“अज़ीज़ अली” बने फ़रहान अख़्तर ले आये तूफ़ान

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फिल्में दो तरह की होती हैं, पहली एक बार देखी, थोड़ा मज़ा लिया,कुछ दिन याद रही और भुल गए उसे,और दूसरी याद रह जाने वाली जैसे “दंगल”, किसी की ज़ुबान पर आ जाए तो आज भी 100 किलो के अमीर खान अपनी बेटियों को ट्रैनिंग कराते दिख जाते हैं,फरहान अख्तर की “तूफान” पहली और दूसरी तरह की दोनों फिल्मों के बीच की है।

फरहान अख़्तर ने कमाल कर दिया।

आज ही सुबह से अमेज़ॉन के प्राइम पर रिलीज़ हुई फरहान अख़्तर की तूफान की चर्चा है,हालांकि “लव जिहाद” वाले तो इसे पहले से ही बॉयकॉट करके फेमस कर चुके थे, ख़ैर ये चर्चा बाद में,लेकिन फ़िल्म देखने पर ये पता चला कि लंबे अरसे बाद पर्दे पर लौट कर आने के बाद फरहान ने वाक़ई में कमाल कर दिया,ट्रेनिंग सेशन से लेकर डोंगरी की लोकल ज़ुबान बोलता “अज्जू” का किरदार मंझा हुआ और शानदार लग रहा है।

47 साल के फरहान अख्तर की बॉडी और उनकी फुर्तीली बॉक्सिंग देख कर कहीं से ये नहीं लग रहा है कि उन्हें फ़िल्म को “टेकन फ़ॉर ग्रांटेड” नहीं लिया है,उन्होंने “भाग मिल्खा भाग” की तरह अपने इस रोल को भी जिंदा करके रख दिया है, और सबसे ज़बरदस्त बात ये की उनका रोल हज़ारों युवाओं को बॉक्सिंग के लिए मोटिवेट करेगा, और क्या चाहिए होता है।

परेश रावल ने दिखा दिया वो कौन है।

बॉलीवुड में जब भी बड़े कलाकारों का नाम आता है उसमें परेश रावल की गिनती होती है और ये उन्होंने “नाना भाई” बन कर साबित कर दिया है,और इस फ़िल्म की खूबसूरती की एक वजह ये भी रही है कि फरहान की ट्रैनिंग को बहुत ज़्यादा न तो खींचा गया और लम्बा किया गया है।

लेकिन तब भी फ़िल्म का वो हिस्सा दर्शकों को वहां फेविकॉल से जोड़ देता है,और ये सारा क्रेडिट कोच परेश रावल को जाता है, जिन्होंने अपने इस रोल में जान फूंक कर फ़िल्म को अहमियत दी है,और डायरेक्टर ओम प्रकाश मेहरा का कोच के लिए उनका ये चयन काफी अच्छा साबित हुआ है।

मृणाल ठाकुर.. जो इस फ़िल्म के बाद बहुतों का क्रश बनेंगीं।

“डॉक्टर साब” अनन्या ने अपने रॉल को बड़ी ईमानदारी और खूबसूरती से निभाया है,जहां रोने से लेकर खुशी के फिल्माएं गए दृश्य बता रहे हैं कि वो बढिया एक्टर हैं ,डायलॉग से लेकर आंखों में आंसू ले आने वाले इमोशनल सीन भी वो ईमानदारी से निभा गयी हैं ये आज के टाइम बढिया की कैटेगरी में आता है।

फ़िल्म में बहुत कम ही सही लव स्टोरी एंगल है और वो बहुत प्यारा सा है,और आंखों ही आंखों में फिल्माया गया प्यार का ऐंगल भी बहुत अलग सा है,उसी में मृणाल ठाकुर अज्जू को “चेलेंज” देती हैं, ये क्या है इसे फ़िल्म देख कर जानिए, समझ जाएंगे।

सबसे ज़रूरी बात,जिसे लिखा जाना बहुत ज़रूरी सा लगा है,वो इस रोल में बहुत खूबसूरत और क्यूट भी नज़र आई हैं,और जैसा कि होता आया है कि अब वो बहुत सारे युवाओं की क्रश भी बनेगीं ही,मेरी तो बन ही गयी हैं,और बनना भी चाहिए।

कहानी मगर पुरानी सी ही लग रही है ।

बॉलीवुड के साथ प्रॉब्लम ये है कि ये लोग कहानियां नई नहीं लाते हैं,सभी कहानियां तरक्की से डिमोशन और आखिर में तरक्की दिखा देती है इसलिए अक्सर बहुत अच्छी फिल्में भी कमी के साथ बनती है,और तूफान की कमी भी वही नजर आ रही है।

कहानी तूफान का कमज़ोर एंगल है,जहां और बहुत कुछ नया या शानदार सा किया जा सकता था,तब शायद ये फ़िल्म ऐसी होती जिसे “बार बार देखा जाता” वाले कैटेगरी में रखा जाता,लेकिन ये फ़िल्म को एक बार वाला भी नहीं कहा जाना चाहिए,इसलिए इस फ़िल्म को बार बार देखा जाए या नहीं,लेकिन ये फ़िल्म अच्छी और खूबसूरती से फिल्माई गई है,जिसे बार बार देखने को जी चाहता है।

और आखिर मे..

अब आखिर में बस इतना ही की ये फ़िल्म देख लो,दिल को सुकून सा मिलेगा,क्यूंकि यहां डोंगरी का “गुंडा” एक नेशनल बॉक्सर बनेगा,अच्छा तो लगता ही है,ये फ़िल्म जो है,प्राइम पर है,अमेज़ॉन के प्राइम पर।

लेकिन हां इसके लिए “टेलीग्राम” का यूज़ मत करना,अच्छी बात नही है उसे यूज़ करना,सब्सक्रिप्शन ले लो भाई/बहनों,इतनी मेहनत की है फ़िल्म बनाने वालों ने आप भी कर थोड़ा सा खर्च कर ही लो।

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