नया साल मुबारक हो ये कहना आसान है, साल का हिस्सा निकाल कर देखो ये साल भी वैसा ही गया जैसे हर साल बीता है, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक हर पहलू में कोई न कोई कहानी छुपी है.
इस साल फिर से नजीब नही मिला उसकी माँ ने दर- बदर की ठोकर खाई मगर नजीब का कोई निशान न मिला. इस साल फिर कश्मीर की घाटी में एक नन्ही सी जान आसिफा को बेदर्दी से मार दिया गया, मैं कितने नाम लूं आसिफा से लेकर लखनऊ, राजस्थान और देश के हर कोने में हुई देश की बेटी के साथ बलात्कार का इंसाफ नही मिला।
बेटियों को सुरक्षा के नाम पर इस बार भी कोई कड़ा क़दम नही उठाया गया, इस साल फिर शहर से गाँव, गांव से शहर के चक्कर लगाते किसानों को कर्ज़ माफी न मिली, इस साल हजारों भुखमरों की मौत हो गई उन्हें दो वक्त की रोटी न मिलने से उनकी जान चली गई.
इस साल फिर हमारा देश हंगर इंडेक्स में आगे रहा, इस साल फिर देश महिलाओ के लिए दुनिया मे सबसे ज़्यादा असुरक्षित साबित हुआ, इस साल फिर उन्नाव और कठुआ में दुष्कर्म करने वाले अपराधियो को भीड़ ने समर्थन किया, ये साल एसएससी, सीबीएससी जैसे बड़े दफ्तरों में पेपर लीक का साल रहा।
इस साल भी तीन तलाक़, गोरक्षा, राम मंदिर जैसे विषय देश की बड़ी राजनीति पार्टियों के भाषणों और जुमलो में शामिल रहा, इस साल फिर सरकार ने जो वादे किए थे वो कितने पूरे हुए? ये सवाल उठते रहे मगर फिर भी सरकार के कान पर जूं न रेंगी।
इस साल गोरक्षा के नाम पर मोब लिंचिंग के लोग शिकार हुए, इस साल भी भीड़ ने लोकतंत्र और संविधान को अपने हाथों में ले लिया, इस साल की लाखों कहानियां जिसके यहाँ नाम लेने कम पड़ जायंगे, इस साल की हज़ारो बाते जिसकी उम्मीद हम हर साल लगाते हैं, कि इस साल तो पूरी कर देंगे वो नही हुई। सोशल मीडिया ने दिनों दिन में लोगो को स्टार बन दिया, तो वहीं सोशल मीडिया पर उसके यूज़र्स का डाटा उड़ गया, और बहुत सारी घटनाये हईं जिनका ज़िक्र चाहे कितना करलें कम है, हाशिए में पड़े समाज में नकरात्मकता का प्रभाव ज़्यादा रहा।
इस साल एक #me too अभियान ने सोशल मीडिया में हंगामा खड़ा कर दिया और बीजेपी के मंत्री को अपने पद से हटना पड़ा,ये हैशटैग अभियान बॉलीवुड अभिनेत्री तन्नू श्री दत्ता से शुरू हुआ और बाद में एक बड़ी तादात में फ़िल्म इंडस्ट्री से लेकर आम लोगो मे ये अभियान छिड़ गया।
इसी साल 2018 में विपक्ष में बैठे राहुल ने गुजरात के इलेक्शन में लोगो का दिल जीत कर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। राजनीतिक तौर पर भी ये साल काफी मज़ेदार रहा और उथल-पुथल भरा रहा। कॉग्रेस ने छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना इन हिन्दी राज्यों में अपनी जीत हासिल की और फिर से देश को राजनीति में अपने होने का अहसास दिलाया।
नफ़रत और बिगड़ते माहौल में जहाँ लोगो ने आग भड़काने ,देश मे हिन्दू -मुस्लिम करके लोगो को बांटने का काम किया वही कुछ लोगो ने गंगा जमुना तेहज़ीब को जीवित रखने के लिए हज़ारो लोगों ने अलग -अलग तरीक़े से काम किया। ये साल जैसा भी रहा नकरात्मक और सकारात्मक दोनों पहलू में अलग अंदाज़ में रह.उम्मीद अच्छे की जाती है तो आने वाला साल भी अच्छा हो।अच्छे की कामनाये और आकांशऐ लगी रहती है हर चीज़ से साल हो या वक़्त.
शगुफ्ता ऐजाज़