मऊ विधानसभा से विधायक और बाहुबली की छवि वाले मुख्तार अंसारी को बसपा सुप्रीमो मायावती ने बहुत बड़ा झटका दिया है। उन्होंने ये ऐलान किया है कि 2017 की तरह इस बार मायावती उन्हें बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार नहीं बनाएगी। क्यूंकि उनकी पार्टी किसी भी दागदार छवि वाले बाहुबली या माफिया को उम्मीदवार नहीं बनाएगी।
इस खबर ने जेल में बंद मुख्तार अंसारी को बहुत बड़ा झटका दिया है क्यूंकि लगभग ऐसा माना जा रहा था कि बीते 25 सालों से मऊ विधानसभा से विधायक बन रहे इस बाहुबली को बहन जी फिर से उम्मीदवार बनाने वाली हैं । लेकिन इन तमाम आशंकाओं पर उन्होंने विराम लगा दिया है।
इस खबर की जानकारी खुद बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल से दी और तो और मऊ विधानसभा से बसपा के नए प्रत्याशी का ऐलान भी कर दिया। बसपा ने यहां से उत्तर प्रदेश के बसपा अध्यक्ष भीम राजभर को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद मुख्तार अंसारी के लिए लगभग सारे रास्ते बंद हो गए हैं।
भीम राजभर 2012 में भी बसपा के टिकट पर मऊ विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं और दूसरे स्थान पर आए थे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बसपा ने उन्हें दोबारा से प्रत्याशी बनाया है। मुख्तार अंसारी के लिए यह खबर चौंकाने वाली है।
मुख्तार के पास क्या हैं रास्ते?
बीते 25 सालों से विधायक रहें मुख्तार अंसारी 2017 में समाजवादी पार्टी में जाने की कोशिशें कर चुके थे लेकिन अखिलेश के विरोध ने उनका रास्ता बंद कर दिया था। अब बसपा से उनके टिकट काटे जाने के बाद उनका ये रास्ता भी बन्द हो गया है। वहीं कांग्रेस या और किसी भी दल का यूपी में कोई बहुत ज़्यादा वजूद नही है।
वहीं मुख्तार के भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने कुछ दिनों पहले समाजवादी पार्टी जॉइन की थी और बाहुबली के बेटे अब्बास अंसारी के भी सपा में जाने की चर्चा थी। इसके अलावा अभी दो दिनों पहले अतीक़ अहमद के मजलिस ( मीम) में जाने के बाद मुख्तार अंसारी को लेकर भी मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन में जाने की चर्चाएं थी।
अगर मुख्तार अंसारी ओवैसी की पार्टी में जाते हैं तो इससे यूपी की राजनीति में भूचाल आ सकता है क्योंकि बाहुबली छवि वाले अतीक़ अहमद के बाद मुख़्तार अंसारी दूसरा बड़ा नाम होंगे और भाजपा इसके बल पर ध्रुवीकरण करते हुए राजनीतिक तौर पर फायदा उठा सकती है।