अगर आप UPSC की तैयारी कर रहे हैं, तो मोदी सरकार का यह क़दम आपको नाराज़ कर सकता है. ज़रा सोचियेगा कि एक व्यक्ति सालों की दिन मेहनत से सिविल सर्विसेज़ का एग्ज़ाम पास करता है. वहीं दूसरा एक व्यक्ति जो PSU’s या प्राइवेट सेक्टर में उच्च पद पर कार्य करता है. पर UPSC की तैयारी करने वाला उस वक़्त ठगा महसूस करता है. जब कुछ पदों पर बिना UPSC पास किये प्राईवेट सेक्टर से सीधे भर्ती कर ली जाती है.
दरअसल मोदी सरकार ने ब्यूरोक्रेसी में एंट्री देने के लिए एक बड़ा बदलाव किया है जिसके तहत अधिकारी बिना यूपीएससी की परीक्षा पास किए हुए भी सरकार का हिस्सा बन जाएंगे. इस बदलाव के तहत आगे से निजी और पीएसयू कंपनियों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स भी सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी के लेवल पर काम कर पाएंगे. इसके लिए सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने एक विज्ञापन भी जारी कर दिया है जो जॉइंट सेक्रेटरी पद के लिए है.
PM @narendramodi announces another HUGE reform by exposing the top civil service to competition through lateral entry. Hope India’s best minds will rise to the occasion and come forward to serve. They are the key to the success of the reform. pic.twitter.com/b4A2nUt23H
— Arvind Panagariya (@APanagariya) June 10, 2018
डीओपीटी के नोटिफिकेशन के मुताबिक सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर प्रोफेशनल्स की नियुक्ति की जा सकेगी.
डीओपीटी ने जो विज्ञापन जारी किया है उसके तहत 10 ऐसे लोगों की जॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर नियुक्ति की जाएगी जिन्होंने राजस्व, फाइनेंशियल सर्विसेज, इकनॉमिक अफेयर्स, कृषि सहयोग- किसानों के विकास, रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवेज, शिपिंग, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, नवीन और रिन्यूएबल एनर्जी, सिविल एविएशन और वाणिज्य में दक्षता हासिल की हुई हो.
इसके लिए कैबिनेट सेक्रेटरी के नेतृत्व वाली एक कमिटी अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लेगी और 15 साल का अनुभव रखने वाले अधिकारी इसके तहत अप्लाई कर सकते हैं. जो अभ्यर्थियों किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं, वे इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं, इसके अलावा इन्हें सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी निजी इंस्टीट्यूट में कम से कम 15 साल का एक्सपीरिएंस भी होना चाहिए. इन पदों के लिए प्रोफेशनल्स ही आवेदन कर सकते हैं जो पहले से कार्य कर रहे हों.
सरकार चुने हुए कैंडिडेट्स की नियुक्ति 3 साल के लिए करेगी हालांकि विज्ञापन में बताया गया है कि बाद में इसे दो साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है.
मोदी सरकार पहले से ही ब्यूरोक्रेसी में इस तरह के कदम की हिमायती रही है और अब ये विज्ञापन निकालकर सरकार ने इसे निश्चित भी कर दिया है.
https://twitter.com/tehseenp/status/1005783110879858688
सरकार के इस फैसले पर विवाद भी शुरू हो गया है और विपक्ष ने कहा कि सरकार का ये फैसला खास लोगों को उच्च पदों पर बिठाने की साजिश है. RTI एक्टिविस्ट और कांग्रेस समर्थक तहसीन पूनावाला ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला करने का ट्वीट किया है.