सुप्रीम कोर्ट के 4 सीनियर जजों के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर लगाए गए आरोपों के बाद से जारी विवादों के बीच अब जस्टिस बी. एच. लोया की संदिग्ध मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट की किसी दूसरी बेंच में जा सकता है.
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने ऐसे संकेत दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 16 जनवरी को जारी एक आदेश में कहा गया है कि मामले को ‘उचित पीठ के सामने रखा जाना चाहिए’. इससे यह संकेत मिल रहा है कि जनहित याचिका को सुनने के लिए एक नई पीठ का गठन किया जा सकता है.
अब सीजेआई इस केस के बेंच पर फ़ैसला करेंगे. इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में जज लोया की मौत से संबंधित दस्तावेज सील कवर में दाखिल किए गए.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह दस्तावेज़ देने के निर्देश दिए. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को ये दस्तावेज देने के निर्देश दिए साथ ही ये भरोसा भी जताया कि वो इसे किसी के साथ शेयर नहीं करेंगे.
पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 4 सबसे वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से ही बेंच के इस आदेश की आशंका जताई जा रही थी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में चारों जजों ने अपने बागी होने के पीछे CJI द्वारा जस्टिस लोया की मौत की जांच वाली जनहित याचिका जज अरुण मिश्रा को सौंपे जाने को भी एक वजह बताया था.
चार वरिष्ठ जजों द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पहली बार फिर चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा और चारों जजों के बीच बातचीत हुई.
ये मुलाकात चीफ जस्टिस के चैंबर में हुई जो करीब 15 मिनट तक चली. बैठक में तीन और जज जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यूयू ललित भी शामिल हुए.
उम्मीद की जा रही है कि मीटिंग का दौर आगे भी जारी रहेगा.
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