अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों में हलचल शुरू हो गई है। इसी बीच हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के प्रमुख नेता ओवैसी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने के लिए तैयार है।
ओवैसी ने एक भाषण के दौरान मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, उत्तर प्रदेश में इस बार योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे इंशाअल्लाह…… । अगर इसी तरह हम मेहनत करते रहे और अपने हौंसले बुलंद रखें, तो कुछ भी संभव है। हमारा प्रयास यही रहेगा उत्तर प्रदेश की सत्ता में दोबारा बीजेपी सरकार को ना आने दे।
ओवैसी ने ट्वीट के जरिए कहा, “भारत के मुस्तकबिल को लेकर मंजलिस के पास भी एक विजन है। हमारी जिम्मेदारी है कि मैं अपने पैगाम को जनता तक पहुंचाऊं और ये सिर्फ आवाम का हक है कि वो हमें अपनाएं या न अपनाएं”।
AIMIM और राजभर का गठबंधन-
हालांकि मीडिया की खबरों के मुताबिक ओवैसी की पार्टी मुस्लिम बहुल इलाकों में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जिसमें पार्टी ने ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई वाली भागीदारी संकल्प मोर्चा (बीएसएम) के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
यह भी बता दें कि ओवैसी ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए आवेदन पत्र भी जारी कर दिए गए हैं। और उम्मीदवारों को चुनने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। 2022 विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी मैदान में उतरने के लिए तैयार है।
इससे पहले भी 2017 में ओवैसी की पार्टी ने विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार को खड़ा किया था। 38 उम्मीदवार में से 37 की जमानत जब्त हो गई थी।
योगी आदित्यनाथ का पलटवार-
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐलान करते हुए कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ता एआईएमआईएम के प्रमुख नेता ओवैसी की चुनौती को स्वीकार करते हैं। योगी ने कहा कि ओवैसी हमारे देश के बड़े नेता है उन्होंने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हमें हराने के लिए चुनौती दी है उसे हम तहे दिल से स्वीकारते हैं।
योगी आदित्यनाथ ने पंचायती चुनाव को लेकर भी कहा कि 75 में से 67 जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी के चुने गए हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में 2022 में फिर से आएगी और 300 से ज्यादा सीटों पर विजय भी होगी। प्रदेश सरकार के कार्य से जनता भी भलीभांति परिचित है। सब कुछ जनता के सामने हैं।
साढे 4 साल से प्रदेश में सरकार कल्याणकारी योजनाओं के तहत महिलाओं के अधिकार के क्षेत्र में और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर चुकी हैं। केंद्र में भी बीजेपी 7 साल से कल्याणकारी नीतियों को लेकर आगे बढ़ रही है। “सबका साथ सबका विकास” यही हमारी पार्टी का उद्देश्य है। पूरे देश का समान रूप से विकास।
बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया-
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ओवैसी हैदराबाद से आकर यूपी में योगी आदित्यनाथ या किसी और को मुख्यमंत्री कब से बनाने लगे? वह कांग्रेस पर मेहरबानी करें भाजपा पर मेहरबानी की जरूरत नहीं है ।यूपी की जनता जानती है कि किसकी सरकार चाहिए।
वहीं दूसरी टिप्पणी प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने की है उन्होंने औवेसी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, ओवैसी और उनके जैसे सांप्रदायिक और तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों की स्थिति उत्तर प्रदेश में ‘खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे’ जैसी है। इनकी उत्तर प्रदेश में दाल नहीं गलने वाली है।
मुसलमानों की आवाज बनेंगे ओवैसी-
टाइम्स नाउ नवभारत सुशांत सिंह के साथ खास बातचीत में कहा कि जब 9% की आबादी वाले यादव अपना मुख्यमंत्री चुन सकते हैं तो 19 % मुस्लिम अपना प्रतिनिधि क्यों नहीं चुन सकते हैं। वे मुस्लिमों की आवाज बनेंगे और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार नहीं आने देंगे। प्रदेश में पार्टी के धर्म और जाति के भेदभाव को उजागर करने के साथ प्रदेश की पार्टियों को भी आड़े हाथों लिया। बातचीत के दौरान उन्होंने संविधान को सर्वोपरि बताते हुए अपनी पार्टी को भी चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत बताया और यह भी कहा कि उनकी पार्टी देश के संविधान को मानती है।
22 सितंबर को ओवैसी संभल में रैली करेंगे। एक रैली में राकेश टिकैत द्वारा लगाए गए आरोपों पर औवेसी ने अपना जवाब भी दिया, उन्होंने ‘चच्चा जान’ बयान पर कहा कि आप मुझे गाली दीजिए। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझसे उन तमाम लोगों को दिक्कत है जिनमें मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर है।
बता दें बागपत में राकेश टिकैत ने ओवैसी को ‘चच्चा जान’ कहकर बीजेपी और ओवैसी मिलीभगत करके राजनीति करने का आरोप लगाया था। जनता को संबोधित करते हुए टिकैत ने इन दोनों से सावधान रहने का बयान दिया था। टिकैत अनुसार ये दोनों ही एक दूसरे के खिलाफ होने का दिखावा करते हैं।