जेएनयू में नकाबपोश से लेकर जामिया यूनिवर्सिटी में गोली चलाने वाले गुंडों की हरकतों में आज दिल्ली का एक और शिक्षा संस्थान जुड़ गया, गार्गी कॉलेज। यह कॉलेज दिल्ली यूनियन का है और महिला कॉलेज है।
https://twitter.com/Saumyakul/status/1226248380256374785?s=20
वहां से खबर आ रही है कि, 6 फरवरी कॉलेज के एक फंक्शन में सैंकड़ों गुंडों द्वारा घुसकर छात्राओं पर हमला किया गया, यौन सम्बंधित आपत्तिजनक टिप्पणियां की गयी हैं और छात्राओं सहित शिक्षिकाओं के साथ भी अभद्र और आपत्तिजनक घिनौने शब्दों में उन्हें अपमानित और मारा पीटा गया है। यह खबर और यह प्रवत्ति भयावह है। क्योंकि यह कारनामा देश के किसी दूरस्थ गांव देहात का नहीं है, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित महिला कॉलेज का है। कई छात्राओं ने स्पष्ट रूप से यह आरोप लगाया है कि,
” यह हमलावर गुंडे पास में ही हो रही भाजपा की एक चुनावी सभा से आये थे, और सीएए के पक्ष में व जय श्री राम के नारे भी लगा रहे थे।”
जनचौक की एक खबर के अनुसार, इस घटना का पूरा ब्योरा एक लड़की ने अपने ब्लॉग पर दिया है। ब्लॉग में लिखा गया है कि ‘सभी जय श्रीराम का नारा लगा रहे थे। इससे हम लोगों को आभास हुआ कि सभी हिंदुत्व/बीजेपी से जुड़े हुए हैं। हम नहीं जानते कि यह कितना सही है। लेकिन डर के चलते कोई भी गवाह सामने नहीं आना चाहता है।’
एक छात्रा ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि ‘मैं छेड़छाड़ की बात की पुष्टि नहीं कर सकती। लेकिन शराब पिए हुए आदमियों का एक बड़ा समूह वहां पहुंचा था और उसने छात्रों के साथ जमकर मार-पीट की।’
छात्रों का कहना है कि यह समारोह तीन दिनों तक चलने वाला था। और घटना समारोह के तीसरे दिन हुई। हमलावर जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। और सभी सीएए समर्थक थे।
Students breaking the college gate and entering in the college #gargicollege pic.twitter.com/fUL4fFGzA0
— kryptomon (@rsv948) February 9, 2020
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो सभी ने शराब पी रखी थी। न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस ने इस घटना की पुष्टि की है। और उसके हवाले से आयी खबर में बताया गया है कि घटना के दौरान लड़कों ने लड़कियों को पीछे से पकड़ने के साथ ही हर तरह की बदतमीजी की। उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया। बताया जाता है कि पास स्थित ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन पर भी उनके साथ छेड़छाड़ की गयी।
जय श्रीराम अब गुंडई, आतंक और मुल्जिमों के अभिनंदन का आधिकारिक उद्घोष होता जा रहा है। इसे भी पिछले छह साल की एक उपलब्धि माना जाना चाहिए। अख़लाक़, पहलू खान की मॉब लिंचिंग हो, या कठुआ बलात्कारियों के बचाव की निन्दनीय रैली, या राजस्थान में शम्भू रैगर जो अपनी ही बहन के बलात्कार का अभियुक्त था, के समर्थन में न्यायालय पर चढ़ कर भगवा ध्वज फैलाने वाली भीड़, या बलात्कार के अभियुक्त चिन्मयानंद का हाईकोर्ट इलाहाबाद से जमानत पर छूटने के बाद स्वागत में उमड़े हुजूम, इन सबमे एक चीज हर जगह दिखी और सुनी गई, वह है भगवा ध्वज का फहराना और जय श्रीराम का उद्घोष। यह कौन सा सनातन धर्म है या यह कौन सा हिंदुत्व है, जिसे बचाने के लिये गुंडो, हत्यारों और बलात्कारियों का सहारा लेना पड़े। यह महान धर्म तो अपने ऊपर आये घोर संकट काल मे भी इतना दरिद्र और विपन्न नहीं रहा जितना इन भगवाधारी छद्म स्वार्थी हिन्दुओ ने इसे बना दिया है।
