ये उसी शिखर अग्रवाल की पोस्ट है जिसने तीन दिसंबर की सुबह को खेतों में गाय कटी हुई देखी। दो दिसंबर की सुबह में इसने सभी स्वयंसेवकों की मीटिंग रखी और अगले दिन गाय कटी हुई प्राप्त हुईं। यदि सही और ईमानदारी से जांच हो तो पता चलेगा कि गाय किन लोगों ने काटी और उनका मकसद क्या था?
महत्वपूर्ण सवाल –
- आखिर दो दिसंबर की मीटिंग क्यों रखी गई?
- बुलंदशहर में आयोजित इज्तिमा में देश भर से लाखों मुसलमान आए थे, कहीं इज्तिमा को डिस्टर्ब करने के लिए इस मीटिंग में कोई योजना बनाई गई?
- आखिर मुसलमान खेतों में पंद्रह से बीस की संख्या में गाय क्यों काटेगा? क्या स्थानीय मुसलमानों को नहीं पता कि इससे कितना बड़ा बवाल होगा और नुकसान उठाना पड़ेगा। अपने पैरों पर कोई कुल्हाड़ी क्यों मारेगा?
- कटी हुई गायों का इतने बड़े पैमाने पर मिलना और फिर तुरंत ही सैकड़ों की संख्या में लोगों का जुटना और कोतवाली पर हमला करना, क्या सुनियोजित नहीं था?
- बजरंगदल संयोजक योगेश राज तथा भाजपा युवा मोर्चा स्याना अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने कटी हुई गायों को सबसे पहले देखा। आखिर ये दोनों एक साथ खेतों की तरफ क्यों और किस मकसद से गए?
- पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने गुस्साई भीड़ को शांत कर दिया था, लेकिन योगेश राज एवं शिखर अग्रवाल ने ट्रैक्टर पर कटी गायों को रख मुख्य मार्ग जाम कर दिया। इसी वक्त इज्तिमा से लौट रहे लोग उस मार्ग से गुजर रहे थे। इनकी योजना थी रास्ता रोक कर इज्तिमा से लौट रहे लोगों पर हमला करने की, जबकि इंस्पेक्टर सुबोध ने लाठीचार्ज करवा कर रोड खाली करवानी चाही ताकि अप्रिय घटना न घटे।
- पुलिस ने जब बजरंगदल और भाजयुमों के पदाधिकारियों के मंसूबे फेल कर दिए तो कोतवाली और चौकी पर हमला बोला गया। इंस्पेक्टर के आँख में गोली मारी गई तथा पुलिसवालों को चौकी के कमरे में बंद कर आग लगा दी गई। खिड़की तोड़ कर पुलिसवाले बगल के कॉलेज में घुस गए जिससे उनकी जान बची।
- पुलिसवालों ने दंगा भड़काने की कोशिश कर रहे शिखर एवं योगेश का प्लान चौपट कर दिया, क्या इस कारण से इंस्पेक्टर को मारा गया?