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कुणाल कामरा पर प्रतिबंध सिविल एविएशन के नियमों के विरुद्ध है

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स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के हवा में उड़ने पर इंडिगो एयरलाइंस ने 6 महीने के लिये प्रतिबंध लगा दिया है। उसके तुरन्त बाद इंडियन एयरलाइंस ने भी अनिश्चित काल के लिये प्रतिबंध लगा दिया है। अब यह खबर आ रही है कि, विस्तारा को छोड़ कर सभी एयरलाइंस ने कुणाल की हवाई यात्राओ पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका कारण यह बताया गया है कि, कुणाल कामरा ने रिपब्लिक टीवी के पत्रकार और एंकर अर्नब गोस्वामी के साथ वाचिक अभद्रता की जो एयरलाइंस के नियमों के विपरीत है। दोनो ही इंडिगो एयरलाइंस के जहाज 6E 5317  से मुंबई से लखनऊ जा रहे थे। कुणाल ने उसी जहाज में बैठे अर्नब गोस्वामी से उन्ही के एंकर वाली स्टाइल में कुछ कहा था।

कुणाल ने जहाज में जो कहा उसे पढिये।

” यहां डरपोक अर्नब गोस्वामी से उनकी पत्रकारिता को लेकर कुछ सवाल पूछ रहा हूं। अर्नब वही कर रहे हैं, जिसकी मुझे उम्मीद थी। एक डरपोक होने के नाते पहले वो मुझे मानसिक रूप से बीमार कहते हैं और अब कह रहे हैं कि मैं कुछ देख रहा हूं। ये मेरे सवालों का जवाब नहीं देना चाहते हैं। आज दर्शक जानना चाहते हैं कि अर्नब गोस्वामी एक डरपोक हैं या राष्ट्रवादी? अर्नब ये नेशनल इंटरेस्ट है। मैं टुकड़े-टुकड़े नैरेटिव का हिस्सा हूं। आप देश के दुश्मनों को आड़े हाथों लीजिए। आप इस बात को साबित कीजिए कि देश सुरक्षित हाथों में है। आपको उन राहुल गांधी के ख़िलाफ़ लड़ना चाहिए, जिनका मैं समर्थन करता हूं। अर्नब कम से कम जवाब दो अर्नब।  क्या आप डरपोक हैं? क्या आप पत्रकार हैं? मैं आपके जवाब का इंतज़ार कर रहा हूं। मैं आपसे सौम्यता से बात करना चाहता हूं।  लेकिन आप मेरी सौम्यता के काबिल नहीं हैं। ये आपके लिए नहीं हैं। ये रोहित वेमुला की मां के लिए है, जिसकी जाति पर आपने शो में चर्चा की थी।  मैं जानता हूं कि ये मुझे ये नहीं करना चाहिए और मैं इसके लिए जेल जा सकता हूं। लेकिन ये रोहित वेमुला की मां के लिए है। जाइए और वक़्त निकालकर रोहित वेमुला का 10 पेज का सुसाइड लेटर पढ़िए। तब शायद आप में भावनाएं जाग पाएं और आप एक इंसान बन सकें।”
एयरलाइंस कंपनियों को उद्दंड और नियमविरुद्ध यात्रियों को प्रतिबंधित करने के अधिकार हैं और इसके नियम कानून भी हैं। यह प्रतिबंध सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट की धारा 3, सीरीज M, पार्ट Vl जो “Handling of Unruly Passengers rules ” उडद यात्रियों से निपटने के लिये बनायी गयी नियमावली जो 2017 में पुनर्संशोधित की गयी है के अंतर्गत किये जाते हैं। अब यह नियम देखें।
8 सितम्बर 2017 को भारत सरकार ने उद्दंड वायु यात्रियों के व्यवहार से निपटने के लिए कुछ नियम बनाये। सरकार के अनुसार, एयरलाइंस द्वारा ऐसे यात्रियों के लिये नो फ्लाई लिस्ट दुनिया मे अपनी तरह का एक अनोखा और अकेला नियम है, क्यों कि यह सहयात्रियों, जहाज के क्रू, और जहाज की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रख कर बनाया गया है। सुरक्षित और निरापद हवाई यात्रा के लिये जापान के शहर टोक्यो में एक वैश्विक सम्मेलन 1963 में हुआ था, जिसमे इस प्रकार के नियम पहली बार बनाये गए थे। भारत सरकार का 2017 में संशोधित किया गया नियम भी टोक्यो सम्मेलन के प्राविधान के आधार पर किया गया है। यह नियम सभी एयरलाइंस पर जो भारत की सीमा में उड़ रही हैं और उनके यात्रा कर रहे या करने जा रहे भारतीय और विदेशी नागरिकों पर लागू होंगे।

