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फिल्मों का विरोध और बॉलीवुड

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Asad Shaikh

विरोध,फिल्म और बॉलीवुड भारत बड़ा देश है अलग अलग लोग,अलग रीती रिवाज़ और अलग अलग मर्जियां और अलग अलग इतिहास आब इसी अलग अलग में सब अलग है इतिहास भी कब किसी ने किसी ने किसी को कहा हराया हो या कहा कोंन हारा हो ये सब बड़ा मिला जुला सा रहता है, अब ये देश जो है “भावनाओं” का देश है, यानी भारत में कब किसकी कहा और क्यों भावनाए आहत हो जाएँ,मालूम ही नही चलता,किसी बात से ,किसी किताब से और कब किस “बयान” से भावना आहत हो जाएँ मालूम नही चलता और अब तो बात फिल्मों तक आ गयी है |
फिल्मे हमे जोडती है,हमे उनमे सब कुछ अपना सा लगता है ,ये हमे अलग अलग पहलुओं से रूबरू कराती है और यही बात है की उनकी अहमियत भी बहुत है लेकिन ये अहमियत जब शक के घेरें में आ जाती है जब ये “विवाद” में पड़ जाती है,नया नया विवाद है फिल्म “पद्मावत” का जिसका नाम पहले पद्मावती था जिसे तब्दील कर “पद्मावत” किया गया है,लेकिन विरोध है की शांत ही नही हो रहा है,एक तरफ करनी सेना है तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट का बयान है |
गौरतलब है की मशहूर फिल्मकार संजय लीला भंसाली ने ये फिल्म बनाई थी,लेकिन पिछले वर्ष दिसम्बर में रिलीज़ होने से पहले ही इसका भीषण विरोध हुआ | इसी को मद्देनजर रख इस फिल्म को विरोध का सामना करना पड़ा और सेंसर बोर्ड में जाने की देरी के बाद ये फिल्म रिलीज़ नही हो पायी और अब नाम बदलने के बाद भी ये विरोध सामने आ रहा है | लेकिन ये पहली फिल्म नही है जिसका विरोध हो रहा है या जिसके साथ विरोध जेसी चीज़ें जुड़ रही है इससे पहले भी ऐसी फ़िल्में आई है |
(बिल्लू) ये शाहरुख़ द्वारा बनाई गयी फिल्म थी जिसमे “बार्बर” यानी नाई शब्द को अपमानसूचक माना गया था और कड़ा विरोध हुआ था और हालात ये बन आयें की इसका नाम “बिल्लू बार्बर” से बिल्लू रखा गया और इसी के साथ ये फिल्म प्रदर्शित भी हुई थी |
(मोहल्ला अस्सी) ये फिल्म मशहूर साहित्यकार काशीनाथ सिंह के उपन्यास “मोहल्ला अस्सी” पर आधारित थी,इस फिल्म में सन्नी देओल और साक्षी तंवर भी थी | इस फिल्म के विरोध की वजह बनी थी इसमें गालियों का उपयोग और उसका समाज पे असर दाल काशी यानि बनारस की छवि को बिगाड़ देना | पुरे दो सालों तक ये फिल्म लटकी रही थी और अब जाकर इसे हरी झंडी मिली है और ये सिनेमाघरों में आई है |
(वाटर) ये फिल्म विधवाओं के जीवन पर आधारित थी,जिसमे विधावाओं के जीवन पर आधारित थी इसमें जॉन अब्राहम शिट कई कलाकार थे ,इस फिल्म का विरोध इतना हुआ की इसकी शूटिंग भी नहीं हो पायी और इसकी शूटिंग को श्री लंका में किया गया |
इसके अलावा “रामलीला” का भी नाम बदलवाया गया था इसमें भावनाए आहत होने वाली बात को कहा गया और इसका नाम बदल दिया गया,और राजीव गाँधी की हत्या पर बनी फिल्म “मद्रास कैफे” पहले श्री लंका शहर के नाम “जाफना’ पर बनी थी मगर उसका नाम बदला गया |
कभी जाति तो कभी इलाका या धर्म या फिर कभी भावनाओं ककी बात किसी न किसी वजह से आरोपों को लगाकर फिल्मो को निशाने पर लिया जाता है,और इसके बाद फिल्मे चले न चले अलग बात जेसे कड़े विरोध के बावजूद भी पीके सुपरहिट हुई वही कई फिल्मे चल भी नही पायी |
अब तो बारी और हालात “पद्मावत” के है जो रिलीज़ होने को लेकर तो हरी झंडी पा चुके है लेकिन विरोध अब भी बाकी है,बाकी २५ जनवरी को रिलीज़ होने वाली ये फिल्म कितना असर दिखाती है ये देखने वाली बात होगी|

असद शैख़