यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का इंडिया टुडे कानक्लेव पर अरुण पुरी को एक इंटरव्यू दिया है. जिसमें उन्होंने ये दावा किया है, कि 2019 में मोदी सरकार को सत्ता में नहीं आने देंगे. बताया जाता है, कि इस इंटरव्यू के दौरान सोनिया गांधी आत्मविश्वास से लबरेज़ नज़र आ रहीं थीं.
इंटरव्यू पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी अपनी फ़ेसबुक वाल पर लिखते हैं –
मैं सोनिया गांधी का प्रशंसक नहीं रहा, पर आज अरुण पुरी के साथ उनकी बातचीत सुनते-देखते अच्छा लगा। उन्हें भावहीन और लिखा भाषण पढ़ने वाली नेता कहा जाता है। पर आज इस सम्वाद में वे जितनी सहज, कभी गम्भीर कभी चपल, आक्रामक और आत्मबल से भरी थीं कि सोचने को विवश हुआ हमारे कितने नेता ऐसा सम्वाद कर पाते हैं। समझना मुश्किल है कि वे अब तक कतराती क्यों रहीं आमने-सामने के दो टूक प्रश्नोत्तर से?
सम्वाद में एक मौक़े पर तो वे प्रश्नकर्ता के ही कान काटने लगीं, जब मोदी के बारे में राय पूछने पर तपाक से मुहावरेदार हिंदी में कहा – सारी रामायण सुनने के बाद आप मुझसे पूछ रहे हैं कि राम और सीता कौन थे?
और अपने आप को कितना लोकतांत्रिक पेश किया: भविष्य में कांग्रेस को गांधी परिवार से अलग नेतृत्व मिल सकता है; लोकसभा चुनाव लड़ूँगी कि नहीं, यह फ़ैसला तो पार्टी करेगी आदि।
लेकिन पाँच महीने पहले, प्रणब मुखर्जी की आत्मकथा के लोकार्पण के वक़्त, उन्होंने एनडीटीवी को क्या कहा था? कि आप अब तक पूछते रहे हैं न, तो राहुल अब जल्द पार्टी का ज़िम्मा सम्भालने जा रहे हैं। काश तब भी वे आज वाली कूटनीतिक भाषा में कहतीं कि उपाध्यक्ष के नाते राहुल दावेदार ज़रूर हैं पर पार्टी का नेतृत्व वे सम्भालेंगे या कोई और, यह तो पार्टी तय करेगी!
बहरहाल, सोनिया गांधी का आत्मविश्वास इस सम्वाद में देखते बनता था। और अरुण पुरी भी बड़े सविनय थे। पूर्वोत्तर की ताज़ा हलचल के बावजूद देश की राजनीति में वे किसी करवट की आहट भाँप रहे हैं क्या?
प्रशांत टंडन कहते हैं – बातों ही बातों मे बड़ी सहजता से उन्होने मोदी को निबटा भी दिया. एक सवाल के जवाब मे उन्होने कहा कि वो मोदी को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानती हैं – संसद या दूसरी जगहों में आमना सामना हो जाता है. मैंने प्रधानमंत्रियों और शीर्ष नेताओं के रिश्ते देखे हैं – उन्हे सेंट्रल हाल और दूसरी जगाहों में भी घुलते मिलते देखा है – आपने मुझसे ज्यादा देखा होगा. सोनिया का ये कहना मेरे लिए बिलकुल नई बात है. एक तरह से उन्होने कह दिया कि मोदी उनके समाज का हिस्सा ही नहीं है.
अमन चंद किशोर कहते हैं – इंडिया टुडे इंटरव्यू के दौरान सोनिया गांधी जी जिस तरह से आज सवालों का जवाब दे रहे थे ,वह काबिले तारीफ था जितनी कम प्रशंसा की जाए वह कम है. आज के राजनेता भाषण के दौरान जिस तरह शब्दों का चुनाव करते हैं उससे कहीं प्रखर और सधी हुई शब्दों के साथ वर्तमान सरकार पर हमला बोलते नजर आए.
