मध्यप्रदेश में हो रही है “गाय राजनीति”

Share

मध्यप्रदेश में शुरू हुई “ गाय राजनीति “, जी हाँ यह सच है। फ़िलहाल जनता से जुड़े मुद्दों से किनारा करते हुए दो राष्ट्रीय पार्टियां गाय पर राजनीति कर रही हैं। शिवराज सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल ने ये बयान दिया है, कि मध्यप्रदेश सरकार गौ कैबिनेट का गठन करने जा रही है। जोकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनाव पूर्व किए गए वादों में से एक था।

भारतीय जनता पार्टी अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को लगातार अमलीजामा पहना रही है, पर फ़िलहाल मध्यप्रदेश में जनता से जुड़े अन्य अहम मुद्दे हैं, जिन्हे दरकिनार करके शिवराज सिंह चौहान की मध्यप्रदेश सरकार आगे बढ़ रही है। इस मुद्दे पर काँग्रेस भी जनहित के मुद्दों से दूर अपने सॉफ्ट हिन्दुत्व की राजनीति पर ही कायम है। और ये बताने की कोशिश की जा रही है, की गौ कैबिनेट की प्रेरणा कमलनाथ सरकार के 18 महीने के कार्यकाल में गौ संरक्षण के कार्यों से प्रेरित होकर ही ली गई है।

कमलनाथ ने ट्वीट करके इस संबंध में कहा

2018 के विधानसभा चुनाव के पूर्व प्रदेश में गौ मंत्रालय बनाने की घोषणा करने वाले शिवराज सिंह अब गोधन संरक्षण व संवर्धन के लिए गौकैबिनेट बनाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने अपनी चुनाव के पूर्व की गयी घोषणा में गौमंत्रालय बनाने के साथ-साथ पूरे प्रदेश में गौ अभ्यारण और गौशालाओं के जाल हमने अपने वचन को पूरा किया ,प्रदेश भर में गौशालाओं का निर्माण व्यापक स्तर पर चालू करवाया।

चलो कांग्रेस सरकार के गौ माता के संरक्षण व संवर्धन के लिए किए जा रहे कामों से भाजपा सरकार को थोड़ी सदबुद्धि तो आयी और उन्होंने गौमाता की सुध लेने की सोची लेकिन यदि गौ माता के संरक्षण व संवर्धन के लिए सही मायनों में काम करना है तो कांग्रेस सरकार की तरह ही भाजपा सरकार प्रदेश भर में गौशालाओं का निर्माण शुरू कराये और गौ माता को लेकर अपनी पूर्व की सारी घोषणाओं को पूरा करें तभी सही मायनों में गौमाता का संरक्षण व संवर्धन हो सकेगा।

कमलनाथ के इस ट्वीट से साफ़ नज़र आता है, कि काँग्रेस अब भी अपने सॉफ्ट हिन्दुत्व के नए नए कॉन्सेप्ट पर अडिग है। और आने वाले दिनों में मध्ययप्रदेश में जनता के मुद्दों से दूर ऐसे ही मुद्दों पर भाजपा और काँग्रेस आमने सामने रहेंगे। ऐसे में ये सवाल उठता है, क्या कोई जनहित के मुद्दों बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा, किसान इत्यादि की बात करेगा। या फिर ऐसे ही धार्मिक मुद्दों पर अगले 3 वर्ष गुजरने वाले हैं?

Exit mobile version