देश में ख़ास तौर से उत्तर भारत के राज्य हरियाणा, उत्तरप्रदेश दिल्ली में नफ़रत का स्तर का अंदाज़ा आप इस खबर से लगा सकते हैं. क्या ये आपको वसुधैव कुटुम्बकम वाले लोग नज़र आते हैं. जिस क्षेत्र में ये सब संघी तालिबानी फरमान जारी हुआ है, उस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय आर्थिक और सामजिक रूप से एक कमज़ोर समुदाय है.
कुछ दिन पूर्व की एक और खबर है, जोकि हरियाणा के ही गुरुग्राम (गुड़गांव) से है. नगर निगम का अमला मस्जिद सील कर देता है. हिंदूवादी संगठनों की शिकायत के बाद मस्जिद सील करने पर जब नगर निगम से पुछा जाता है. तो वो उसे प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण बताकर बात टालने की कोशिश करते हैं. जबकि वो जिसे प्रतिबंधित क्षेत्र बता रहे हैं, उसी क्षेत्र में और अन्दर की तरफ मंदिर और रहवासियों के मकान बने हुए हैं. कलेक्टर के आदेश के बाद भी मस्जिद की सील नहीं खोली जाती.
क्या समस्या है आपको मुस्लिमों से? क्या आपके दिमाग में नफरती ज़हर का स्तर अब खतरे के निशान को पार कर चुका है. आपको मुस्लिमों के नमाज़ पढने से दिक्कत, आपको उनके रोज़े से दिक्कत, क़ुर्बानी से दिक्कत. अब तो हद हो गई उनकी दाढ़ी और नाम से भी दिक्कत. अब आप फ़ैसला करने लगे हैं, कि हम क्या करें !
ये मत भूलिए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है, जहाँ पर सभी को अपने धर्म के पालन का मौलिक अधिकार प्राप्त है. आप अपनी नफरत की बिना पर एक पूरे के पूरे समुदाय के मौलिक अधिकार का हनन करने पर उतारूँ हैं.
खैर आप से शिकायत की भी जाये तो क्या ? नई पीढी में जब नफरत का ज़हर भरा जा रहा था, तब आप खामोशी के साथ उन ज़हरीली बातों को सर्टिफाईड कर रहे थे. देश में मोब लिंचिंग जैसे आम बात हो चली, उसे आम बनाने वाले आपकी खामोशी थी. आप अपने -अपने गाँवों और मुहल्लों में अगर इन नफरती चिंटूओं के झूठ के खिलाफ़ नई पीढी को आगाह करते. तो शायद इस भयावह बौद्धिक और सामजिक आपदा से आप देश को बचाते.
आप जिस तालिबान और लश्कर का नाम लेकर मुस्लिमों पर तंज़ कसा करते थे, अब आपके अपने बच्चे उसी के हिंदुत्व संस्करण को अपना चुके हैं. आतंकवाद का डर दिखाकर देश की बड़ी हिन्दू आबादी जो कि युवा है उसे मुस्लिमों के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया गया है. इस नफरती दौर में बस इतना कहूँगा कि अपने घरों की हिफाज़त करिए. क्योंकि भारत की बड़ी आबादी अब “हिंदू तालिबान ” बन चुकी है. फिर मिलेंगे जय हिन्द, जय भारत की एकता.