क्या आप राहुल के भाषण पर मीडिया में चल रहे वर्ज़न को फॉलो कर रहे हैं?

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राहुल गांधी फ़िलहाल कुछ यूरोपीय देशों के दौरों पर हैं. वहां पर विश्वविद्यालयों में छात्रों को संबोधित कर रहे हैं. उनके सवालों के जवाब दे रहे हैं. उनके इस दौरे के वक़्त दिए गए वक्तव्यों की बहुत चर्चा हो रही है. भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन पर इलज़ाम लगाया जा रहा है, कि वो विदेशों में जाकर भारत को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं. वहीं देश का मुस्लिम समाज भी नाराज़गी व्यक्त कर रहा है, क्योंकि भारतीय मीडिया के एक धड़े ने उन्हें बताया है, कि देखो राहुल गांधी भारतीय मुस्लिमों में आईसिस के पैदा होने की बात कर रहे हैं.
सवाल ये उठता है, कि क्या आपने राहुल गांधी का जर्मनी के हैम्बर्ग में दिया गया भाषण पूरा सुना है. हो सकता है आप ये भी कहें कि अंग्रेज़ी में हाथ हल्का है चलिए आपकी परेशानी मैं दूर करता हूँ.
पहली बात तो ये कि मैं भी मीडिया द्वारा दिखाए जा रहे वर्ज़न को ही सहीह मान कर चल रहा था. यही वजह थी कि मैंने भी वही प्रतिक्रिया दिया जो सभी दे रहे थे. इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार Prashant Tandon जी ने मेरी पोस्ट पर कमेन्ट करके सलाह दी कि मुझे राहुल गांधी के उस भाषण को सुनना चाहिए, राहुल गांधी ने बहुत गारी बात कही है. मैंने उनकी बात माना और उस भाषण को सुन, बार-बार सुना. यकीन मानिए, मेरी प्रतिक्रिया थी. वाह ! राहुल जी वाह ! अब आप लग रहे हैं, विपक्ष के सशक्त नेता. बात तो आपने संघ की विचारधारा को चुभने वाली कह दी है. मीडिया तो उसे कुछ और दिखा रहा है.
दरअसल जब आप राहुल गांधी के उस भाषण को सुनते हैं, तो आप उसे बहुत ध्यान से सुनें, क्योंकि भाषण अंग्रेज़ी में हैं और हमारी मादरी ज़ुबान उर्दू हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाएं हैं. जब हम हमारी मीडिया को सुनते हैं तो वो अर्थ का अनर्थ बनाकर पेश कर देता है. एक बड़ी आबादी जो अंग्रेज़ी जानती नहीं, कुछ लोग अंग्रेज़ी पढ़ तो लेते हैं, पर उस लाइन के भाव को नहीं समझ पाते. अब उन्हें वही समझ आएगा, देशभक्ति से ओतप्रोत एंकर उन्हें समझायेगा. एंकर के साथ बची कुची कसर दो चार हिन्दुत्ववादी संगठनों के प्रवक्ता और भाजपा के प्रवक्ता मिलकर पूरी कर देते हैं.
क्या आपको किसी एंकर ने ये बताया कि राहुल गांधी ने जर्मनी के हेम्बर्ग में दिए अपने भाषण में आतंकवाद कैसे पैदा होता है. इस समस्या पर बात की, क्या आपको किसी राष्ट्रवादी एंकर की जुबां से ये सुनने को मिला कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में अईसिस का ज़िक्र एक उदाहरण के तौर पर किया था. नहीं न ! बिलकुल नहीं, कोई क्यों आपसे ये सब कहने लगेगा. कोई आपसे ये क्यों कहेगा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में आतंकवाद एके साथ डेवेलपमेंट और बेरोज़गारी को क्यों जोड़ा?
जब आप उस भाषण को सुनते हैं, तो उसमें राहुल गांधी के साफ़-साफ़ शब्द ये होते हैं. कि “मोब लिंचिंग जैसी घटनाएं बढ़ने की एक वजह बेरोज़गारी है”. अब आप सोचियेगा कि मोब लिंचिंग में शामिल लोगों के ग्रुप की औसत उम्र क्या पायी जाति है. अप पायेंगे कि अधिकतर लोग 15 से 25 वर्ष के युवा हैं. कुछ ही हा जो ज़्यादा उम्र रखते हैं, ऐसे लोग अपवाद हैं. इनमें अधिक आबादी बेरोज़गार होती है. जो शाखा और हिंदुत्व की व्हाट्सअप यनिवर्सिटी से देश का वो इतिहास जान रही होती है, जो उन्हें आईटी सेल के गुरु जी पढ़ाते हैं. उनकी भावनाओं को भड़काने और एक समुदाय विशेष को दुश्मन की तरह पेश करने के लिए उनके पास पर्याप्त मटेरियल होता है. कुछ न हो तो फोटोशॉप तो है ही.
