गुजरात के चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है दोनों पार्टियां अपने अपने लिए गुजरात के रन में जमीन तलाश रहीं हैं सत्तारूढ़ दल भाजपा फिर चुनाव जीतने के लिए प्रयास कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी 22 साल पहले की खोई ज़मीन को तलाशने में जुटी है. जहां प्रधानमंत्री लगातार ज़ोरदार रोड शो और रैलियां के माध्यम से बैकवर्ड, दलित और पटेलों के गुस्से को काबू में करने का प्रयास कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल को अपने साथ लेकर उनके मतदाता और अपने परम्परागत मतदाताओं के भरोसे सत्ता में वापसी की पूरी तरह से कोशिश में लगे हैं, लेकिन इन सब बातों के बीच यह बहुत दिलचस्प होगा कि मतदाता का मूंड किस तरफ़ होता है,और राहुल गांधी को ये तीनों युवा कितना वोट दीलवाने में कामयाब होते हैं.
प्रधानमंत्री महोदय भी अपनी सोशल इंजीनियरिंग में पीछे नहीं है, वह भी लगातार बैकवर्ड कार्ड खेल रहे हैं. बीते राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति भवन भेज कर काफी सहज महसूस कर रहे हैं. क्योंकि राष्ट्रपति जिस जाति से आते हैं, वह समाज गुजरात में पिछड़ा में आता है. जिसकी आबादी गुजरात में 20% है जो अबतक कांग्रेस का परमपरागत वोट रहा है. अब इसमें भाजपा कितना सेंध लगा पाती है क्या ये सेंधमारी पटेल और दलित वोट के भाजपा से दूर होने पर डैमेज कंट्रोल का काम कर पाती है या नहीं.
भाजपा के लिए चुनौती इसमें हार्दिक ,जिग्नेश ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है. वहीं अल्पेश ने राहुल गांधी के साथ बड़ी रैली में मंच से भाजपा के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है. आंकड़ों पर गौर करें तो गुजरात की जनसंख्या में ओबीसी समुदाय की दखल 51 प्रतिशत सीटों पर है. यानी 182 सीटों वाले विधानसभा में सबसे प्रभावशाली है. अगर वाकई इनका असर इतने सीटों पर दिख गया, तो विधानसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं. जहां तक हार्दिक पटेल की बात है वह पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे. हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से अपने मुद्दों पर रूख़ साफ़ करने के लिए कह कर अपनी बातों को साफ कर दिया है कि हार्दिक पटेल के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है पटीदार समाज की बात इन बातों से ये भी पता चलता है कि पटीदार पर हार्दिक पटेल की पकड़ मजबूत है और रहने के भी संकेत साफ़ दिखाई दे रहे हैं.
राज्य में पटेलों की आबादी 20% है जो की अबतक भाजपा के साथ था. जिसका राज्य के 51 विधानसभा सीटों पर बड़ा प्रभाव है. अब बात राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के जिग्नेश मेवाणी की. वह भी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ जाने का एलान कर चुके हैं. उनका कहना है कि केवल बीजेपी ऐसी पार्टी है जो हिन्दु राष्ट्र की कल्पना करती है. जबकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है राज्य में दलितों की आबादी 7% है जिसका नेतृत्व जिग्नेश मेवानी के पास है. जिग्नेश दलितों के मुद्दे पर राज्य भर में बहुत सक्रिय हैं. अब सारे आंकड़े, समाजिक आंदोलन और 22 साल के सत्ता के बाद विरोधी लहर और राहुल गांधी का आक्रमण जिसके सामने भाजपा अबतक डिफेंस करती दिखाई दे रही है. अब इन सब के बाद मोदी के दमदार भाषण और रैलियां क्या विफल हो पाती है, और कांग्रेस कि सत्ता में वापसी हो जाएगी, ये देखना दिलचस्प होगा.