मोदी जी के "डिजिटल इंडिया" के सपने में आड़े आ रही ये समस्या

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अगर रिजर्व बैंक अपनी वाली पर आ जाए तो मोदी जी का डिजिटल भारत का सपना चुटकियों में ही ध्वस्त हो जाएगा. क्योंकि कायदे की बात की जाए तो आपके जेब मे रखे मास्टर ओर वीजा के क्रेडिट डेबिट कार्ड कल से ही बेकार हो जाने चाहिए थे क्योंकि रिजर्व बैंक ने विदेशी पेमेंट गेटवे कंपनियो को अपना सर्वर भारत मे लगाने की छ महीने की समयसीमा जो दी थी वह  समाप्त हो गयी है.
रिजर्व बैंक की इस नीति को डेटा लोकलाइजेशन कहा जा रहा है डेटा लोकलाइजेशन का अर्थ है कि देश में रहने वाले नागरिकों के पेमेंट सम्बन्धी निजी आंकड़ों का कलेक्शन, प्रोसेस और स्टोर करके देश के भीतर ही रखा जाए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थानांतरित करने से पहले लोकल प्राइवेसी कानून या डेटा प्रॉटक्शन कानून की शर्तों को पूरा किया जाए.
पेमेंट गेटवे कम्पनियां इस समय सीमा में छूट मांग रही थी लेकिन आरबीआई ने इस समय सीमा में किसी तरह की कोई छूट देने से मना कर दिया हैं देश में ज्यादातर बैंक अपने ग्राहकों को मास्टरकार्ड या फिर वीजा का डेबिट-क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं इन कार्ड के बंद होने से लोगों के पास कैश की किल्लत भी हो जाएगी। ज्यादातर लोग अभी भी अपने डेबिट कार्ड का इस्तेमाल एटीएम से पैसा निकालने के लिए करते हैं अगर यह निर्णय लागू होता हैं तो लोग एटीएम से पैसा भी नहीं निकाल पाएंगे.
अब इस समस्या का समाधान क्या हो? इस पर बहस छिड़ गयी है एक समाधान यह बताया जा रहा है कि इन पेमेंट कंपनियों को अपने ग्लोबल डेटाबेस का ऑडिट भारतीय रेग्युलेटर से कराने का आदेश देना चाहिए और लोकल ट्रांजैक्शंस के डेटा की कॉपी देश में स्टोर की जानी चाहिए
लेकिन रिजर्व बैंक इस समाधान से संतुष्ट नही है उसका मानना है कि इन पेमेंट कंपनियों को भारतीय यूजर्स के डेटा देश में स्टोर करने से मकसद हल नहीं होगा क्योंकि इसका मेन सर्वर विदेश में ही रहेगा और जब तक यह विदेश में प्रोसेस किया जाता रहेगा, इस डाटा पर पूरा नियंत्रण हासिल करना कठिन होगा दरअसल डेटा पर भारतीय एजेंसियों की पहुंच बेहद जरूरी है
विदेशी पेमेंट कंपनियों ने 6 महीनों में अपना सर्वर भारत मे बनाने में कोई इंटरेस्ट नही लिया है दरअसल मोदी बार बार जिस डिजिटल पेमेंट अपनाने की बात करते आए हैं उस पर अभी कोई ठोस काम नही किया गया है, हम जितने भी ट्रांजेक्शन इन कार्ड्स से करते हैं वह सारा डेटा विदेशी सर्वर में ही स्टोर होता हैं, देखते हैं रिजर्व बैंक अब इस पर क्या निर्णय लेता है ?

नोट: यह लेख लेखक की फेसबुक वाल से लिया गया है