गौरक्षा का भी मौलिक अधिकार होना चाहिए- हाईकोर्ट

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‘इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की गाय का मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। इस बार यह मुद्दा किसी राजनीतिक पार्टी या दल ने नहीं उठाया है, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उठाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय के महत्व को बताते हुए कहा कि अगर देशवासी मौजूदा हालात को लेकर गंभीर नहीं हुए तो भारत के हालात भी कुछ इस तरह ही हो जाएंगे जैसे अब अफगानिस्तान मे तालिबान के हमले और कब्जे से हो गए हैं।

आखिर पूरा मामला क्या है-

बता दें कि बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गौ रक्षा को किसी भी धर्म से जोड़ने की जरूरत नहीं है .गाय को अब राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए।ये मामला जावेद नाम के शख्स की याचिका को खारिज करने को लेकर था। जोकि 8 मार्च 2021 से जेल में बंद है।

कोर्ट ने संभल जिले के नखासा थाने में गोवध निवारण अधिनियम के तहत एक एफ आई आर दर्ज हुई थी जोकि जावेद के नाम पर ही थी। जिसमें जावेद पर गौ हत्या रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत आरोप लगे हुए हैं।

कोर्ट ने जावेद की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि गाय जिसे हम गौ माता भी कहते हैं उसका संरक्षण केवल किसी एक धर्म की जिम्मेदारी नहीं है । गाय इस देश की संस्कृति है और इसकी सुरक्षा हर किसी की जिम्मेदारी है फिर चाहे आप किसी भी धर्म से ताल्लुक रखते हो।

12 पेज के फैसले में गाय का गुणगान-

न्यायधीश शेखर कुमार यादव ने 12 पेज के फैसले में कहा कि गाय को भारत में देवता के समान माना जाता है। और उसकी पूजा भी की जाती है ।जिसमें देश में सूर्य चंद्रमा, मंगल, बुध ,बृहस्पति ,शुक्र, शनि ,राहु ,केतु के साथ वरुण वायु आदि देवी-देवताओं की यज्ञ में दी गई प्रत्येक आहुति गाय के घी से देने की परंपरा है।

जिसमें सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है और यही विशेष ऊर्जा वर्षा का कारण बनती है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय ही ऐसा पशु है जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन छोड़ती है। पंचगव्य जो गाय के दूध ,दही ,घी ,मूत्र ,गोबर, द्वारा तैयार किया जाता है कई असाध्य रोगों में लाभकारी है।

इतिहास उठाकर देखते हैं तो सिर्फ हिंदू ही नहीं मुसलमान भी गौ रक्षक के समर्थक थे-

सबसे पहले आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा है कि एक गाय अपने जीवन काल में 400 से मनुष्यों के लिए एक समय का भोजन जुटाती है और उसके मांस से केवल 80 लोग ही अपना पेट भरते हैं। महाराजा रणजीत सिंह ने तो गौ हत्या पर मृत्युदंड देने का आदेश दिया था।

गाय की महिमा का वेद और पुराणों में भी बखान किया गया है। रसखान ने कहा था कि जन्म मिले तो गायों के बीच मिले। सिर्फ हिंदू ही गायों का महत्व नहीं समझते हैं मुस्लिम शासन काल में भी गाय को भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा माना जाता था।

गाय के वध पर मुस्लिम शासकों ने प्रतिबंध लगाया था। मैसूर के नवाब हैदर अली ने गौ हत्या को दंडनीय अपराध बनाया था। इसी तरह बाबर, हुमायूं और अकबर ने भी अपने शासनकाल में गाय की बलि के चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी-

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार संसद में बिल लाकर सिर्फ कानून ही ना बनाएं , बल्कि उस पर शक्ति से अमल भी कराएं। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए क्योंकि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति की रक्षा करना सबका कर्तव्य है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें संसद में गौ रक्षा के लिए एक बिल पारित करवाना चाहिए।

गायों की सुरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में शामिल किया जाना चाहिए ‌। गायों को किसी एक धर्म के दायरे में नहीं बांधा जा सकता है। यह भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। अपनी संस्कृति को बचाना हर भारतवासी की जिम्मेदारी है महज स्वाद पाने के लिए किसी को इसे मारकर खाने का अधिकार कतई नहीं दिया जा सकता।

गाय की पूजा करने वालों का भी है।जीवन का अधिकार मारने के अधिकार से ज्यादा ऊपर है। गौ मांस खाने को कभी मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता। गाय बूढ़ी और बीमार होने पर भी उपयोगी है। उसका गोबर और गोमूत्र कृषि दवा बनाने के लिए बहुत उपयोगी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अनेक मंत्रियों की टिप्पणियां है ,जिसमें उनका समर्थन शामिल है-

हाईकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए देवबंदी उलेमा इसहाक गोरा ने गौ रक्षा को समर्थन दिया है, उन्होंने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुत ही सकारात्मक टिप्पणी की है। इस टिप्पणी पर किसी को एतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि गाय से कई लोगों की आस्था जुड़ी है।

अनुराग भदौरिया जो की प्रवक्ता है समाजवादी पार्टी के उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, गाय हमारी माता है और हम समाजवादी गाय को पालते हैं और उनका पोषण भी करते हैं। लेकिन जब से बीजेपी उत्तर प्रदेश में आई है तब से गायों पर राजनीति ही करती है। नाम की गौशालाएं है। ना ही उनके रहने की व्यवस्था है और ना ही उनके चारें की ।

वही सूफियाना निजामी प्रवक्ता-दारुल उलूम फिरंगी महल ने कहा कि गाय के संरक्षण के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो टिप्पणी की है उस पर केंद्र सरकार को गौर करना चाहिए ।क्योंकि जो करोड़ों हिंदू भाई हैं इसमें उनकी आस्था का सम्मान भी है।

अंत में फैसला सुनाते वक्त जस्टिस शेखर कुमार यादव की सिंगल बेंच ने तर्क दिया कि। भारत एक ऐसा देश है जहां पर विभिन्न धर्म और जाति के लोग रहते हैं और सभी में एकता भी देखी जाती है। सबकी देश के प्रति एक ही सोच दिखाई देती है। याचिकाकर्ता की याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि जावेद को बेल देने से समाज की शांति भंग हो सकती है।

उन्होंने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है गौ हत्या के आरोप में जो याचिकाकर्ता है उसने पहले भी यह अपराध किया हुआ है ।अगर उसे बेल दे दी जाती है तो समाज में इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती नहीं तो याचिकाकर्ता दोबारा भी इस अपराध को अंजाम दे सकता है।