ADR की एक रिपोर्ट ने देश के राजनीतिक हल्के में हलचल पैदा कर दी है. राजनीतिक दलों पर निगाह रखने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट ने देश में हलचल पैदा कर दी है.
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, तो भारत में करीब 35 फीसद मुख्यमंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि 81 फीसद मुख्यमंत्री करोड़पति हैं.
ये रिपोर्ट एडीआर ने नेशनल इलेक्शन वॉच के साथ मिलकर तैयार की है. दोनों संगठनों ने देशभर में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा चुनावों के दौरान मौजूदा मुख्यमंत्रियों द्वारा स्वयं जमा किए गए हलफनामों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है.
एडीआर के नेशनल इलेक्शन वाच (न्यू) के साथ मिलकर किए गए आकलन के बाद सोमवार को देश के 31 मुख्यमंत्रियों पर रिपोर्ट जारी की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार
- आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू 177.48 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ करोड़पतियों की लिस्ट में पहले स्थान पर हैं.
- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 6.27 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ 14वें स्थान पर है.
- 15वें स्थान पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की संपत्ति 5.61 करोड़ रुपए है.
रिपोर्ट के मुताबिक 25 मुख्यमंत्री यानी 81 प्रतिशत करोड़पति हैं. इनमें से दो मुख्यमंत्रियों के पास 100 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है.
- चंद्रबाबू नायडू के बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू सबसे धनी सीएम और उनकी संपत्ति 129.57 करोड़ रुपए है.
- तीसरे स्थान पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी संपत्ति 48.31 करोड़ रुपए है. रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्रियों की औसत संपत्ति 16.18 करोड़ रुपए है.
- सबसे कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्री त्रिपुरा के मणिक सरकार हैं और उनकी संपत्ति मात्र 27 लाख रुपए है.
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की संपत्ति 30 लाख रुपए है.
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के पास 55 लाख रुपए की संपत्ति है और वह सबसे कम धनी मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 95.98 लाख की संपत्ति के साथ छठवें सबसे गरीब सीएम हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश के करीब 35 प्रतिशत मुख्यमंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 31 मुख्यमंत्रियों में से 11 ने स्वयं के खिलाफ आपराधिक मामले दायर होने की घोषणा की है.
यह कुल संख्या का 35 प्रतिशत है. इसमें से 26 प्रतिशत के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, धोखाधड़ी जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.