प्रणब मुखर्जी गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय पहुंचे. मुख्यालय में अपना बहुप्रतीक्षित भाषण देने से पहले प्रणब आरएसएस के संस्थापक डॉ. केबी हेडगेवार की जन्मस्थली पर गए और उन्हें श्रद्दांजलि अर्पित की. प्रणब मुखर्जी ने विजिटर बुक में हेडगेवार के बारे में अपने विचार भी जाहिर किए.
पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेसी नेता रहे प्रणब मुखर्जी ने विजिटर बुक में लिखा, ‘आज मैं यहां भारत माता के महान बेटे को सम्मान देने आया हूं.’ उन्होंने इस दौरान स्मारक बनाए गए हेडगेवार के जन्म स्थल पर हेडगेवार के चित्र पर फूल चढ़ाए और माल्यार्पण भी किया.
'Today I came here to pay my respect and homage to a great son of Mother India': Former President Dr.Pranab Mukherjee's message in the visitor's book at RSS founder KB Hedgewar's birthplace in Nagpur pic.twitter.com/ax76NCzJMa
— ANI (@ANI) June 7, 2018
कांग्रेस छोड़ उग्र हिंदुत्व की ओर क्यों गए थे हेडगेवार ?
डॉ. हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर के ब्राह्मण परिवार में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई नागपुर के नील सिटी हाईस्कूल में हुई. लेकिन, एक दिन स्कूल में वंदेमातरम गाने की वजह से उन्हें निष्कासित कर दिया गया. उसके बाद उनके भाइयों ने उन्हें पढ़ने के लिए यवतमाल और फिर पुणे भेजा. मैट्रिक के बाद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एस मूंजे ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोलकाता भेज दिया. यह बात 1910 की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1915 में नागपुर लौट आए.
आजादी की लड़ाई चल रही थी और हेडगेवार भी शुरुआती दिनों में कांग्रेस में शामिल हो गए. 1921 के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और एक साल जेल में बिताया. लेकिन, मिस्र के घटनाक्रम के बाद भारत में शुरू हुए धार्मिक-राजनीतिक खिलाफत आंदोलन के बाद उनका कांग्रेस से मन खिन्न हो गया. 1923 में सांप्रदायिक दंगों ने उन्हें पूरी तरह उग्र हिंदुत्व की ओर ढकेल दिया.
वह हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एस मुंजे के संपर्क में शुरू से थे. मुंजे के अलावा हेडगेवार के व्यक्तित्व पर बाल गंगाधर तिलक और विनायक दामोदर सावरकर का बड़ा प्रभाव था.
संघ के पादाधिकारियों ने किया स्वागत
बुधवार को जब प्रणब मुखर्जी नागपुर पहुंचे, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह भैयाजी ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया. उनके साथ नागपुर महानगर संघचालक राजेशजी लोया और विदर्भ प्रांत के सह कार्यवाह अतुल मोघे भी उपस्थित थे.
बेटी शर्मिष्ठा ने जताई नाराज़गी
पिता प्रणब मुखर्जी के आरएसएस कार्यक्रम में शामिल होने से उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी नाखुश हैं. उन्होंने प्रणब मुखर्जी को नसीहत दी है. शर्मिष्ठा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उम्मीद है आज कि घटना के बाद प्रणब मुखर्जी इस बात को मानेंगे कि बीजेपी किस हद तक गंदा खेल सकती है. उन्होंने लिखा कि यहां तक कि आरएसएस भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि भाषण तो भुला दिया जाएगा, लेकिन तस्वीरें बनी रहेंगी और उनको नकली बयानों के साथ प्रसारित किया जाएगा