झूठ और साजिश के लिये भी हुनर चाहिए। पर जब, यह सब करने की आदत और इरादा तो हो, हुनर न हो तो वही झूठ और साज़िश, बहुत जल्द एक्सपोज भी हो जाता है, और फिर जो भद्द पिटती है, वह अलग। बीजेपी का आईटीसेल, कभी इतिहास को लेकर, तो कभी भूगोल को लेकर, तो कभी पीएम के मिथ्या महिमामंडन को लेकर, अक्सर झूठ फैलाता रहता है, पर कुछ दिन तो यह मिथ्या व्यापार या गोएबेलिज़्म चला, पर अब वह तुरंत एक्सपोज भी होने लगा है।
ऐसा ही झूठ औऱ साज़िश का एक उदाहरण है, अमेरिकी अखबार, न्यूयॉर्क टाइम्स की एक फोटोशॉप इमेज। अभी प्रधानमंत्री जी अमेरिका की यात्रा पर गए थे। इस बार उनकी यात्रा उतनी गर्मजोशी से नहीं सम्पन्न हुयी, जैसी पहले की अमेरिका यात्राएं होती रही हैं। मैडिसन स्क्वायर से लेकर हाउडी मोदी तक जो भारतीय पहले उमड़ पड़ते थे, वे अब नहीं उमड़े। कारण क्या है, यह तो अमेरिका में स्थित भारतीय ही बता पाएंगे।
पर आजतक पर अंजना ओम कश्यप की रिपोर्टिंग जो उन्होंने अपने चैनल पर दिखायीं थी, उनसे तो यही पता चलता है कि उनकी इस यात्रा से, न तो, वहां स्थित एनआरआई लोगों में उत्साह था और न ही वहां के अखबारों ने उनकी इस यात्रा को गर्मजोशी से कवर किया। अंजना ने कुछ अमेरिकी अखबारों को उलट पुलट कर देखते हुए, यह बताया भी कि, अखबारों में तो कुछ नही छपा है, पर यह भी उन्होंने उम्मीद जताई थी कि, हो सकता आगे विस्तृत कवरेज हो। पर आगे कोई कवरेज हुआ या नहीं, यह मुझे नही पता।
इस बीच न्यूयॉर्क टाइम्स के मुख पृष्ठ की एक फोटो नज़र आयी है जिंसमे पीएम के यात्रा की कवरेज है। आज के डिजिटल युग मे जब अपने घर मे बैठे दुनियाभर के छपे हुए अखबार देखे और पढ़े जा सकते हैं, तो इस तरह का फोटोशॉप, जो चंद मिनट में ही एक्सपोज हो जाय, की योजना बनाना और उसे अंजाम देना, हास्यास्पद है। इससे तो प्रधानमंत्री जी की ही छवि धूमिल होती है। यह एक कटु सत्य है कि, जब मूर्ख और अनावश्यक रूप से उत्साही समर्थक होते हैं तो वे अपने आराध्य की ही प्रतिष्ठा हानि कराते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स के इस मुख पृष्ठ पर और सब तो, ठीक ठीक उतर गया, पर जब september की तारीख पर लोगो का ध्यान गया तो, स्पेल्लिंग की गलती से setpember छप गया और यह गलती पकड़ ली गयी। इसी से यह झूठ और साज़िश भी खुल गयी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, जिसका इतिहास गौरवपूर्ण रहा हो, जिसके नायकों की दुनियाभर में अलग पहचान है, जिसके राजचिह्न का बोधवाक्य, मुंडकोपनिषद से लिया गया, सत्यमेव जयते, पूरी दुनिया मे प्रचलित और ख्यात है, वहां के प्रधानमंत्री को अपनी कवरेज के लिये आईटी सेल के झुठबोलवा गिरोह का सहारा लेना पड़े, क्या यह दुःखद और शर्मनाक नहीं है ?
क्या भाजपा अपने झूठ फैलाने वाले गिरोह पर लगाम लगाएगी या अब भी वह अपने पूर्व अध्यक्ष के इस अहंकारी बयान कि, वे जो कुछ भी चाहे, कुछ ही घँटों में पूरी दुनियां में फैला सकते हैं, पर कायम रहेगी ? यह झूठ न केवल सोशल मीडिया पर ही फैलाया गया है, बल्कि ₹ 2000 के नोट में चिप सहित अनेक झूठी खबरे हम प्रतिष्ठित कहे जाने वाले चैनलों से भी सुनते आ रहे हैं। इन सब पर रोक लगना ज़रूरी है।
अब आइए असली न्यूयॉर्क टाइम्स के 26 सितंबर 2021 के मुखपृष्ठ पर। यह लिंक मैं संजय कुमार सिंह जी, ( Sanjaya Kumar Singh ) की इसी विषय पर लिखी गयी पोस्ट से साभार उठा रहा हूँ। असली से मिलान करना चाहें तो आप इस लिंक पर जा सकते हैं।
झूठ, साज़िश और फ्रॉड का यह फोटोशॉप गढ़ना और फैलाना, महज मनोविनोद या कोई तमाशा या सनसनी या केवल कोई अनैतिक कृत्य ही नहीं है, बल्कि यह एक अपराध है और वह भी दंडनीय अपराध । पर सबसे दुःखद पक्ष इसका यह है कि देश के प्रधानमंत्री का नाम और उनकी फोटो इस फर्जीबाड़े के केंद्र में हैं। एक और दुःखद तथ्य यह भी है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की आड़ में चलने वाले इस फर्जीवाड़े का विरोध वे भी नहीं करते हैं जो पढ़े लिखे और संजीदा हैं।
यह फोटोशॉप जिस किसी के भी, द्वारा किया गया हो, पर दुष्प्रचार की परिपाटी ही 2014 के बाद शुरू हुयी है, जब सोशल मीडिया का बेहिसाब प्रचार प्रसार हुआ। जिसने भी यह किया हो इसकी जांच की जानी चाहिए। इस तरह के फोटोशॉप दुनिया मे देश और पीएम की छवि ही खराब कर रहे हैं।
( विजय शंकर सिंह )