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एक और अनशन टूट गया

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अनशन तो बहुत होते हैं, पर ये अनशन कुछ अलग था.16 साल तक ईरोम शर्मिला के द्वारा ये अनशन किया गया,जिसके बाद उन्हें आयरन लेडी की उपाधि दी गई. इरोम ने अपनी भूख हड़ताल तब की थी जब 2 नवम्बर के दिन मणिपुर की राजधानी इंफाल के मालोम में असम राइफल्स के जवानों के हाथों 10 बेगुनाह लोग मारे गए थे। 4 नवम्बर 2000 को ईरोम शर्मिला ने अनशन शुरू किया था, इस उम्मीद के साथ कि 1958 से अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा में और 1990 से जम्मू-कश्मीर में लागू आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) को हटवाने में वह महात्मा गांधी के नक्शेकदम पर चल कर कामयाब होंगी। पर हुआ कुछ नहीं, बल्कि ईरोम शर्मिला को गिरफ्तार कर लिया गया,चूंकि उन्हें नियमानुसार एक वर्ष से अधिक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था,इसलिये हर साल उन्हें रिहा करते ही दोबारा गिरफ्तार कर लिया जाता था।
पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न हिस्सों में लागू इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को किसी को भी देखते ही गोली मारने या बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार है। शर्मिला इसके खिलाफ इम्फाल के जस्ट पीस फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन से जुड़कर भूख हड़ताल करती रहीं। सरकार ने शर्मिला को आत्महत्या के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया था। ज्ञात हो कि इस बीच केंद्र में NDA और UPA की सरकारें रही, पर किसी ने उनसे बात करने की कोशिश ही नहीं की। खैर फिलहाल ईरोम शर्मीला का अनशन ख़त्म हो चुका है पर उनकी मांगे नहीं! ईरोम शर्मिला अब विवाह बंधन में बंधना चाहती हैं, साथ में सक्रीय राजनीति में आने का उन्होंने ऐलान कर दिया है।