- एक तबका है,जिसका काम “बैलेंस” करना है,जिसका काम डैमेज कंट्रोल करना है,जिसकात काम “ज़हर” फ़ैलाना है,जिसका काम किसी भी मुद्दे को घुमाना है,ये तबका बहुत चालाकी से किसी भी मुद्दे के सामने कोई भी मुद्दा खड़ा कर देता है,यानी “जुनेद” की बात होगी तो उसके सामने अय्यूब पंडित को खड़ा कर देगा,ठीक वैसे ही जैसे अख़लाक़ के सामने डॉक्टर नारंग को खड़ा किया था।
ये वही तबका है जो कश्मीर के मसले पर बातचीत होने पर कश्मीरी पंडितों को मसला सामने ला देता है,औऱ किसी भी धर्म की किसी मुद्दे की बात होने पर “नास्तिकता” का चोला ओढ़ कर सामने आ जाता है,इस तबके का काम सिर्फ और सिर्फ एक प्रेशर रिलीज़ कर तमाम लोगों को उनका धर्म याद दिला देना है न कि समस्या,ये तबका दोगला तबका है..
इस तबके को ये पता होना चाहिये हर बेहतर इंसान अगर कश्मीर में बेगुनाह लोगों की मौत पर अफ़सोस जताता है तो कश्मीरी पंडितों को बाहर निकाले जाने पर भी अफसोस करता है,जी हां अगर एक जागरूक इंसान जुनेद की मौत का अफसोस करता है तो डीएसपी अय्यूब की मौत का भी अफसोस करता है,क्योंकि किसी भी बेगुनाह को मारा जाना गलत है वो चाहे कोई भी हो।
“भीड़” चाहे अख़लाक़,जुनेद या नारंग को मारे या चोरी करते हुए पकड़े गए इंसान को मारे तो वो भी गलत है,क्योंकि किसी के भी गुनहगार होने की सज़ा कानून देता है इसके अलावा कोई नही,लेकिन ये “तबका” इस बात को जानता ही नही है,बस लोगों के बीच ज़हर फैलाता है,इसलिए बुराई के खिलाफ लड़िये शख्सियत के खिलाफ नही,इस तबके की छांव से बचिए,इस बारीक चीज़ को समझिए…बहुत अहम है..
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