बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बैंच ने लबलीगी जमात के विदेशी नागरिकों पर अहम फ़ैसला सुनाया है। अदालत ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन के मरकज़ में तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले 29 विदेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ दायर की गई एफ़आईआर को रद्द कर दिया है। सतह ही टिप्पणी करते हुए कहा, कि तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया था।
इस फ़ैसले के बास सोशल मीडिया में प्रतिक्रियाओं की बाढ़ या गई है।
पत्रकार मोहम्मद अनस लिखते हैं – बांबे हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात के विदेशी सदस्यों पर दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि तब्लीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने दिल्ली मरकज में आए विदेशी जमात सदस्यों को भारत में कोरोना वायरस फैलाने का ज़िम्मेदार ठहरा दिया। यह एक बड़ा प्रोपगेंडा था जो कि मीडिया द्वारा फैलाया गया।
मनिंदर सिंह टिप्पणी करते हुए लिखते हैं
तबलीगी जमात में शामिल हुए विदेशियों के संबंध में एक बड़ा निर्णय सुनाते हुए मुंबई हाई कोर्ट के औरंगाबाद पीठ के 2 जजों की बेंच ने सभी के ऊपर दायर FIR को रद्द करने का आदेश दिया और यह बताया कि यह सब राजनीतिक दबाव एवं बॉयस्ड मीडिया ट्रायल की वजह से किया गया और उन्हें उस वक्त बलि का बकरा बनाया गया।
अब जाइए अप्रैल माह के पहले हफ्ते में और अपनी अपनी फेसबुक वॉल खंगालिए उस वक्त कि अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ की गई परिचर्चाएं भी याद करिए, न्यूज़ चैनल्स द्वारा तब की चलाई गई प्राइम टाइम डिबेट भी याद करिए।ऐसे ऐसे बेहूदा आरोप मढ़े गए जमातियों के ऊपर जिनका कोई साक्ष्य भी नहीं था और लोगों ने आंख मूंदकर उन आरोपों पर विश्वास किया।
सब्जी बेचने वालों के आधार कार्ड चेक किए गए। मेडिकल कॉलेज की डायरेक्टर ने उन्हें जंगल में छोड़ देने की बात की और साथ बैठे लोगों ने जहर का इंजेक्शन देने की बात की। क्या मेनस्ट्रीम मीडिया और क्या सोशल मीडिया सभी की उर्जा इसी बात पर खपाई गई लॉक डाउन एक और दो के बीच में कि कैसे किसी एक समुदाय विशेष को कोरोना फैलाने का दोषी बना दिया जाए, जबकि उस वक्त जरूरत थी पूरे जोर के साथ इस बीमारी से लड़ने की परंतु हमारी उर्जा कहीं और ही लगा दी गई यही कारण है कि आज जबकि विश्व के अधिकतर देशों में कोरोना के केस इस काफी हद तक कम हो गए हैं और हमारे यहां 70 हजार के लगभग रोज आ रहे हैं।
ऐसे में गुंजाइश कम है पर फिर भी शायद आप में से कुछ लोग आत्ममंथन कर पाएं।ऐसे समाज में आईना दिखाने की कोशिश अब अपराध की श्रेणी में आने लगी है पर फिर भी कभी-कभी दिखाया जाना जरूरी है। उस वक्त भी कहा था कि बीमारी है किसी को भी हो सकती है। जिसको हो उसके साथ सहानुभूति दिखाई जानी चाहिए ना कि उसको अपराधी बताया जाना चाहिए।
रही उन बातों की बात के डॉक्टरों पर हमले किए गए या फिर कॉर्पोरेट नहीं किया गया तो वह घटियापन सब जगह हुआ क्योंकि जहालत हर जगह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है यह एक यूनिवर्सल रिलिजन बन चुकी है।उसकी उस वक्त भी हम सब ने पुरजोर मजम्मत की।
समझिए या ना समझिए परंतु आपको नफरत की मशीन बनाया जा रहा है। कुछ मासूम अभी भी हैं हमारे समाज में जो यह मानते हैं कि जमात की वजह से ही देश में कोरोनावायरस फैला परंतु वह मासूम हैं मासूमों की बात का क्या बुरा मानना। पोस्ट पूरी तरह से कोर्ट के वर्डिक्ट के ऊपर लिखी गई है। आप इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं मुझे कोई दिक्कत नहीं है। जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
इस खबर पर ट्वीटर पर भी ढेरों प्रतिक्रियाएं आईं
कांग्रेस नेता हसीब अमीन ने ट्वीट करते हुए लिखा – तुम्हे शर्म आनी चाहिए अरविंद केजरीवाल तथा आम आदमी पार्टी । क्या आप COVID प्रबंधन में अपनी अक्षमता को छिपाने के लिए सार्वजनिक रूप से तब्लीगी जमाती को बलि का बकरा बनाने के लिए माफी माँगेंगे?
Shame on you @ArvindKejriwal and @AamAadmiParty. Will you apologize publicly for making Tablighi Jamatis scapegoats to hide your incompetence in COVID management? https://t.co/nrE3TMeUsA
— Hasiba | حسيبة | हसीबा 🌈 (@HasibaAmin) August 22, 2020
मोहम्मद इमरान सिद्दीकी लिखते हैं – अब उन पेड पत्रकारों के लिए क्या किया जाना चाहिए जिन्होंने तब्लीगी जमात को दोषी ठहराया? मोदी सरकार के द्वारा उन्हे निश्चित से सजा नहीं मिलेगी ।
Now what should be done for those paid journalists who blamed Tablighi jamat?
They will definitely go unpunished under Modia Govt pic.twitter.com/auBo2twdyK— محمد عمران صدیقی Mohd Imran Siddiqui (@I_ImranSiddiqui) August 22, 2020
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट करते हुए लिखा – बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए फ़ैसला सुनाया और तबलीगी जमात के लोगों पर की गई FIR पर सवाल खड़े करते हुए कहा – “जब कोई महामारी या विपत्ति आती है तो राजनीतिक सरकार बलि का बकरा ढूंढने की कोशिश करती है और हालात बताते हैं कि इस बात की संभावना है कि इन विदेशियों को बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया था”
The Bombay HC sets an example: Quashing FIRs against Tabligi Jamaatis,says;"A political Govt tries to find the scapegoat when there is pandemic or calamity&the circumstances show that there is prob that these foreigners were chosen to make them scapegoats"https://t.co/LTY1B58KSC
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 22, 2020