उनका जो संवाद था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तारीफ करने लायक था हलाकि हमारे प्रधानमंत्री कई एक भाषण के दौरान कई गलतियां कर बैठते हैं लेकिन सोनिया जी का इस तरह से खुलकर आना वर्तमान सरकार पर बहुत बड़ा तंज है.
प्रवीण मल्होत्रा कहते हैं – इसी सेमिनार में एक इटालियन आर्किटेक्ट ने सोनिया जी के पास जा कर कहा कि वे इटली से हैं। इसके प्रत्युत्तर में सोनिया जी ने जो कहा वह बहुत मायने रखता है। उन्होंने कहा ‘मेरा जन्म इटली में हुआ है, लेकिन मैं भारतीय हूँ’ अपने पूर्व देशवासी से उन्होंने अपने ‘मन की बात’ कह कर भारत के प्रति अपनी सच्ची भावना ही व्यक्त की है, न कि पहले से लिखी हुई ‘मन की बात’.
ये पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बन जाने के बाद आप उन्हें सलाह देती हैं, सोनिया गांधी ने कहा, ‘वो अपनी जिम्मेदारियों के बारे में जानते हैं. और मैं वहां हूं किसी भी सलाह के लिए.’
लेकिन राहुल गांधी क्या उनकी सुनते हैं, इस सवाल के जवाब में सोनिया गांधी ने कहा,’ पेरेन्ट के नाते हम उन्हें (बच्चों को) कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. लेकिन ये मुश्किल होता है. जब मुझसे कोई सलाह मांगी जाती है तो मैं देती हूं.’
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सोनिया ने कहा भविष्य में नेहरू-गांधी परिवार से बाहर का सदस्य कांग्रेस का अध्यक्ष बन सकता है.
सोनिया ने कहा कि कांग्रेस में एक परंपरा है और इस परंपरा के तहत नेताओं का चयन लोकतांत्रिक तरीके से होता है. उन्होंने अमेरिका में बुश परिवार और क्लिंटन परिवार और भारत के कई राज्यों में वंशवाद का उदाहरण दिया. वहीं सोनिया गांधी ने इस बात को खारिज कर दिया कि मनमोहन सिंह भले प्रधानमंत्री रहे हों लेकिन सत्ता उन्हीं के हाथ में थी. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ऐसी कोई भी स्थिति थी.
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “मैं राजीव गांधी और इंदिरा गांधी से जुड़े कुछ कागज़ात जो मेरे पास हैं उन्हें डिजिटल करना चाहती हूं और इसी काम में व्यस्त हूं. इनमें इंदिरा की राजीव को लिखी चिट्ठियां और राजीव की उनकी मां को लिखी चिट्ठियां शामिल हैं.”
विपक्षी पार्टी के नेताओं से मुलाक़ात करेंगी सोनिया गांधी
मैं जल्द ही (अगले सप्ताह) विपक्षी पार्टियों और अन्य पार्टियों के राजनेताओं से मिलने वाली हूं और राजनीति के बारे में बात करने वाली हूं.” लेकिन स्पष्ट तौर पर राजनीति में भागीदारी के बारे में सोनिया ने कुछ नहीं कहा. इसके बाद सोनिया गांधी ने कहा, “अगर हम इस देश की चिंता करते हैं तो हमें अपने सभी राजनीतिक मतभेद भुलाने होंगे और साथ आना पड़ेगा.
उन्होंने कहा – मैं कांग्रेस की विचारधारा में यक़ीन करती हूं. लेकिन मैं मानती हूं कि समाज में बैंलेस बनाए रखने के लिए हमें समाज के हर तबके की ज़रूरतों के बारे में सोचना होगा, नहीं तो समाज में स्थिति सामान्य नहीं रहेगी.
पीएम मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा – मैं स्लोगन और जुमलों में कतई यक़ीन नहीं करती. आप चुनाव में लोगों को ऐसे वायदे कैसे कर सकते हैं जो वो पूरे नहीं कर सकते?
उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों के सन्दर्भ में कहा – मुझे भारत की जनता पर यक़ीन है लेकिन मुझ देश की चिंता है. हम भाजपा को फिर से सत्ता में नहीं आने देंगे.