क्या अब 2024 में भी खेला होबे?

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पश्चिम बंगाल के चुनावी परिणाम आने के बाद बहुत कुछ बदल गया है,जैसा अक्सर होता भी है कि राजनीतिक माहौल बदल जाता है। जो जीत जाता है वो बड़ा हो जाता है ।

जो हार जाता है उसका कद( राजनीतिक कद) छोटा हो जाता है। यही हुआ है पूर्व रेल मंत्री ओर लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी के साथ भी।

पश्चिम बंगाल में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत इस्तेमाल की,जिसमें तमाम केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तक वहां मोर्चा सम्भाले हुए थे।

बात तो यहां तक आ गयी थी कि भाजपा ने अपने मौजूदा सांसदों तक को मैदान में उतार दिया था,लेकिन हुआ इसके उलट ममता बनर्जी की पार्टी तीसरी बार सत्ता में आ गयी हैं और अब वो एक विराट नेता बन गयी हैं।

बस तभी से ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब ममता बनर्जी कुछ बड़ा करने वाली हैं? क्या अब ममता बनर्जी दिल्ली आएंगी? क्या अब ममता बनर्जी दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा नाम होंगीं? क्या अब वो नरेंद्र मोदी के खिलाफ चेहरा बनेंगीं?

क्यों हैं ममता बनर्जी की अहमियत?

ममता बनर्जी बीते 7 सालों में उन नेताओं में से एक हैं जो नरेंद्र मोदी के चेहरे के सामने टिक पाई हैं,और लगातार दूसरी बार अपने राज्य में सत्ता पर काबिज़ हुई हैं और वो भी पूर्ण बहुमत के साथ।

इसी वजह से ये सवाल उठना शुरू हो गए हैं इसी हफ्ते ममता बनर्जी का देश के बड़े बड़े नेताओं से दिल्ली में मिलना भी इसी तरफ बड़े सवाल खड़े कर रहा है कि वो क्या चाह रही हैं?।

असल मे ममता बनर्जी का सबसे बड़ा बयान ये है कि “कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों पर भरोसा करना चाहिए” और ये बयान ऐसे समय मे आया है जब उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं।

क्या केंद्र की राजनीति में फिर से लौटेंगी ममता?

केंद्र की राजनीति बीतें 2 लोकसभा चुनावों से अब तक भाजपा बनाम कांग्रेस होती रही है और इस मुकाबले में कांग्रेस भाजपा के सामने बहुत कमज़ोर हैं। इसमें कोई भी बात ढकी छुपी नही है।

ऐसा इसलिए होता रहा है क्यूंकि कांग्रेस के पास भाजपा के चेहरे नरेंद्र मोदी की तरह कोई भी बड़ा चेहरा नहीं था,और इसी वजह से भाजपा लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर इतिहास दर्ज कर पाई है।

असल मे ममता इसी मौके को बड़ा होते हुए देख रही हैं,वो खुद को बड़े चेहरे की तरह देख रही हैं और ऐसा दिखाना मामूली नही हैं । क्योंकि ममता उन नेताओं में से एक हैं वो डारेक्ट नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलती रही हैं।

इसीलिए ऐसे क़यास लगाए जा रहे हैं कि 2024 के आम चुनावों से पहले ही “यूपीए” में एक बड़ा अहम रोल निभाती हुई नजर आ सकती हैं। और हो या न हो ये एक बेहतरीन फार्मूला हो सकता है ।

क्या मान जाएगी कांग्रेस?

इसमें कोई भी शक़ की बात नही हैं कि कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है। तो ये सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस ममता बनर्जी को कोई बड़ा रोल निभाने देने के लिए आगे बढ़ा सकती है।

ये सवाल बहुत मुश्किल है,क्योंकि कांग्रेस जो पिछले 2 सालों से अब तक अपना अध्यक्ष नहीं चुन पाई है तो वो कैसे “गैर गांधी” को बड़ा नेता बना सकती है? बहरहाल हम सब जवाब ढूंढ रहे हैं,आप सभी भी ढूंढिये।

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