इससे भी चिंताजनक यह है, देश की सबसे प्रोफेशनल मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस आज एक राजनीतिक दल के उद्दंड और आपराधिक सोच के नेताओं की वर्दीधारी गिरोह बन कर रही है। इस पर क्या कार्यवाही की गयी यह पता नहीं है। 6 फरवरी को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था। यह घटना भी उसी दिन की है। पुलिस को अगर घटना का संज्ञान नहीं है, तो यह भी उसकी कमी है और अगर घटना की जानकारी है और कोई कार्यवाही नहीं की गयी है, तब तो यह कमी ही नहीं उसकी मौन संलिप्तता ही मानी जायेगी। अमूमन चुनाव प्रचार के दौरान आपराधिक घटनाओं में कमी आ जाती है। इसका कारण तमाम बेरोजगार और अपराधी तथा उद्दंड तत्वों का चुनाव के प्रचार में व्यस्त हो जाना औऱ पुलिस की गतिविधियों का बढ़ जाना होता है। लेकिन ऐसी उद्दंडता पूर्ण घटनाएं हो जाती हैं। उम्मीद है अब पुलिस गार्गी कॉलेज कांड में लिप्त गुंडों पर कुछ न कुछ उचित कार्यवाही ज़रूर करेगी।
यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली चुनाव को देखते हुये पूरा का पूरा मीडिया इस पर चुप्पी साध गया और आज चुनाव के बाद ही इसके बारे में थोड़ी सी कुछ खबर आई है। आज भी अधिकांश ने इसमें सीएए के पक्ष वालों की बात छिपा ली है। कॉलेज और विवि प्रशासन इस मामले पर खामोशी ओढ़े है । यह भी कुछ छात्राओं ने कहा है कि कॉलेज प्रशासन ने ही गेट खोलकर इन गुंडों और अराजक भीड़ को कॉलेज में घुसने दिया।
प्रिंसिपल प्रोमिला कुमार ने तो लड़कियों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। छात्राओं द्वारा सोशल मीडिया पर जो वर्णन मौजूद है, उसको पढ़ना भी, ऐसी मानसिकता के गुंडों के विरुद्ध भय और जुगुप्सा पैदा करता है। पर इन तथ्यों को जानना होगा कि आखिर इन उद्दंड जय श्रीराम के पवित्र उद्घोष का दुरुपयोग करके अपराध करने वाले गुंडो को प्रश्रय और बढ़ावा कौन दे रहा है। दिल्ली पुलिस का एक बेहद दक्ष प्रोफेशनल पुलिस से इन गुंडों के हमराह गरोह में हो रहा रूपांतरण, मेरे लिये दुःखद और आश्चर्यजनक दोनों है।
2014 के बाद देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों को आतंकित औऱ डिस्टर्ब करने की एक सोची समझी साजिश पर काम किया जा रहा है। विशेषकर उन संस्थानों में जो वैश्विक प्रसिद्धि के हैं और प्रगतिशील विचारों से प्रभावित हैं। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, बीएचयू, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, जामिया, एएमयू, जादवपुर, विश्वभारती, आईआईटी कानपुर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, आईआईएम आदि महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थानों को जो अमूमन धर्म की पिनक से थोड़ा दूर रहते हैं को आरएसएस और उसके छात्र संगठन विद्यार्थी परिषद ने डिस्टर्ब करने के लिये कई तिकड़म किये और अब भी कर रहे हैं। छात्र राजनीति करने का अधिकार विद्यार्थी परिषद को भी उतना ही है जितना कि किसी भी अन्य छात्र संगठन को है । लेकिन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यह वैचारिक प्रचार होना चाहिए, न कि सत्ता के सहारे और पुलिस के बल पर। विश्विद्यालय प्रशासन तो सत्ता के साथ हैं ही और अब जब उनके मेरुदंड टूट गए हैं तो वे रेंगेंगे ही। उनसे कोई उम्मीद पालना मूर्खता है। अब अभिभावकों और जनता को यह देखना है कि छात्रों को सभी विश्वविद्यालयों में न केवल सुगम और सस्ती शिक्षा मिले बल्कि इस प्रकार की गुंडागर्दी चाहे वह किसी भी दल या छात्र संगठन की तरफ से हो, नहीं होनी चाहिए।