं में टेंशन बढ़ गयी थी। मगर ऐसा हुआ नहीं,लेकिन सूत्र ये बताते हैं कि ऐसा होते होते रह गया था। इस खबर के बाद आनन फानन मे उन्हें दिल्ली प्रदेश का सहप्रभारी बना दिया गया था।
सहारनपुर ज़िलें की किसी भी एक सीट से इमरान मसूद 2022 में फिर से चुनाव लड़ेंगें और उनकी पूरी कोशिश ये रहेगी कि वो इस बार विधानसभा पहुंच जाएं क्यूंकि राजनीति में कब कौनसा नाम कब धुंधला पड़ जाए इस बारे मे कुछ कह पाना आसान नहीं होता है। इसलिए 15 सालों के इस सूखे का ख़त्म होना इमरान मसूद का जीतना उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।