2017 के सिविल एविएशन रूल्स सीएआर के अंतर्गत तीन श्रेणियां बनायी गयी हैं

  • श्रेणी मुंहजबानी, बदतमीजी या वाचिक अभद्रता करने वाले यात्रियों को अधिकतम तीन महीने तक
  • श्रेणी 2, शारिरिक अभद्रता यानी हाथापाई करने वाले यात्रियों को अधिकतम 6 महीने तक
  • श्रेणी 3, धमकी देने और ऐसा आचरण करने वाले यात्रियों को न्यूनतम दो साल तक हवाई यात्रा से प्रतिबंधित करने का नियम है।

नियमों के अनुसार, अभद्रता भरे व्यवहार, जिसे अंग्रेजी में unruly behaviour कहा गया है की शिकायत पर, जो मुख्य पॉयलट द्वारा लिखित मे की जाएगी, एयरलाइंस द्वारा गठित एक आंतरिक कमेटी जांच करेगी। नियमों के अनुसार, ऐसी आंतरिक कमेटी की अध्यक्षता एक जिला और सत्र न्यायाधीश करेंगे। उनकी सहायता के लिये अन्य एयरलाइंस, यात्री संगठनों, उपभोक्ता संगठनों या का कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल फोरम के रिटायर्ड सदस्य भी रह सकते हैं। यह कमेटी डीजीसीए गठित करता है। सिविल एविएशन रूल्स के अनुसार, यह आंतरिक कमेटी 30 दिन में जांच रिपोर्ट देगी। जिसमे उस अभद्र आचरण को स्पष्ट करेगी कि क्या और किस प्रकार की अभद्रता यात्री द्वारा की गयी है। जांच की अवधि और कार्यवाही तक सम्बन्धित एयरलाइंस उक्त आरोपित यात्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगा सकती है।

सिविल एविएशन के महानिदेशक डीजीसीए अरुण कुमार ने मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार बताया है कि यह प्रतिबंध सीएआर नियमावली के विरुद्ध है। यहां भी एयरलाइंस ने सीएआर नियमो का खुद ही पालन नहीं किया है।

  • एक,  कुणाल ने अगर अभद्रता की भी है, तो उन्होंने केवल बोला है जिसमे अधिकतम 3 महीने तक का ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
  • दूसरे अगर कुणाल ने नियमों का उल्लंघन किया भी है, तो उसकी कोई लिखित शिकायत भी किसी सहयात्री या अर्नब गोस्वामी ने की भी है या नहीं।
  • तीसरे, एयरलाइंस ने किसी आंतरिक जांच कमेटी का भी गठन इस आरोप की जांच के लिये किया है या नहीं।अभी तक यह स्पष्ट नहीं है।