अब ये बेरोज़गार आदमी, जिसके पास काम नहीं है. वो खाली होता है, उसकी भुजाएं फड़क रही होती हैं. उसका दिमाग तीव्र गति से कार्य कर रहा होता है. उसे कुछ तो काम चाहिए. जो अफवाह वो व्हाट्सअप और फ़ेसबुक के ज़रिये सुनता है, उस पर उसके अन्दर का शैतान जाग जाता है. फर धर्म की रक्षा के नाम पर वो आतंक का ऐसा नाच रचता है. कि एक इंसान की जान तक भी लेने से उसे गुरेज़ नहीं होता.
आईये अब हम उस बात पर गौर करें कि राहुल गांधी ने आइसिस के बारे में क्या कहा? राहुल गांधी ने साफ़ -साफ़ कहा कि जब आप एक समुदाय को डेवेलपमेंट की प्रोसेस से बाहर रखते हैं , उस आबादी के साथ भेदभाव करते हैं. तो यह भेदभाव विद्रोह को जन्म देता है, इसका सबसे लेटेस्ट उदाहरण सीरिया और ईराक हैं. राहुल गांधी का इशारा आइसिस की तरफ था.
क्या आपको नहीं लगता कि कांग्रेस अध्यक्ष ने बहुत गहरी बात कही है. क्या आपको ममता बनर्जी के गृहयुद्ध वाला बयान याद है. नहीं तो याद करिए, आप हर उस देश का इतिहास देखिये, जो टूट कर बिखर गया. राहुल गांधी ने तो सिर्फ सीरिया और ईराक का उदहारण दिया. दुनिया ऐसे उदाहरणों से भरी पड़े है. एक देश हुआ करता था, युगोस्लाविया. अब उसके स्थान पर चार नए देश हैं. ज़्यादा दूर नहीं जाना चाहिए, हमारे पड़ोस में ही पाकिस्तान दो हिस्सों में था, पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान. जब बंगाली भाषी पूर्वी पाकिस्तान पर पंजाब और सिंध के लोगों ने अपनी मर्ज़ी थोपनी शुरू की थीं तो क्या हुआ. उसका नतीजा सभी जानते हैं. एक नए देश का उदय हुआ, जिसका नाम बनाग्लादेश है.
मैं ये नहीं कहता कि भारत के साथ ये स्थिति है, पर सोचियेगा ज़रा, कि देश जा किस रहा पर है. एक पूरी कम्युनिटी को एक ख़ास विचारधारा के लोगों ने कैसे टारगेट किया हुआ है. क्या ये टार्गेट किया जाना, समुदाय विशेष के साथ तरह-तरह के भेदभाव करना . किसी विद्रोह को जन्म नहीं दे सकता है. ज्ञात होकि कांग्रेस अध्यक्ष ने सीरिया,ईराक और आइसिस का ज़िक्र ऐसी कंडीशन में पैदा होने वाली तबाही के उदाहरण के तौर पर कही.
अब हमारे मुसलमान भाईयों को राहुल गांधी से इस बात की भी दिक्कत है कि राहुल ने मिस्र के संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड की तुलना आरएसएस से कैसे की. सेम यही समस्या संघियों के साथ भी है. अब आप ये बताईये कि एक तरफ मुस्लिम ब्रदरहुड “मुस्लिम राष्ट्र” और दूसरी तरफ़ आरएसएस “हिन्दू राष्ट्र” की बात करता है. अब ये दोनों संगठन जो एक्सट्रीमिज़्म से लैस हैं. एक सेकुलर व्यक्ति दोनों को एक तराजू में ही तौलेगा न.
ये थी राहुल गांधी के भाषण पर मेरी प्रर्तिक्रिया, जो मैंने खुद भाषण को सुनने के बाद मीडिया में चल रही डीबेट्स को देखकर दी है. हो सकता है आप सहमत हों या न हों. मैंने अपनी बात कह दी. यह लेख आप अपने न्यूज़ पोर्टल और वेबसाईट में लगा सकते हैं.
जय हिन्द
जय भारत की एकता

मुहम्मद ज़करिया खान
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