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ईवीएम का विरोध करने एकजुट होगा विपक्ष?

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पिछले काफी समय से EVM(इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर तरह तरह के बयान आ रहे थे. अब इसको लेकर लगभग राजनीतिक पार्टियाँ एकजुट होने के संकेत मिल रहे हैं और बड़े आन्दोलन की तैयारी की रूप रेखा बनाने  में जुटी हैं. इस का बीड़ा उठाया है समाजवादी पार्टी ने.
 
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जगह बैलेट वोटिंग की मांग को लेकर राजनीतिक दल जन आंदोलन बनाने की तैयारी में है. यूपी में इसकी पहल समाजवादी पार्टी ने की है. 6 जनवरी को जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट में सुबह 11बजे से इस पर मंथन शुरू होगा. जिसमें हिस्सा लेने के लिए सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की ओर से कांग्रेस, बीएसपी, रालोद, लोकदल, सीपीआई, सीपीएम समेत सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया है.
सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा सदस्य किरनमय नंदा, राजेन्द्र चौधरी के सुझाव पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ईवीएम से मतदान बंद कराने के लिए जनजागरण शुरू करने और विपक्षी दलों को एकजुट करने की सहमति दी थी.
सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का कहना है, “जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट एक सामाजिक संगठन है. लोकतंत्र की रक्षा हेतु ईवीएम का विरोध के लिए इसीलिए इस संस्थान में मीटिंग बुलाई गई है.”
बीएसपी को छोड़कर सभी दलों ने इस मंथन में हिस्सा लेने का संकेत दिया है.
सपा के उपाध्यक्ष किरन मय नंदा, सपा की उत्तराखंड इकाई के प्रभारी व यूपी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी, सीपीआई के अतुल अंजान, युवजनसभा के अध्यक्ष विकास यादव, रालोद के अनिल दुबे और वामदलों के कुछ नुमाइंदों के बीच ईवीएम की गड़बड़ी को जन आंदोलन का रूप देने पर चर्चा हुई.
रालोद के प्रवक्ता अनिल दुबे का कहना है, ”हमारे अध्यक्ष अजित सिंह का मानना है कि ईवीएम में गड़बड़ी होती है. ऐसे में इस मुद्दे पर एकजुट आंदोलन के लिए हम बैठक में हिस्सा लेंगे.”
कांग्रेस के प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान का कहना है, ”उनका दल ईवीएम में गड़बड़ी का सवाल उठा रहा है. लिहाजा इस मुद्दे प र किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने में कोई वैचारिक विरोध नहीं है. लेकिन अंतिम फैसला संगठन और शीर्ष नेतृत्व को करना है. नेतृत्व से जो निर्देश मिलेगा, उस पर अमल किया जाएगा.”
सहमति इस बात पर बनी थी कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले विपक्षी दलों को एकजुट होकर ईवीएम के स्थान पर बैलेट मतदान कराने के लिए जन आंदोलन खड़ा किया जाए.

EVM में गड़बड़ी का आरोप

  • साल 2009 में सबसे पहले बीजेपी ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था और कानूनी लड़ाई शुरू की थी, लेकिन मामला तूल नहीं पकड़ पाया.
  • साल 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे पहले बीएसपी मुखिया मायावती ने ईवीएम में गड़बड़ी का सवाल उठाया था.
  • साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद बीएसपी, सपा, कांग्रेस और रालोद ने ईवीएम में गड़बड़ी के खुलकर आरोप लगाए.
  • कुछ दिन पहले गुजरात विधानसभा के परिणाम आने के बाद विपक्षी दलों ने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा और बैलेट से चुनाव कराने की आवाज बुलंद की.

क्या है  राजनीतिक  एक्सपर्ट की राय ?
एक्सपर्ट दिलीप अवस्थी का कहना है, ”6 जनवरी की इस बैठक में अगर विपक्षी दलों ने सहमती दिखाई तो यह मीटिंग 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एकजुटता नींव भी साबित हो सकती है. इस समय विपक्ष के सामने एकजुट होने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है. अब देखना यह होगा कि इस मीटिंग में कितने दल एकत्रित होते हैं.”