अन्य एयरलाइंस द्वारा यात्रा प्रतिबंधित करने का जो आदेश दिया गया है। उसके बारे में क्या आधार है यह भी नहीं बताया गया है। इस बारे में भी नियम यह स्पष्ट कहते हैं कि बिना किसी आंतरिक जांच के किसी भी यात्री को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। एयर इंडिया ने अपने प्रतिबंध के आदेश में कोई समय सीमा नहीं दी है बल्कि अग्रिम आदेश तक यह प्रतिबंध रहेगा, यह कहा है। अगर सुरक्षा कारणों से कोई प्रतिबंध एयरलाइंस लगाती हैं तो उन्हें ऐसा करने के लिये गृह मंत्रालय से एडवायजरी भेजी जाती है। कुणाल के मामले में न तो कोई आंतरिक जांच ही हुयी  है और न ही गृह मंत्रालय से कोई एडवायजरी जारी की गयी है। डीजीसीए के डीजी अरुण कुमार ने भी यह कहा है कि प्रतिबंधित करने के पहले कम से कम इंडिगो एयरलाइंस को नियमों के अंतर्गत आंतरिक कमेटी की जांच करा लेनी चाहिए थी।
इंडिगो एयरलाइंस और एयर इंडिया द्वारा कुणाल को प्रतिबंधित किये जाने के बाद, सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने एक एडवायजरी ट्वीट से जारी की जिसके बाद, स्पाइस जेट ने भी कुणाल कामरा को 6 महीने के लिये प्रतिबंधित कर दिया।
निजी एयरलाइंस द्वारा इस प्रकार सरकार को खुश करने के लिये सीएआर नियमावली का खुला उल्लंघन और अवहेलना करते हुए किसी भी यात्री की वायु यात्रा प्रतिबंधित कर देना एक गलत और विधिविरुद्ध प्रवित्ति है।

इस प्रकरण पर बाद में कुणाल ने अपनी बात को लेकर  यह बयान भी जारी किया।

” आज मैं लखनऊ की फ्लाइट में अर्नब गोस्वामी से मिला। मैंने प्यार से उनसे बातचीत करने के लिए कहा। पहले वो ऐसे पेश आए कि जैसे वो फ़ोन कॉल पर हैं. मैंने फोन कॉल पूरी होने का इंतज़ार किया। तब तक सीट बेल्ट लगाने के निर्देश नहीं दिए गए थे। मैं अर्नब की पत्रकारिता को लेकर जो सोचता हूं, उस पर अपनी राय रखी। वो मेरे किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार करते हैं। फ्लाइट के टेकऑफ करने और सीट बेल्ट साइन दोबारा ऑफ होने के बाद मैं दोबारा अर्नब के पास गया। अर्नब बोले कि वो कुछ देख रहे हैं और बात नहीं करना चाहते हैं। तब फिर मैंने वही किया जो रिपब्लिक टीवी के पत्रकार लोगों के साथ करते हैं। मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है। सीट पर लौटने के बाद मैंने क्रू मेंबर्स और पायलट से माफ़ी मांगी कि मेरी वजह से उन्हें जो दिक़्क़त हुई। ”
आज से कुछ माह पहले बम ब्लास्ट के आतंकी मामले में अभियुक्त और भाजपा की  भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने जहाज में ही एक खिड़की वाली सीट के लिये हंगामा किया था। हंगामा इतना बढ़ा कि सहयात्री भी उनसे उनकी ज़िद छोड़ने के लिये और उन्हें जो सीट आवंटित थी, वहां जाने के लिये कहने लगे। काफी तमाशा हुआ। पर तब न मंत्री का कोई ट्वीट ऐडवाज़ारी जारी हुआ और न एयरलाइंस ने उनको प्रतिबंधित किया। वे तो एक अभियुक्त हैं। अभियुक्त भी बम ब्लास्ट की आतंकी घटना का। अगर सरकार और प्रतिष्ठान नियम कानूनो को लागू करते समय दोहरी दृष्टि का उपयोग करेंगे तो जनता से ही केवल यह अपेक्षा करना कि वह कानून का पालन करे, यह कानून का मज़ाक बनाना है।

© विजय शंकर सिंह