कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिंदबरम और आईटी सेक्टर के दिग्गज एन.आर. नारायणमूर्ति के बीच शुक्रवार को बहस देखने को मिली. मुद्दा था आधार का और दोनों ने अपनी बात रखी.
एक और पी. चिंदबरम ने सरकार पर आधार की निजता को लेकर निशाना साधा तो वहीं एन.आर. नारायणमूर्ति ने आधार की निजता की सुरक्षा के लिए संसद की तरफ से कानून बनाए जाने की बात कही.
जहां चिदंबरम ने एक उदारवादी दृष्टिकोण को रखते हुए आधार पर चिंता जताई वहीं न्यायमूर्ति ने कहा कि निजता की रक्षा के लिए संसद को कानून बनाने की वकालत की. चिदंबरम ने सरकार के हर चीज को आधार से जोड़ने की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार इस बारे में हर चीज को अनसुना कर रही है.
पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि हर लेनदेन को आधार से जोड़ने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर को युवा पुरुषा या महिला, बेशक वह शादिशुदा नहीं हैं और छुट्टियां मनाना चाहते हैं, तो इसमें क्या हर्ज है? यदि किसी व्यक्ति को कॉन्डम खरीदना है तो उसके लिए आधार नंबर व पहचान की क्या जरूरत? चिदंबरम ने सवाल किया कि मैं सरकार को क्यों बताऊं कि मैं कौन सी दवाइयां खरीदता हूं, कौन का सिनेमा देखता हूं, कौन से होटल जाता हूं या कौन मेरे दोस्त हैं.
वहीं दूसरी तरफ नारायणमूर्ति ने आईआईटी, बॉम्बे के वार्षिक मूड इंडिगो फेस्टिवल को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी आधुनिक देश की तरह ड्राइविंग लाइसेंस के रूप में किसी भी पहचान करना आवश्यक है. लेकिन इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की पहचान से किसी की निजता का उल्लंघन न हो.
नारायणमूर्ति ने पूर्व वित्तमंत्री की बातों पर पलटवार करते हुए कहा कि मैं आपसे सहमत नहीं हूं, आप जिन चीजों की बात कर रहे हैं वह सब गूगल पर उपलब्ध हैं.
पी चिदंबरम ने कहा कि मैंने अपने बैंक खातों को आधार से नहीं जोड़ा है. उन्होंने कहा कि आधार से खातों को जोड़ने की गतिविधियों को 17 जनवरी तक रोका जाना चाहिए.
नारायणमूर्ति ने कहा कि हमें आधार को रद्दी में नहीं फेंक देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सांसद निजता के लिए कोई कानून नहीं ला पा रहे हैं. ताकि लोगों के व्यक्तिगत जानकारी की रक्षा की जा सके.
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