राजस्थान (rajasthan) की सियासत में फिर एक बार खलबली मच गयी है। यहाँ कोंग्रेस (congress) के तीन नेताओं ने कोंग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (soniya gandhi) को इस्तीफे की चिट्ठी लिखी है। दिवाली से पहले भी राजस्थान कोंग्रेस में फेर बदल की अटकलें लगी थी, लेकिन पूरी कैबिनेट (cabinet) को बदलने की मंशा के साथ इस फेरबदल को रोक दिया गया था।
राजस्थान में कोंग्रेस प्रभारी अजय माकन (ajay makan) के मुताबिक, तीनों नेता रघु शर्मा (raghu sharma), हरीश चौधरी (harish choudhary) और गोविंद सिंह डोटासरा (govind singh dotasara) ने इस्तीफे की चिट्ठी की पेशकश की है। अब तीनों नेता कोंग्रेस संगठन के लिए काम करना चाहते हैं।
राजस्थान में नेताओं ने की इस्तीफे की पेशकश :
मीडिया से बातचीत में राजस्थान कोंग्रेस प्रभारी अजय माकन ने बताया, की तीन बड़े नेता अपने पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। उन्होंने अब कोंग्रेस संगठन के लिए काम करने की इच्छा जताई है। इस मामले में दिल्ली में कोंग्रेस आलाकमान से बातचीत हो चुकी हैं।
समाचार वेबसाइट आजतक के मुताबिक, दिवाली से पहले ही राजस्थान में कोंग्रेस पार्टी फेरबदल की तैयारी कर रही थी। लेकिन पूरी तरह बदलाव के फैसले के साथ इस फेरबदल को रोक दिया गया। अब कोंग्रेस के इन तीनों नेताओं के इस्तीफे को पार्टी में फेरबदल से जोड़कर देखा जा रहा है।
मंत्रिमंडल का होगा विस्तार…
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 19 नवबंर को राजस्थान में कोंग्रेस प्रभारी अजय माकन जयपुर पहुंच गए थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ लंबी बातचीत के बाद रविवार 21 नवम्बर को सभी विधायकों के इस्तीफ़े लेने का निर्णय किया गया।
वहीं 21 नवबंर को ही नए मंत्रिमंडल का गठन भी किया जाएगा, जिसके लिए राजभवन से समय भी मांग है। बहरहाल, राज्य के राजपाल कलराज मिश्रा राज्य में मौजूद नहीं हैं, उनके जयपुर लौटते ही समय भी दे दिया जाएगा। मीडिया के मुताबिक कोंग्रेस आलाकमान राजस्थान में बड़े फेरबदल का मूड बना चुके हैं।
पायलट और गहलोत में फंसे थे राजनीतिक पेंच :
इस सियासी खलबली से पहले भी राजस्थान कोंग्रेस में सियासी संकट देखा गया था, जब कोंग्रेस, पायलट गुट और गहलौत गुट में बंट गयी थी। गौरतलब है कि ये संकट मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर छाया था, जिसे कोंग्रेस आलाकमान के निर्णय के चलते संभाल लिया गया। फ़िलहाल, कोंग्रेस में इस बड़े बदलाव को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के तौर पर देखा जा रहा है। इस बदलाव से चुनावी फ़ायदे साधने की कोशिश की जा रही है।