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अलीगढ़ – दोपहिया वाहनों के साथ क्यों तोड़फोड़ कर रही थी पुलिस ?

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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देशव्यापी विरोध और प्रदर्शन का सिलसिला थम नहीं रहा है। पूर्वोत्तर की आग दिल्ली पहुँच चुकी है। इस दौरान दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में 3 दिनों से चल रहे छात्रों के प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस की कार्यवाही से देश सकते में है। जामिया में हुई बर्बरता के खिलाफ छात्र और अन्य संगठन दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव कर रहे थे, कि इस दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से खबर आई कि जामिया के छात्रों पर हुई बर्बरता के विरोध में AMU के छात्रों द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर हाथापाई हुई। जिसमें कई छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं।
इसी दौरान अलीगढ़ और जामिया की घटना में पुलिस के कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिससे ये सवाल उठने लगा कि आखिर पुलिस ये क्यों कर रही है। जामिया में लाईब्रेरी और मस्जिद में घुसकर मारपीट करने की खबर के बाद अलीगढ़ से पुलिस द्वारा मोटरसाईकिल जलाने के वीडियो सामने आ रहे हैं। जोकि बेहद चिंताजनक हैं।


इस वीडियो के सामने आने के बाद ये सवाल भी किये जा रहे हैं, कि आखिर क्यों और किसलिए अलीगढ़ पुलिस ने बाहर खड़े दोपहिया वाहनों को आग लगाई। जब एक पत्रकार उस घटना का वीडियो बना रहा था, तो पुलिस ने उससे गलत व्यवहार क्यों किया।
ज्ञात होकि जामिया में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई बर्बर कार्यवाही के बाद से ही उस घटना के विरोध में देशभर की यूनिवर्सिटीज़ में छात्रों के द्वारा विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया था। इसी सिलसिले में दिल्ली में ITO स्थित दिल्ली पुलिस के मुख्यालय को JNU, DU, IIT दिल्ली और जामिया के छात्रों द्वारा घेर लिया गया था। इस प्रदर्शन में राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े  लोगों ने भी भाग लिया।
AMU में भी जामिया में हुई घटना का ही विरोध किया जा रहा था, पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को बुलाया, जिसके बाद पुलिस और छात्रों में झड़प हो गई। और अलीगढ़ से जो तस्वीरें सामने आई हैं। वह बेहद ही भयावह हैं पहले जामिया और फिर AMU में हुई पुलिसिया कार्यवाही के बाद सवाल उठ रहे हैं, क्या ये घटनाएं सुनियोजित थीं। आखिर क्यों दिल्ली पुलिस द्वारा जामिया में गोलियां चलाई गईं, क्यों AMU में छात्रों की इतनी पिटाई की गई कि उन्हे गंभीर अवस्था में अस्पताल ले जाना पड़ा। सवाल ये भी उठाए जा रहे हैं, कि आखिर कब अलग-अलग यूनिवर्सिटीज़ का दमन बंद होगा। क्या यूनिवर्सिटीज़ के छात्रों के प्रदर्शनों को इस तरह की मारपीट से कंट्रोल किया जाना सही है ? सवाल तो उठेंगे, क्योंकि एक लोकतान्त्रिक देश में इस तरह की घटना बेहद ही निंदनीय है।

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